केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय – Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम आपके लिए केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय (Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य जगत में प्रमुख कवियों की सूची में केदारनाथ सिंह का नाम अग्रणी है। आधुनिक युग में अज्ञेय द्वारा संपादित “तीसरे सप्तक” के सात प्रमुख कवियों में केदारनाथ सिंह भी शामिल हैं। वे मुख्य रूप से कवि थे, लेकिन इसके अलावा उन्होंने आलोचना, निबंध, संवाद आदि का भी सृजन किया। “ताना बाना”, “समकालीन रूसी कविताएँ”, “कविता दशक” जैसे साहित्य के संपादन कार्य भी उन्होंने किए।
हिंदी साहित्य में उनके योगदान को देखकर उन्हें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ जैसे कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। “अभी बिल्कुल अभी”, “जमीन पक रही है”, “यहाँ से देखो” जैसे दर्जनभर प्रसिद्ध काव्य संग्रह उनके द्वारा रचित हैं। आज भी उनके द्वारा रचित साहित्य का पाठ देश के कई महाविद्यालयों में छात्रों को पढ़ाया जाता है। कई शोधकर्ताओं ने उनके साहित्य पर पी.एच.डी. भी की है। देश में होने वाली कई स्पर्धा परीक्षाओं में उनके साहित्य के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं। तो आइए, केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय और हिंदी साहित्य में उनके योगदान पर एक नज़र डालते हैं।
विवरण | जानकारी |
---|---|
नाम | केदारनाथ सिंह |
जन्म तिथि | 7 जुलाई 1934 |
जन्म स्थान | बलिया जिले, चकिया गाँव, उत्तर प्रदेश |
परिवार | गौतम क्षत्रिय (राजपूत) परिवार |
पिता | डोमन सिंह |
माता | लालझरी देवी |
प्रारंभिक शिक्षा | प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव में; बी.ए. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से; एम.ए. हिंदी विषय में 1956 |
पी.एच.डी. | ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान’ विषय पर 1964 में |
कार्यक्षेत्र | गोरखपुर महाविद्यालय में हिंदी प्राध्यापक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आचार्य और अध्यक्ष |
साहित्यिक विधाएँ | कविता, आलोचना, निबंध, संवाद |
प्रमुख काव्य संग्रह | “अभी बिल्कुल अभी”, “जमीन पक रही है”, “यहाँ से देखो”, “बाघ” |
पुरस्कार | ज्ञानपीठ पुरस्कार (2013), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989), मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, भारत-भारती, दिनकर सम्मान, कुमारन आशान पुरस्कार, गंगाधर मेहर राष्ट्रीय कविता सम्मान |
निधन | 19 मार्च 2018 (83 वर्ष की आयु) |
Contents
केदारनाथ सिंह का प्रारंभीक जीवन
हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि और साहित्यकार केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई 1934 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया नामक एक छोटे से गाँव में हुआ। वह गौतम क्षत्रिय (राजपूत) परिवार से थे। उनके पिता का नाम डोमन सिंह और माता का नाम लालझरी देवी था। उनका पारिवारिक माहौल शिक्षा के लिए अनुकूल था, और बचपन से ही उनकी सीखने की प्रतिभा के कारण उन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त की।
उनकी प्राथमिक शिक्षा अपने ही गाँव से हुई। प्राथमिक शिक्षा पूरी होने के बाद, पढ़ाई में अच्छे होने के कारण उनके पिता ने केदारनाथ जी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में दाखिला दिलवाया। यहाँ रहकर उन्होंने बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की। हिंदी साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण हिंदी विषय लेकर उन्होंने साल 1956 में अपनी एम.ए. की पढ़ाई भी पूरी की। साल 1964 के दौरान ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंब विधान’ विषय पर उन्होंने पी.एच.डी. की डिग्री सफलता पूर्वक प्राप्त की।
केदारनाथ सिंह के कार्यक्षेत्र
अपनी पी.एच.डी. की शिक्षा सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत गोरखपुर के एक महाविद्यालय से की। कुछ सालों तक उन्होंने गोरखपुर के महाविद्यालय में हिंदी विषय के प्राध्यापक के रूप में काम किया। इसके बाद, उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आचार्य और अध्यक्ष के पद पर कार्य किया।
उनका कार्यक्षेत्र ज्यादा विस्तृत नहीं रहा। साल 1976 से लेकर 1999 तक, यानी 23 सालों तक, वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ही रहे। ईमानदारी, मेहनत और लगन से अपना कार्य पूरा करने के बाद, वे सेवानिवृत्त हो गए।
केदारनाथ सिंह का साहित्यिक परिचय
केदारनाथ सिंह जी ने महाविद्यालय में शिक्षा लेते समय साहित्यिक रचनाओं का सृजन करना प्रारंभ किया। उन्होंने हिंदी साहित्य में अनेक विधाओं का सृजन किया, लेकिन वे मुख्य रूप से कवि थे। अपने साहित्यिक रचनाओं की लेखन की शुरुआत उन्होंने कविताओं से की। अपनी पी.एच.डी. की शिक्षा लेने से पहले, साल 1960 में उनका “अभी बिल्कुल अभी” नामक काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ। उनके अधिकांश साहित्य के विषय पर्यावरण, प्रकृति, उस समय के गाँवों की जीवनशैली और विभिन्न समाजों की संस्कृति पर आधारित थे।
साल 1996 में प्रकाशित हुआ “बाघ” इस काव्य संग्रह ने उन्हें देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाई। उनकी काव्य रचनाओं के स्वर अहिंसा और शांति के थे। उनके साहित्य की भाषा शैली बहुत ही सरल थी। किसी भी कठिन विषय को सरल तरीके से प्रस्तुत करने की उनकी विशेष कला थी। हिंदी कविता में उस समय व्यवहार में उपयोग की जाने वाली भाषा और देशी जुमलों का उन्होंने अपने काव्य के शब्दों में सही तरीके से उपयोग किया।
ग्रामीण जीवन और प्रकृति का जीवंत वर्णन उनके साहित्य में देखा जा सकता है। उन्हें ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित सात प्रमुख कवियों की सूची में स्थान प्राप्त हुआ, जिसमें कुँवर नारायण, कीर्ति चौधरी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मदन वात्स्यायन, प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह और विजयदेवनरायण साही शामिल हैं। अपने कार्यकाल में केदारनाथ सिंह जी ने कल्पना और छायावाद जैसे आलोचना का सृजन किया, इसके अलावा “क़ब्रिस्तान में पंचायत” जैसे निबंध संग्रह भी लिखे।
केदारनाथ सिंह की साहित्यिक रचनाएँ
केदारनाथ सिंह जी ने अपने कार्यकाल में काव्य संग्रह, आलोचना, निबंध संग्रह, संवाद आदि विधाओं का सृजन किया। इसके अलावा, उन्होंने संपादन कार्य भी किया। उनके द्वारा रचित साहित्यिक रचनाओं के बारे में हमने नीचे जानकारी दी है।
कविता संग्रह
- अभी बिल्कुल अभी
- जमीन पक रही है
- यहाँ से देखो
- बाघ
- अकाल में सारस
- उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
- तालस्ताय और साइकिल
- सृष्टि पर पहरा
आलोचना
- कल्पना और छायावाद
- आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
- मेरे समय के शब्द
- मेरे साक्षात्कार
संपादन
- ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)
- समकालीन रूसी कविताएँ
- कविता दशक
- साखी (अनियतकालिक पत्रिका)
- शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)
निबंध संग्रह
- मेरे समय के शब्द
- क़ब्रिस्तान में पंचायत
संवाद
- मेरे साक्षात्कार
केदारनाथ सिंह की रचनाओं के कुछ अंश
नीचे हमने केदारनाथ सिंह की कविताओं के कुछ अंश प्रस्तुत किए हैं। इसे आप जरूर पढ़ें; आपको इससे उनकी रचनाएँ कितनी अप्रतिम थीं, इसका अंदाजा लग जाएगा।
मुझे विश्वास है
मुझे विश्वास है
यह पृथ्वी रहेगी
यदि और कहीं नहीं तो मेरी हड्डियों में
यह रहेगी जैसे पेड़ के तने में
रहते हैं दीमक
जैसे दाने में रह लेता है घुन
यह रहेगी प्रलय के बाद भी मेरे अंदर
यदि और कहीं नहीं तो मेरी जबान
— केदारनाथ सिंह
दुपहरिया
झरने लगे नीम के पत्ते
बढ़ने लगी उदासी मन की,
उड़ने लगी बुझे खेतों से
झुर-झुर सरसों की रंगीनी,
धूसर धूप हुई मन पर ज्यों—
सुधियों की चादर अनबीनी,
— केदारनाथ सिंह
अंत महज एक मुहावरा है
अंत में मित्रों,
इतना ही कहूंगा
कि अंत महज एक मुहावरा है
जिसे शब्द हमेशा
अपने विस्फोट से उड़ा देते हैं
और बचा रहता है हर बार
वही एक कच्चा-सा
आदिम मिट्टी जैसा ताजा आरंभ
जहां से हर चीज
फिर से शुरू हो सकती है
— केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
केदारनाथ सिंह जी को हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें मिले कुछ पुरस्कारों के बारे में हमने नीचे जानकारी दी है:
- साल 2013 में उन्हें हिंदी साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, से सम्मानित किया गया।
- साल 1989 में उन्हें “अकाल में सारस” इस कविता–संग्रह के लिए साहित्य का महत्वपूर्ण साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
- मध्यप्रदेश शासन द्वारा साहित्यकारों को दिए जाने वाले मैथिलीशरण गुप्त सम्मान पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सबसे बड़ा भारत-भारती सम्मान पुरस्कार देकर उनका गौरव बढ़ाया गया।
- रामधारी सिंह दिनकर जी की स्मृति में दिया जाने वाला साहित्य सम्मान, दिनकर सम्मान पुरस्कार, देकर उन्हें सम्मानित किया गया।
- विख्यात मलयालम कवि कुमारन आशान के नाम से दिया जाने वाला कुमारन आशान (केरल) पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया।
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी साहित्यकारों को दिए जाने वाला भारत भारती सम्मान पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित किया गया।
- साहित्य क्षेत्र में कवि को दिया जाने वाला गंगाधर मेहर राष्ट्रीय कविता सम्मान पुरस्कार देकर उनका गौरव बढ़ाया गया।
केदारनाथ सिंह का निधन
हिंदी साहित्य जगत में आधुनिक युग के प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह जी ने 19 मार्च 2018 को अंतिम साँस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु 83 वर्ष थी। अनेक दशकों तक हिंदी साहित्य की सेवा करने वाले इस महान कवि ने इस दुनिया को अलविदा कहा।
आज केदारनाथ जी हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनकी साहित्यिक रचनाओं में वे आज भी साहित्य प्रेमियों के दिलों में जिंदा हैं। हिंदी साहित्य जगत उनके इस योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा।
FAQs
केदारनाथ सिंह के माता-पिता का क्या नाम था?
केदारनाथ सिंह के पिता का नाम डोमन सिंह और माता का नाम लालझरी देवी था।
केदारनाथ सिंह की मृत्यु कब हुई थी?
केदारनाथ सिंह की मृत्यु 19 मार्च 2018 को हुई थी।
बाघ किसका काव्य संग्रह है?
“बाघ” केदारनाथ सिंह का काव्य संग्रह है, जो 1996 में प्रकाशित हुआ था।
जमीन पक रही है, किसकी रचना है?
“जमीन पक रही है” केदारनाथ सिंह की रचना है, जो 1980 में प्रकाशित हुआ।
अकाल में सारस किसकी रचना है?
अकाल में सारस” केदारनाथ सिंह की रचना है, जो 1988 में प्रकाशित हुई।
सारांश
हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय (Kedarnath Singh Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे भी कवि केदारनाथ सिंह जी की जीवनी और हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के बारे में जान सकें।
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