विश्वनाथ त्रिपाठी का जीवन परिचय – Vishwanath Tripathi Ka Jivan Parichay

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नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम आपके लिए विश्वनाथ त्रिपाठी का जीवन परिचय (Vishwanath Tripathi ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य जगत में आधुनिक युग के प्रमुख आलोचक और साहित्यकारों की सूची में विश्वनाथ त्रिपाठी का नाम अग्रणी है।

उन्होंने हिंदी साहित्य की अनेक विधाओं में अपनी लेखनी से विशेष योगदान दिया है। इसके साथ ही, उन्होंने कई काव्य-संग्रहों और साहित्यिक रचनाओं का संपादन भी किया है। उनकी ‘हिंदी आलोचना’, ‘लोकवादी तुलसीदास’, ‘प्रारंभिक अवधी’, और ‘मीरा का काव्य’ जैसी दर्जनों कृतियाँ प्रकाशित हुईं, जिन्होंने उन्हें ख्याति दिलाई।

विश्वनाथ जी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए ‘साहित्य सम्मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, और ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए, हम विश्वनाथ त्रिपाठी के जीवन और हिंदी साहित्य में उनके योगदान पर एक नजर डालते हैं।

विवरणजानकारी
पूरा नामविश्वनाथ त्रिपाठी
जन्म तिथि16 फरवरी 1931
जन्म स्थानबस्ती जिले, उत्तर प्रदेश, इटवा तहसील, बिस्कोहर गाँव
पिता का नामश्री तेज बहादुर
माता का नामश्रीमती सिरताजी देवी
उच्च शिक्षाबनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी; पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
विवाह तिथि13 जुलाई 1956 (श्रीमती माहेश्वरी त्रिपाठी से)
प्रारंभिक नौकरी15 नवंबर 1958 को देवी सिंह बिष्ट महाविद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्ति
अध्यापक के रूप में नियुक्ति8 अक्टूबर 1959 को किरोरीमल कॉलेज, दिल्ली में अध्यापक के रूप में नियुक्ति
सेवानिवृत्त तिथि15 फरवरी 1996
प्रमुख कृतियाँ‘हिंदी आलोचना’, ‘लोकवादी तुलसीदास’, ‘प्रारंभिक अवधी’, ‘मीरा का काव्य’, ‘व्योमकेश दरवेश’ आदि
साहित्यिक योगदानआलोचना, संस्मरण, काव्य रचनाएँ, संपादन कार्य
संपादित रचनाएँ‘हिंदी के प्रहरी’, ‘रामविलास शर्मा’, ‘चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’, ‘केदारनाथ अग्रवाल: संकलित कविताएँ’
प्रमुख पुरस्कारसाहित्य सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, शान्तिकुमारी वाजपेयी सम्मान, व्यास सम्मान, मूर्तिदेवी पुरस्कार, भारत भारती सम्मान, डॉ. रामविलास शर्मा सम्मान, आदि

विश्वनाथ त्रिपाठी का प्रारंभिक जीवन

हिंदी साहित्य के प्रमुख आलोचक और साहित्यकार, विश्वनाथ त्रिपाठी का जन्म 16 फरवरी 1931 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिले के इटवा तहसील के बिस्कोहर नामक एक गाँव में हुआ। उनके पिता का नाम श्री तेज बहादुर और माता का नाम श्रीमती सिरताजी देवी था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गाँव में प्राप्त की।

इसके बाद, आगे की पढ़ाई के लिए वे कानपुर चले आए। कुछ समय तक कानपुर में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में प्रवेश मिल गया, जहाँ उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। फिर वे पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ चले गए और वहाँ रहकर पी.एच.डी. की डिग्री पूरी की।

हिंदी साहित्य जगत में प्रमुख साहित्यकारों में विश्वनाथ त्रिपाठी जी का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। पढ़ाई के दौरान ही घरवालों ने उनका विवाह कर दिया। 13 जुलाई 1956 को वे श्रीमती माहेश्वरी त्रिपाठी के साथ विवाह बंधन में बंध गए।

विश्वनाथ त्रिपाठी का कार्यक्षेत्र

विश्वनाथ त्रिपाठी जी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी करने का निर्णय लिया। उन्हें शिक्षा और हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विशेष रुचि थी, इसलिए उन्होंने अपने करियर की शुरुआत शिक्षा क्षेत्र से की। पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे 15 नवंबर 1958 को देवी सिंह बिष्ट महाविद्यालय में अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएँ देने लगे। एक साल तक यहाँ काम करने के बाद, 8 अक्टूबर 1959 को उन्हें दिल्ली के किरोरीमल कॉलेज में अध्यापक के तौर पर नियुक्त किया गया।

इसके बाद, वे दिल्ली विश्वविद्यालय, जो कि भारत का केंद्रीय विश्वविद्यालय है, में भी कार्यरत रहे। इस विश्वविद्यालय में उन्होंने लंबे समय तक अपनी सेवा दी और अंततः 15 फरवरी 1996 को 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हो गए।

विश्वनाथ त्रिपाठी का साहित्यिक परिचय

विश्वनाथ त्रिपाठी जब अध्यापक के रूप में कार्य कर रहे थे, तब उन्होंने अपनी साहित्यिक रचनाओं का सृजन करना शुरू किया। वे मुख्य रूप से आलोचक थे। उनके समकालीन साहित्यकार सुरेन्द्र चौधरी के बाद, अगर आलोचक के रूप में किसी हिंदी साहित्यकार का नाम लिया जाए, तो वह हैं विश्वनाथ त्रिपाठी।

व्योमकेश दरवेश उनकी आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के स्मरण में लिखी गई सबसे प्रसिद्ध आलोचना है। इस काव्य में द्विवेदी जी की जीवनी के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी साहित्यिक रचनाओं के अधिकांश विषय में उस समय और समाज का चित्रण मिलता है।

1970 में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हिंदी आलोचना उनकी पहली प्रमुख साहित्यिक रचना थी। इसके बाद उनकी रचनाओं का सिलसिला लगातार जारी रहा। वे उस समय के प्रसिद्ध संपादक भी थे, और उन्होंने रामविलास शर्मा की हिंदी के प्रहरी, चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’, केदारनाथ अग्रवाल: संकलित कविताएँ जैसी महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाओं का संपादन किया।

आलोचना और संस्मरण के क्षेत्र में हिंदी साहित्यकारों में कुछ गिने-चुने नामों में से एक नाम विश्वनाथ त्रिपाठी जी का है। उन्होंने अपने कार्यकाल में काव्य की भी रचना की, और उनका काव्य संग्रह जैसा कह सका प्रकाशित हुआ। विश्वनाथ त्रिपाठी जी की साहित्यिक रचनाओं से यह स्पष्ट होता है कि वे भाषा और साहित्य के प्रति कितने ईमानदार और गहरी समझ के साथ लिखते थे। उनके द्वारा लिखी गई रचनाओं में आपको उनके लेखन की ईमानदारी का अहसास होगा, और उनके हर एक शब्द और पंक्ति का महत्व समझ में आएगा।

विश्वनाथ त्रिपाठी की साहित्यिक रचनाएँ

विश्वनाथ त्रिपाठी जी ने अपने कार्यकाल में अनेक साहित्यिक रचनाओं का सृजन किया। इसके अलावा, उन्होंने साहित्य का संपादन कार्य भी किया। उनके द्वारा रचित कुछ प्रमुख साहित्यिक रचनाओं के बारे में हमने नीचे जानकारी दी है।

साहित्यिक रचनाएँ

  • हिंदी आलोचना – 1970
  • लोकवादी तुलसीदास – 1974
  • प्रारंभिक अवधी – 1975
  • मीरा का काव्य – 1979
  • हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास – 1986
  • देश के इस दौर में (परसाई केंद्रित) – 1989
  • हरिशंकर परसाई (विनिबंध) – 2007
  • कुछ कहानियाँ: कुछ विचार – 1998
  • पेड़ का हाथ (केदारनाथ अग्रवाल केंद्रित) – 2002
  • केदारनाथ अग्रवाल का रचना-लोक – 2013
  • जैसा कह सका (कविता संकलन) – बिस्कोहर में समाहित
  • नंगातलाई का गाँव (स्मृति-आख्यान) – 2004
  • गंगा स्नान करने चलोगे (संस्मरण) – 2006
  • अपना देस-परदेस (विविध विषयक आलेख एवं टिप्पणियाँ) – 2010
  • व्योमकेश दरवेश (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की जीवनी एवं आलोचना) – 2011
  • गुरु जी की खेती-बारी (संस्मरण) – 2015
  • उपन्यास का अंत नहीं हुआ है – 2015
  • कहानी के साथ-साथ – 2016
  • आलोचक का सामाजिक दायित्व – 2016

संपादन कार्य

  • कविताएँ 1963
  • कविताएँ 1964
  • कविताएँ 1965
  • हिंदी के प्रहरी
  • चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
  • केदारनाथ अग्रवाल
  • मध्यकालीन हिंदी काव्य

विश्वनाथ त्रिपाठी को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान

विश्वनाथ त्रिपाठी जी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। नीचे हमने उन्हें प्राप्त कुछ पुरस्कारों के बारे में जानकारी दी है।

  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल शोध संस्थान (वाराणसी) द्वारा दिया जानेवाला गोकुलचंद्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार देकर उनका सम्मान किया गया।
  • हिंदी साहित्य के सर्वोत्तम आलोचक को दिया जानेवाला डॉ॰ रामविलास शर्मा सम्मान देकर उनका गौरव बढ़ाया गया।
  • भारत के प्रमुख साहित्यकारों को दिया जानेवाला सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार देकर उनका सम्मान किया गया।
  • हिंदी अकादमी द्वारा दिया जानेवाला साहित्य सम्मान पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया।
  • हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें शान्तिकुमारी वाजपेयी सम्मान पुरस्कार दिया गया।
  • प्रसिद्ध हिंदी कवि शमशेर बहादुर सिंह की स्मृति में दिया जानेवाला शमशेर सम्मान देकर उनका गौरव बढ़ाया गया।
  • मध्यप्रदेश शासन की ओर से हिंदी साहित्यकारों की सराहना करने के लिए दिया जानेवाला मैथिलीशरण गुप्त सम्मान पुरस्कार देकर उनका सम्मान किया गया।
  • उनकी प्रसिद्ध रचना व्योमकेश दरवेश के लिए उन्हें 2013 में व्यास सम्मान पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • साहित्य रचनाओं में उत्तम लेखन कार्य के लिए उन्हें साहित्य अकादमी द्वारा भाषा सम्मान पुरस्कार दिया गया।
  • 2014 में फिर से व्योमकेश दरवेश के लिए उन्हें मूर्तिदेवी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
  • 2015 में विश्वनाथ जी को भारत भारती सम्मान पुरस्कार देकर गौरवित किया गया।

FAQs

  • नंगा तलाई का गांव किसकी रचना है?

    नंगातलाई का गाँव विश्वनाथ त्रिपाठी जी की एक प्रसिद्ध रचना है। यह उनके द्वारा रची गई एक आत्मकथा है।

  • व्योमकेश दरवेश किसकी जीवनी है?

    व्योमकेश दरवेश आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की जीवनी और आलोचना है, जिसे विश्वनाथ त्रिपाठी ने लिखा है। यह रचना आचार्य द्विवेदी के जीवन और उनके साहित्यिक योगदान को समर्पित है।

  • बिस्कोहर की माटी के लेखक कौन थे?

    बिस्कोहर की माटी पुस्तक के लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी जी हैं। यह रचना उनके बचपन और उनके गांव बिस्कोहर (जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित है) उस गाँव के उपर आधारित है।

  • लोकवादी तुलसीदास किसकी रचना है?

    लोकवादी तुलसीदास विश्वनाथ त्रिपाठी जी की एक प्रसिद्ध आलोचनात्मक रचना है।

  • कुछ कहानियाँ: कुछ विचार किसकी रचना है?

    कुछ कहानियाँ: कुछ विचार विश्वनाथ त्रिपाठी जी की एक महत्वपूर्ण रचना है। इस पुस्तक में त्रिपाठी जी ने कथात्मक रूप में अपनी कुछ कहानियों को प्रस्तुत किया है।

निष्कर्ष

हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत विश्वनाथ त्रिपाठी का जीवन परिचय (Vishwanath Tripathi Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी विश्वनाथ त्रिपाठी जी की जीवनी और हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के बारे में जान सकें।

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प्रसिद्ध साहित्यकारों की जीवनी

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