Kabir Das Ka Jivan Parichay । अज्ञात से ज्ञान तक कबीर दास जी की अद्वितीय यात्रा!
Kabir Das Ka Jivan Parichay (Biography) : (Age, Janm, Cast, Religion, Dohe, Vani, Education, Family, Parents, Wife Name, Full Name, Guru Name, Rachnaye, Works, Death)
हमारे भारत भूमी का एक इतिहास है। जब भी पाखंड और अंधविश्वास की काली छाया छाई होती है, तो उसे दूर करने के लिए हमेशा संतों और महापुरुषों ने इस भूमि पर अवतार लिया है। उस समय समाज में अंधविश्वास, पुरानी रूढ़ियों, अस्पृश्यता, हावी होने लगी थी। जातिवादी लोग हिंदू-मुस्लिम लोगों के माथापच्ची भड़काकर दंगे-फसाद कर रहे थे।
और उसी समय जन्म हुआ कबीर जी का, कबीर जी ने समाज में चल रही विपरीत रूढ़ियों परंपरा और अंधविश्वास को जड़ से मिटाने का काम शुरू किया। विपरीत परिस्थितियों में समाज को सुधारने का रास्ता बहुत ही कठिन था। धर्म के ठेकेदारों ने उनके खिलाफ जोर से विरोध किया लेकिन समाज में बिखरे हुए अंधकार को मिटाने का कार्य उन्होंने निरंतर जारी रखा। उन्होंने दोहे के माध्यम से दिया गया ज्ञान आज भी सर्वश्रेष्ठ हैं।
कबीर दास का जीवन परिचय । Kabir Das Ka Jivan Parichay
आज इस लेख में हम कबीर जी के जीवन परिचय के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यह लेख आप पूरा पढ़ें ताकि आपको कबीर जी की जीवनी के बारे में पूरी जानकारी मिले। चलिए, अब हम देखते हैं कबीर जी के जीवन का एक नजराना।
विशेषता | विवरण |
---|---|
नाम | कबीर दास |
आयु | (1398 -1518) 120 वर्ष |
जन्म तिथि | 1398 ईसा पूर्व |
माता का नाम | नीमा |
पिता का नाम | निरू |
पत्नी का नाम | लोई |
बेटे का नाम | कमाल |
बेटी का नाम | कमाली |
गुरु का नाम | जगद्गुरु रामानंदजी |
रचनाएं | साखी, सबद, रमैनी, कबीर बीजक, सुखनिधन, रक्त, वसंत, होली अगम |
मृत्यु तिथि | संवत 1575 विक्रमी (1518 ईसवी) |
कबीर दास का जन्म । Kabir Das Ka Janm Kab Hua
हमे प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, भारत भूमी के महान संत, कबीर जी का जन्म तेरहवीं सदी के अंत में सन 1398 ईसा पूर्व में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मण स्त्री के कोख से हुआ था, लेकिन लोकलाज से भयभीत होकर, उस स्त्री ने कबीर जी को उत्तर प्रदेश के काशी में लहरतारा नामक एक तालाब के किनारे छोड़ दिया।
एक जुलाहा दाम्पत्य उस तालाब की किनारे अक्सर आते थे, उन्हें यह बच्चा दिखा, और उन्होंने इस बच्चे को अपनी गोद में उठाकर घर ले आया और उसे माँ-बाप का प्यार दिया, उसका पालन-पोषण किया। इस दाम्पत्य का नाम था निमा और निरू, अंत में वही कबीर जी के माँ-बाप कहलाये।
कबीर दास जी का परिवार । Kabir Das Family
उपर हमने कबीर जी के जन्म की कहानी देखी। उनकी माता का नाम नीमा और पिता का नाम निरू था। उनका परिवार मुस्लिम समाज से था, लेकिन पेशे से वह बूनकर (जुलाहा) परिवार से थे। उनका अधिकांश जीवन वाराणसी (बनारस) में गुजरा।
शादी के उम्र में कबीर जी ने लोई नामक महिला के साथ शादी के बंधन में बंध गए। लोई से उनको दो बच्चे हुए, एक बेटा और एक बेटी। उनके बेटे का नाम था कमाल और बेटी का नाम था कमाली।
कबीर दास जी के गुरु । Kabir Das Ke Guru Kaun The
14 वीं सदी के संत, जगद्गुरु रामानंदजी, यह कबीर जी के गुरु थे। वे एक गौड़ ब्राह्मण परिवार से थे और कबीर बूनकर (जुलाहा) समाज से इसलिए वे कबीर जी को अपना शिष्य बनाने के लिए मना कर रहे थे। कबीर जी ने एक युक्ति निकाली, उन्हें पता था कि रामानंदजी अक्सर प्रातःकाल वाराणसी के तट पर स्थित घाट पर जाते हैं।
एक दिन कबीर जी ने रामानंदजी को घाट पर आते हुए देखा। वे घाट की सीढ़ियों पर लेट गए। रामानंदजी का नीचे ध्यान नहीं था, उनका पैर कबीर जी के पर पड़ा और उनके मुह से राम नाम निकला, यह गुरु मंत्र मानकर कबीर जी ने रामानंदजी को दीक्षा देने की बिनती की। रामानंदजी ने उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया और तबसे कबीर जी रामानंद जी के परमशिष्य बन गए।
कबीर जी सहीत रामानंदजी के बारह शिष्य थे, उन्हें द्वादश महाभागवत के नाम से जाना जाता है।
कबीर दास जी का कार्य । Kabir Das ji’s work
कबीर जी संत बाद में पहले वे एक समाज सुधारक थे। उस वक्त पूरे समाज में अंधविश्वास, जातिवाद, पाखंड, और कर्मकांड फैला हुआ था। कबीर जी ने अपने जीवनकाल का पूरा समय लोगों के कल्याण के लिए लगाया। उनका एक ही मकसद था, यह पाखंड, जातिवाद, और छुआ-छुत का विष पूरे समाज में फैला हुआ है, इसको जड़ से मिटाने के कार्य उन्होंने अपने जीवनकाल में किया।
उस वक्त हिंदू और मुस्लिम दोनों ने उनकी दी गई शिक्षा का अनुसरण किया। सामाजिक भेदभाव जड़ से मिटाने के लिए कबीर जी कार्य करते रहे। उन्होंने लिखे हुए दोहे और कविता सभी मानव जाति को जागरूक करने के लिए थे।
कबीर दास जी की प्रमुख रचनाएं । Kabir Das Ji Ki Rachnaye
कबीर जी का शिक्षण कुछ भी नहीं था, यह उन्होंने खुद कहा था। इसके बावजूद भी, उन्होंने तैयार की रचनाएं इतनी सुंदर हैं कि आप पढ़ते ही जाएँगे। उनके द्वारा रची गई हर एक रचना इतनी सरल है कि पढ़ने वाले व्यक्ति को सहजता से उनका अर्थ पता चलेगा। उनका हर एक काव्य इस संसार से परे आत्मा और परमात्मा पर आधारित है। उनके द्वारा रचित कुछ ग्रंथों की सूची हमने नीचे दी है। यह ग्रंथ आप जरूर पढ़ें।
- साखी
- सबद
- रमैनी
- कबीर बीजक
- सुखनिधन
- रक्त
- वसंत
- होली अगम
इन सभी रचनाओं में उनके बीजक नामक ग्रंथ बेहद ही सुंदर हैं। हर एक ग्रंथ में उनके शब्द इतने सुंदर हैं कि ऐसा लगता था कि परमात्मा स्वयं उनके मुख से यह शब्द लेखनी के माध्यम से कागज़ पर उतर रहा है।
कबीर के दोहे हिंदी में । Kabir Das Ke Dohe in Hindi
कबीर दास के दोहे इतने सुंदर और सरल हैं कि आप देखते ही उनका अर्थ समझ सकते हैं। और उस हर एक दोहे को आप याद रखकर उन दोहों का सहारा लेकर जीवन का आगे का रास्ता चल सकते हैं। क्योंकि उनके दोहे हमारे जीवन में आने वाले सुख और दुःख के ऊपर आधारित हैं। जीवन में आने वाले दुःखों का कारण इन दोहों में छिपा हुआ है। आप इसे जरूर पढ़ें। क्या पता आपको जीवन बहुत ही सरलता से जीना आ जायेगा।
जब तू तलवार चलाता है,
तो अपनी खोज में रहे।
बाहर तो भले ही तू जाए,
पर अंदर की बात ना निकले।
कबीरा खड़ा बाजार में,
मांगे सबुट, धन देवे,
मति कोई संगी न खेवे।
सांचो समाचो धनी सांचे,
तो तोटा धनी खाय।
दुख में सुमिरन सब करै,
सुख में करै न कोई।
जो सुख में सुमिरन करै,
तो दुख काहे को होय।
कबीरा तेरा कुचा तूका,
क्या ढब्बो दास की।
अवधपुरी में जिन्हें मिले,
वो कृष्ण कहलाए बासी।
माटी कहे कुम्हार से,
तु क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा,
मैं रौंदूंगा तोय।
साईं इतना दीजिये,
जा में कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ,
साधु न भूखा जाय।
कबीर दास की मृत्यु । Kabir Das Death Date
कबीर दास भारत की भूमि पर होकर गए एक महान संतों में से एक थे। कबीर दास जी की जन्म और मृत्यु की तारीखों के बारे में संभ्रम और अलग-अलग मतभेद हैं। लेकिन मिले हुए कुछ प्रमाणों के आधार पर उनकी मृत्यु संवत 1575 विक्रमी (1518 ईस्वी पूर्व) में हुई थी।
उनका बचपन और वृद्धावस्था का पूरा जीवन वाराणसी में बिता था, लेकिन जीवन के कुछ साल बाकी थे, तब वे उत्तर प्रदेश में स्थित मगहर चले गए। वहाँ उनका देहांत हो गया।
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सारांश
आज इस लेख में हमने हमें मिली जानकारी के अनुसार संत कबीर जी का जीवन (Kabir Das Ka Jivan Parichay) कुछ शब्दों में लिखने की कोशिश की। वास्तव में उनकी जीवन को कुछ शब्दों में बयान करना मुश्किल है। क्योंकि उनके जीवनकाल में उन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया। आपको यह लेख कैसा लगा, आप कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं, या इस लेख में कोई जानकारी आपको गलत लगी तो आप हमें मेल कर सकते हैं। हम सही जानकारी लेख में जोड़ने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद।