उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय – Upendranath Ashk Ka Jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम आपके लिए उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय (Upendranath Ashk Ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। उपेन्द्रनाथ अश्क हिंदी साहित्य जगत में एक लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी कल्पक बुद्धि और अप्रतिम लेखनी से उन्होंने अनेक कथा, उपन्यास, एकांकी, नाटक, आलोचना आदि की रचना की। वे मुख्य रूप से कथाकार थे, इसके अलावा उन्होंने काव्य रचनाओं में भी अपना योगदान दिया है। उनकी रचनाएँ आपको हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में देखने को मिलती हैं। उनकी इस साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था।
उपेन्द्रनाथ अश्क जी की बहुत सी रचनाओं का पाठ आज भी देश के अनेक विद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ाया जाता है। उनकी साहित्यिक रचनाओं पर बहुत से छात्रों ने पीएचडी की है। देश में होने वाले अनेक स्पर्धा परीक्षाओं में उनके साहित्य के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं। तो आइए, उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय और हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान की विस्तृत जानकारी पर नज़र डालते हैं।
विवरण | जानकारी |
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नाम | उपेन्द्रनाथ अश्क |
जन्म तिथि | 14 दिसंबर 1910 |
जन्म स्थान | जालंधर, पंजाब |
माता-पिता | पंडित माधोराम और वसंती देवी |
शिक्षा | डीएवी कॉलेज से मैट्रिक और बीए, लॉ की पढ़ाई |
पेशा | लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, कवि |
प्रमुख रचनाएँ | ‘गिरती दीवारें’, ‘छींटे’, ‘जय पराजय’, ‘दीप जलेगा’ आदि |
प्रमुख पुरस्कार | सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार (1972), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1965) |
मृत्यु तिथि | 19 जनवरी 1996 |
योगदान | हिंदी और उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण रचनाएँ |
Contents
उपेन्द्रनाथ अश्क का प्रारंभिक जीवन
हिंदी साहित्य जगत के छायावादोत्तर युग के प्रमुख साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क का जन्म 14 दिसंबर सन् 1910 ईस्वी में पंजाब के जालंधर में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित माधोराम था, और माता का नाम वसंती देवी। पंडित माधोराम एक स्टेशन मास्टर थे, जबकि वसंती देवी गृहिणी थीं। माधोराम और वसंती देवी के छह संतानों में उपेन्द्रनाथ जी दूसरे थे। उनका बचपन बहुत कठिनाइयों में गुजरा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने संघर्षमय जीवन में अश्क जी ने अच्छी पढ़ाई की और साहित्यिक रचनाओं का सृजन करके हिंदी साहित्य जगत में अपना नाम किया।
अश्क जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर से शुरू की। उनके पिताजी पंडित माधोराम अश्क जी को संस्कृत के श्लोक पढ़ाते थे और उनसे उस श्लोक का उच्चारण करवाते थे। डीएवी कॉलेज से अश्क जी ने 1926 में मैट्रिक और उसी कॉलेज से 1931 में बीए की परीक्षा भी पास कर ली। उनका वकील बनने का सपना था, इसलिए उन्होंने लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और 1934 के दौरान लॉ की परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर ली।
उपेन्द्रनाथ जी जब बीए की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौर में उनका विवाह शीलादेवी नामक एक युवती से हुआ। लेकिन शीलादेवी हमेशा बीमार रहती थीं। कुछ साल बाद बीमारी के चलते शीलादेवी की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद घर को चलाने के लिए उन्होंने दूसरा विवाह किया, लेकिन यह शादी ज्यादा दिन तक नहीं चली। फिर उन्होंने तीसरा विवाह किया, उनकी तीसरी पत्नी का नाम कौशल्या था, जिन्होंने आजीवन अश्क जी का साथ निभाया।
उपेन्द्रनाथ अश्क का कार्यक्षेत्र
उपेन्द्रनाथ जी बचपन से वकील, लेखक, अभिनेता, संपादक, वक्ता और डायरेक्टर बनना चाहते थे। उन्हें अपने जीवन में बचपन से लेकर वैवाहिक जीवन तक बहुत संघर्ष करना पड़ा। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपने सपने पूरे करने की ठान ली थी।
उन्होंने उपजीविका के लिए 1941 में ऑल इंडिया रेडियो में सलाहकार के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने फिल्म नगरी बंबई (मुंबई) जाने का निर्णय लिया। 1945 में वे बंबई (मुंबई) आ गए और यहाँ रहकर कुछ फिल्मों के संवाद लिखने का कार्य किया। लेकिन यहाँ उनका मन नहीं लगा और वे फिर इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) आ गए।
बंबई (मुंबई) से लौटने के बाद अश्क जी को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनके सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया। लेकिन इसी दौरान भी उन्होंने हार नहीं मानी। संघर्ष करके वे साहित्यिक रचनाओं का सृजन करते रहे। इस संघर्षमय दौर में उनकी पत्नी ने उन्हें साथ दिया। इस बीमारी से बाहर निकलने के बाद उन्होंने ‘नीलाभ प्रकाशन’ की स्थापना की और इसे ऊंचाई तक पहुँचाने का कार्य किया।
उपेन्द्रनाथ अश्क का साहित्यिक परिचय
उपेन्द्रनाथ अश्क जी ने बचपन से ही साहित्यिक रचनाओं का सृजन करना शुरू किया था। आपको उनकी बहुत सी रचनाएँ उर्दू में भी देखने को मिलेंगी, क्योंकि शुरुआती दौर में उन्होंने अपनी साहित्यिक रचनाएँ उर्दू में की थीं। उसके बाद मुंशी प्रेमचंद से उनकी मुलाकात हुई, जिन्होंने उन्हें हिंदी में साहित्यिक रचनाएँ करने की सलाह दी। उनके कहने पर उन्होंने हिंदी में रचनाएँ लिखनी शुरू कीं। जब वे शिक्षा ले रहे थे, उसी समय 1926 में उनकी पहली रचना ‘तूफाने अश्क’ प्रकाशित हुई थी।
उसके बाद उनकी रचनाएँ लगातार प्रकाशित होती रहीं। ‘गिरती दीवारें’, ‘निमिषा’ जैसे कई उपन्यास उनके द्वारा लिखे गए। ‘छींटे’, ‘जुदाई की शाम का गीत’, ‘वासना के स्वर’ उनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह थे। उन्होंने ‘जय पराजय’, ‘स्वर्ग की झलक’, ‘पर्दा उठाओ: पर्दा गिराओ’, ‘तूफ़ान से पहले’ जैसे कई नाटक और एकांकी का सृजन किया। वे मुख्य रूप से लेखक होने के बावजूद ‘दीप जलेगा’, ‘अदृश्य नदी’, ‘चांदनी रात’ और ‘अजगर’ जैसे काव्य संग्रह की रचना भी की।
उन्होंने अपनी सभी रचनाओं में अद्भुत भाषा शैली का प्रयोग किया, जिससे उनका लेखन साहित्य प्रेमियों को सहजता से समझ में आता है।
उपेन्द्रनाथ अश्क की साहित्यिक रचनाएँ
उपेन्द्रनाथ अश्क जी मुख्य रूप से लेखक थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, एकांकी, काव्य, जीवनी, आलोचना, अनुवाद, और संपादक के रूप में भी कार्य किया। उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में हमने नीचे जानकारी दी है।
उपन्यास
- गिरती दीवारें
- निमिषा
- शहर में घूमता आईना
- एक रात का नरक
- सितारों का खेल
- बड़ी बड़ी आँखें
- गर्म राख
- एक नन्ही कंदील
- छोटे बड़े लोग
- पलटती धारा
- चंद्रा
कहानी संग्रह
- छींटे
- जुदाई की शाम का गीत
- वासना के स्वर
- काले साहब
- निशानियाँ
- उबाल और अन्य कहानियाँ
- दो धारा
- पिंजरा
नाटक
- जय पराजय
- अंजो दीदी
- कैद और उड़ान
- स्वर्ग की झलक
- पैंतरे
- छठा बेटा
एकांकी
- पर्दा उठाओ: पर्दा गिराओ
- मुखड़ा बदल गया
- तौलिये
- चुंबक
- तूफ़ान से पहले
- देवताओं की छाया में
- लक्ष्मी का स्वागत
- कइसा साब: कइसी माया
- चरवाहे
- मस्केबाजों का स्वर्ग
- अंधी गली
- अधिकार का रक्षक
- सूखी डाली
- साहब को जुकाम है
- मैमूना
काव्य रचनाएँ
- दीप जलेगा
- अदृश्य नदी
- चांदनी रात और अजगर
- स्वर्ग एक तलधर है
- सड़कों के ढले साए
- बरगद की बेटी
- पीली चोंच वाली चिड़िया के नाम
संस्मरण, जीवनी और लेख
- परतों के आर पार (प्रसिद्ध कथाकार ओ. हेनरी के जीवन पर आधारित)
- ज्यादा अपनी कम परायी
- मंटो मेरा दुश्मन
- रेखाएँ और चित्र
- बेदी: मेरा हमदम, मेरा दोस्त
आलोचना
- अन्वेषण की सहयात्रा
- हिंदी कहानियां और फैशन
संपादन
- उदास फूल की मुस्कान
- संकेत
- तूफानी लहरों में हँसता माँझी
उपेन्द्रनाथ अश्क के पुरस्कार और सम्मान
अपने साहित्यिक योगदान के लिए उपेन्द्रनाथ अश्क जी को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उन्हें मिले कुछ पुरस्कारों के बारे में हमने नीचे जानकारी दी है।
- साल 1965 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- अपने साहित्यिक योगदान के लिए साल 1972 में उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
उपेन्द्रनाथ अश्क का निधन
बुढ़ापे में स्वास्थ्य खराब होने के कारण 19 जनवरी 1996 में उपेन्द्रनाथ अश्क जी ने इस दुनिया को अलविदा कहा। मृत्यु के समय उनकी आयु 85 साल थी। आज शरीर रूप से अश्क जी हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी साहित्यिक रचनाओं के कारण वे आज भी साहित्य प्रेमियों के मन में जीवित हैं। हिंदी साहित्य जगत को अपने कार्यकाल में ऊंचाई तक ले जाने का कार्य उन्होंने किया। उनके इस कार्य के लिए हिंदी साहित्य जगत सदैव उनका ऋणी रहेगा।
FAQs
अश्क किसका उपनाम है?
अश्क उपेन्द्रनाथ अश्क का उपनाम है। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक थे और उनका असली नाम उपेन्द्रनाथ था।
स्वर्ग की झलक किसका नाटक है?
“स्वर्ग की झलक” उपेन्द्रनाथ अश्क का नाटक है।
जय पराजय किसका नाटक है?
“जय पराजय” उपेन्द्रनाथ अश्क का नाटक है।
प्रेम की वेदी किसकी रचना है?
“प्रेम की वेदी” उपेन्द्रनाथ अश्क की रचना है।
चेहरे अनेक किसकी रचना है?
“चेहरे अनेक” उपेन्द्रनाथ अश्क का नाटक है, जो मानवीय भावनाओं और सामाजिक मुद्दों को दर्शाता है। इसमें पात्रों के माध्यम से समाज के छिपे चेहरों और सच्चाइयों को उजागर किया गया है।
सारांश
हमें विश्वास है कि हमने इस लेख में प्रस्तुत उपेन्द्रनाथ अश्क का जीवन परिचय (Upendranath Ashk Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ साझा करना न भूलें। हमारी वेबसाइट पर आपको इसी तरह के विभिन्न लेख देखने को मिलेंगे। अगर आप हमसे जुड़ना चाहते हैं तो व्हाट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं। धन्यवाद।