कालिदास का जीवन परिचय – Kalidas Ka Jivan Parichay
दोस्तों, नमस्कार। आज हम इस लेख में महाकवि कालिदास का जीवन परिचय देखने जा रहे हैं। महाकवि कालिदास का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। अनुमान के अनुसार, वे चौथी-पांचवीं शताब्दी के एक महान संस्कृत लेखक, नाटककार और कवि थे। उन्होंने संस्कृत में अनेक रचनाओं का निर्माण किया, परंतु उनमें से कुछ ही रचनाएँ मिली हैं। इससे अनुमान लगाया जाता है कि कालिदास उस सदी के एक महान रचनाकार थे। उस वक्त राजा विक्रमादित्य का राज्य था, और कवि कालिदास विक्रमादित्य के राजदरबार के नवरत्नों में से एक माने जाते हैं।
उनकी रचनाओं में मानवी जीवन का वर्णन करते समय कालिदास ने सरल और मीठी भाषा का प्रयोग किया है। इन रचनाओं में पाठक खुद को खो जाता है। इस लेख में दी गई महान कवि कालिदास की जीवनी को पढ़ना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।
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कालिदास का जीवन परिचय – Kalidas Ka Jivan Parichay
इस लेख में हम महान कवि कालिदास का जीवन परिचय विस्तार से देखेंगे। इसमें हम उनके जन्म, विवाह, रचनाएँ और उनकी विशेषताओं के बारे में जानेंगे। तो चलिए, हम उनके जीवन पर एक नजर डालते हैं।
विषय | जानकारी |
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जन्म | उज्जैन या देवभूमि (निश्चित नहीं है) |
विवाह | विद्योत्तमा (राजकुमारी) से |
महाकाव्य | रघुवंशम्, कुमारसंभवम् |
नाटक | अभिज्ञानशाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् |
परंपरा | उन्हें विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में गिना जाता है। |
भाषा | संस्कृत |
प्रमुख रचनाएँ | रघुवंशम्, कुमारसंभवम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् |
महान योगदान | सरल और मीठी भाषा में मानवीय जीवन का वर्णन करना। |
उल्लेखनीय | उन्हें भारतीय साहित्य के सबसे महान कवि और लेखकों में से एक माना जाता है। |
प्रसिद्धिः | उनके नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम् और उनके महाकाव्य रघुवंशम् को अपनी अद्वितीय साहित्यीय प्रतिभा के लिए जाना जाता है। |
व्यक्तित्व | कालिदास को ब्रह्मा का वर्णन किया गया है, जो साहित्यिक प्रतिभा और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। |
जन्म और प्रारंभीक जीवन
कालिदास का जन्म कब हुआ और उनका जन्मस्थान कौन सा है, इसके बारे में विद्वानों में अनेक मतभेद हैं। उनके जन्मतिथि और जन्मस्थान के बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन उनके “मेघदूत” इस ग्रंथ में उन्होंने उज्जैन का बहुत सुंदर वर्णन किया है। इसके अनुसार, कालिदास उज्जैन में जन्मे थे, यह अनुमान लगाया जाता है।
कुछ लोग यह भी अनुमान लगाते हैं कि उनका जन्म देवभूमि नाम से जाने वाली उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हुआ। वे कैसे दिखते थे, इस बारे में कुछ किंवदंती के आधार पर उनका चित्र तैयार किया गया। कहा जाता है कि वे दिखने में सुंदर थे और उनका शरीर मजबूत था।
एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि और रचनाकार बनने से पहले, शुरुआती जीवन में लोग उन्हें बहुत ही मूर्ख और अनपढ़ मानते थे। और यह भी कहा जाता है कि 18 साल की आयु तक वे अज्ञानी थे। कोई भी कार्य करते समय उसमें वे अपनी मूर्खता का परिचय देते थे।
कालिदास का विद्योत्तमा से विवाह
कालिदास का विवाह विद्योत्तमा नामक एक राजकुमारी से हुआ वह राजा शारदानन्द की बेटी थी। आप सोच रहे होंगे कि एक राज्य की राजकुमारी ने कालिदास से कैसे विवाह किया, क्योंकि कालिदास उस समय मंद बुद्धि के इंसान थे। इसके पीछे एक कहानी है।
विद्योत्तमा एक राजकन्या थी। उसे अपने ज्ञान पर बहुत गर्व था। जब विद्योत्तमा की शादी की आयु हुई, तब उसने शादी के लिए एक प्रण रखा था। जो कोई पुरुष उसे शास्त्रार्थ में हराएगा, उसी से वह शादी करेगी। बहुत से विद्वानों ने यह प्रयास किया, लेकिन उनमें से कोई भी सफल नहीं हो सका।
विद्योत्तमा के लिए राज्य के कुछ ज्ञानी लोग एक विद्वान इंसान को ढूंढ रहे थे। एक दिन, उन्होंने एक आदमी को पेड़ की एक शाखा पर बैठे हुए देखा। वह आदमी जिस शाखा पर बैठा था, उसी को काट रहा था। विद्वानों के ध्यान में आया कि यह व्यक्ति बहुत ही मूर्ख है। उन्होंने सोचा कि उसे ही इस स्वयंवर के लिए तैयार किया जाए। वह व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि कवि कालिदास थे।
शास्त्रार्थ के दिन कालिदास को राजदरबार में लाया गया। शास्त्रार्थ के दौरान विद्योत्तमा मौन थीं और केवल हाथों के इशारों से यह शास्त्रार्थ हो रहा था।
विद्योत्तमा ने अपनी एक उंगली उठाई। इसके उत्तर में कालिदास ने दो उंगलियाँ उठाईं।
उंगली उठाकर विद्योत्तमा का मौन स्थिति में प्रश्न था कि ब्रह्मा एक ही हैं। लेकिन कालिदास को लगा कि उंगली उठाकर विद्योत्तमा ने कहा कि तुम्हारी एक आँख फोड़ दूंगी। इसके उत्तर में कालिदास ने दो उंगलियाँ उठाईं, जिसका मतलब था कि मैं तुम्हारी दोनों आँखें फोड़ दूंगा।
विद्योत्तमा को लगा कि कालिदास कहना चाहते हैं कि इस सृष्टि में ब्रह्मा के अलावा जीव भी हैं, इसलिए उसने दो उंगलियाँ उठाईं।
फिर दूसरी बार, विद्योत्तमा ने अपने हाथ की पाँच उंगलियाँ दिखाई। कालिदास ने भी पाँच उंगलियाँ दिखाकर अपनी मुट्ठी बंद कर ली।
विद्योत्तमा ने यह प्रश्न इस तरह पूछा था कि हमारा शरीर पाँच तत्वों से बना हुआ है। उसके उत्तर में कालिदास ने मुट्ठी बंद की। विद्योत्तमा को लगा कि कालिदास कहना चाहते हैं कि यह शरीर पाँच तत्वों का है, लेकिन उसमें जो मन बसा है, वही सब तत्वों को नियंत्रित करता है।
लेकिन कालिदास को लगा कि विद्योत्तमा कहना चाहती है कि मैं तुम्हें थप्पड़ मारूंगी। बदले में कालिदास ने उत्तर दिया कि अगर तुम थप्पड़ मारोगी, तो उसके बदले मैं तुम्हें घूसा मारूंगा।
धीरे-धीरे शास्त्रार्थ पूरा हो गया। विद्योत्तमा के गलत अर्थ निकालने की वजह से कालिदास शास्त्रार्थ में जीत गए। विद्योत्तमा और कालिदास की शादी हो गई।
शादी के बाद का जीवन
कुछ किंवदंतियों के अनुसार, विद्योत्तमा से शादी होने के बाद, जब विद्योत्तमा को पता चला कि कालिदास कितने मूर्ख हैं, तो उसने गुस्से में आकर कहा कि जब तक तुम ज्ञानी नहीं बन जाते, तब तक घर में कदम मत रखना। यह सुनकर कालिदास को बहुत बुरा लगा और वे मन ही मन बेहद दुःखी हो गए। उन्होंने ठान लिया कि जब तक वे ज्ञानी नहीं बन जाते, तब तक इस घर की चौखट पर कदम नहीं रखेंगे।
कुछ समय बाद, वे एक महाज्ञानी पुरुष और महापंडित बन गए। कुछ तथ्यों के अनुसार, उनका नाम कुमारश्याम था, लेकिन जब वे ज्ञान प्राप्ति के लिए घर छोड़कर गए, उस वक्त उन्हें माँ काली का आशीर्वाद मिला। काली के सेवक होने के आधार पर उनका नाम कालिदास रखा गया। जब वे ज्ञानी बनकर घर पहुँचे, तो उनकी पत्नी ने भी उन्हें नहीं पहचाना, क्योंकि उनमें इतना बदलाव हो गया था। कहा जाता है कि वे अपनी पत्नी को ही अपना गुरु मानते थे।
कालिदास की रचनाएँ
कुछ तथ्यों के अनुसार, कालिदास ने कुल ४० ग्रंथों की रचना की, जिनमें से कुछ रचनायें आज भी अस्तित्व में हैं। उसके बारे में हमने नीचे संक्षिप्त रूप में दिया है।
महाकाव्य
- रघुवंशम्: इस महाकाव्य में सूर्यवंशी राजा रघु और उनके वंशजों की कहानी है।
- कुमारसंभवम्: इस महाकाव्य में भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह और उनके पुत्र कार्तिकेय की जन्म कहानी अधोरेखित की गई है।
नाटक
- अभिज्ञानशाकुन्तलम्: राजा दुष्यंत और शकुन्तला के प्रेम कहानी पर आधारित यह नाटक कालिदास का सबसे प्रसिद्ध नाटक है।
- मालविकाग्निमित्रम्: राजा अग्निमित्र और मालविका के प्रेम कहानी के उपर आधारित यह नाटक है।
- विक्रमोर्वशीयम्: राजा पुरूरवा और उर्वशी के प्रेम कहानी पर आधारित यह नाटक है।
खंडकाव्य
- मेघदूतम्: यह एक खंडकाव्य है जिसमें एक यक्ष, जिसे अपने कार्यों के लिए निर्वासित किया गया है, मेघ (बादल) के माध्यम से अपनी पत्नी को संदेश भेजता है।
- ऋतुसंहार: भारतीय उपमहाद्वीप के छह ऋतुओं का बेहद खूबसूरत वर्णन इस खंडकाव्य में किया गया है।
कालिदास की रचनाओं की विशेषताएँ
महाकवी कालिदास की रचनाएँ इतनी बेहद और सुंदर हैं कि पढ़ने वाला उन मधुर शब्दों से प्रभावित हो जाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार महाकवी कालिदास को राष्ट्रीय कवि के रूप में माना जाता है। उन्होंने अपने नाटक और काव्य में मानवी जीवन और संस्कृति की बेहद सुंदरता को शब्दों में कैद किया है। उनकी रचनाओं में जो शब्द प्रयोग किये गये है, वह बहुत ही सरल और मधुर है।
इससे आपको उन्होंने अपनी रचनाओं में मानवी मन का वर्णन सहज रूप से ध्यान में आ जाता है। उनका यही मानना था कि हमारी बेहद सुंदर संस्कृति दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। मानव जाति का कल्याण यही हमारा प्रथम उद्देश्य है। उन्होंने अपनी रचनाओं में मनुष्य को सृष्टि और धर्म की शक्ति के तरह समझा है।
सारांश
इस लेख में हमने कालिदास के जीवन परिचय के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यह लेख आपको कैसा लगा, यह आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। यदि इस लेख में कोई त्रुटि हो, तो आप हमें मेल कर सकते हैं। हम अवश्य इसमें सुधार लाने का प्रयास करेंगे। लेख अगर आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना न भूलें। यदि आप इस तरह के अन्य लेख देखना चाहते हैं, तो आप हमसे WhatsApp के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
FAQ,s
कालिदास जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
कालिदास का जन्मस्थान और जन्मतिथि के बारे में निश्चित रूप से जानकारी उपलब्ध नहीं है। विद्वानों के अनुसार, उनका जन्म उज्जैन (वर्तमान उज्जैन) शहर में हुआ था, लेकिन कुछ लोग यह भी अनुमान लगाते हैं कि उनका जन्म देवभूमि नाम से जाने वाली उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हुआ था।
कालिदास को महाकवि क्यों कहा जाता है?
कालिदास को महाकवि कहा जाता है क्योंकि उनकी रचनाओं में अद्वितीय कला, साहित्यिक शृंगार, और भाषा का प्रयोग एकत्रित होता है। उन्होंने संस्कृत साहित्य में विशेष योगदान दिया है, जिसमें उनके काव्य की शैली, विचारधारा, और भाषा का अद्वितीयता उच्च स्तर पर है। उनकी रचनाएँ अद्वितीय हैं और उन्होंने भारतीय साहित्य को एक नया आयाम दिया है, जिसका प्रभाव आज भी महसूस होता है।
कालिदास कौन सी भाषा में लिखते थे?
कालिदास संस्कृत भाषा में लिखते थे। उनकी रचनाएँ संस्कृत साहित्य के अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्से मानी जाती हैं और उन्होंने विभिन्न श्रेष्ठ काव्य, नाटक, और कृतियों की रचना की थी।
विद्योत्तमा के पिता कौन है?
विद्योत्तमा के पिता का नाम था राजा शारदानन्द।