नागार्जुन का जीवन परिचय – Nagarjun Ka Jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक नागार्जुन का जीवन परिचय जानने जा रहे हैं। हिंदी साहित्य जगत में प्रसिद्ध रचनाकारों की सूची में नागार्जुन का नाम आदर से लिया जाता है। उनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था, लेकिन हम सब उन्हें नागार्जुन नाम से जानते हैं। पद्म विभूषण पुरस्कार प्राप्त नागार्जुन जी ने साहित्य जगत में कवि, उपन्यासकार, कथा लेखक, और निबंधकार की भूमिका बखूबी निभाई है।
वर्तमान में अनेक महाविद्यालयों में उनके साहित्य का पाठ पढ़ाया जाता है। इसके अलावा, उनके लिखित साहित्य पर अनेक छात्रों ने पीएचडी भी की है। ऐसे महान साहित्यकार की जीवनी जानने की इच्छा आपकी भी हुई होगी। इसीलिए, इस लेख में हमने नागार्जुन के जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। कृपया इस लेख को पूरा पढ़ें ताकि आप नागार्जुन जी के जीवन और उनके योगदान को अच्छी तरह से समझ सकें।
रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय – Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay
Contents
शीर्षक | जानकारी |
---|---|
पूरा नाम | वैद्यनाथ मिश्र |
जन्म तिथि | 30 जून 1911 (ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा) |
जन्म स्थान | सतलखा गांव, मधुबनी जिला, बिहार |
धर्म परिवर्तन | वर्ष 1936 में श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और नागार्जुन नाम प्राप्त किया |
उपनाम | बाबा |
पिता का नाम | गोकुल मिश्र |
माता का नाम | उमा देवी |
शिक्षा | प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा जिले में, बीए और एमए (संस्कृत) रामदयालू सिंह मिथिला महाविद्यालय, दरभंगा और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से |
कार्य क्षेत्र | संस्कृत के प्रोफेसर, संपादक (‘दीपक’ मासिक पत्रिका, ‘विश्वबंधू’ साप्ताहिक पत्रिका), स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य |
प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ | कई कविताएँ और उपन्यास (विस्तृत जानकारी लेख में उपलब्ध) |
प्रमुख पुरस्कार | साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961), सोवियत लैंड पुरस्कार (1966), फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार (1986), पद्म विभूषण (1989), राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान (1993), भारत भारती पुरस्कार (1988) |
निधन | 5 नवंबर 1998, दरभंगा, बिहार |
नागार्जुन का जीवन परिचय
नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन बिहार राज्य के मधुबनी जिले के सतलखा गांव में हुआ था। उनका मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था। वर्ष 1936 के दौरान वे श्रीलंका गए थे और वहाँ पर जाकर उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। बौद्ध धर्मगुरुओं ने उनका नामकरण करके उनका नाम नागार्जुन रखा। तब से वे नागार्जुन नाम से जाने जाने लगे। साहित्य जगत में उन्हें बाबा नाम से भी पुकारा जाता था।
उनके पिता का नाम गोकुल मिश्र था। वे एक किसान थे और गाँव में खेती करते थे। उनकी माता का नाम उमा देवी था और वह एक गृहिणी थीं। नागार्जुन के दो भाई और चार बहनें थीं। हालाँकि, उनके परिवार के बारे में ज्यादा सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि उनके पिता नागार्जुन के जन्म से पहले ही गुजर चुके थे और जब नागार्जुन की उम्र बहुत कम थी, तब उनकी माता का भी देहांत हो गया था।
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नागार्जुन की शिक्षा
उनकी प्राथमिक शिक्षा उनके गाँव दरभंगा जिले में हुई। साल 1926 में आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने दरभंगा के रामदयालू सिंह मिथिला महाविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी विषय में शिक्षा प्राप्त की। साल 1930 में उन्होंने उसी कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की। आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने बनारस के हिंदू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहाँ रहकर उन्होंने संस्कृत विषय में एमए की डिग्री प्राप्त की। साल 1934 में उनका संस्कृत विषय में एमए पूरा हुआ।
उन्होंने प्राप्त की शिक्षा का उपयोग अपने साहित्यिक क्षेत्र में बखूबी किया। संस्कृत भाषा के अध्ययन का उपयोग उन्होंने अपनी कविताओं और उपन्यासों में किया।
नागार्जुन जी का कार्य क्षेत्र
साल 1930 में उनकी बीए तक की पढ़ाई पूरी हुई। उसके बाद 1930-1934 के दौरान उन्होंने दरभंगा के रामदयालू सिंह मिथिला महाविद्यालय और बनारस के हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। साल 1938-1940 के दौरान वे ‘दीपक’ नामक मासिक पत्रिका के संपादक भी थे। उसके बाद, साल 1940-1942 तक उन्होंने ‘विश्वबंधू’ नामक साप्ताहिक पत्रिका के संपादक के रूप में कार्य किया।
वे स्वतंत्रता आंदोलन और राजकीय क्षेत्र में भी सक्रिय थे। साल 1942 से 1947 के दौरान उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। वे राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय थे और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता स्वीकार की थी। राजकीय गतिविधियों के कारण उन्हें साल 1947-1950 के दौरान जेल भी जाना पड़ा। जेल से आने के बाद उन्होंने अपने साहित्यिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया और साल 1950 के बाद मृत्यु तक साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहे और अपना स्वतंत्र लेखन करते रहे।
नागार्जुन जी का साहित्यिक परिचय
नागार्जुन हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि और रचनाकार थे। वे छायावादोत्तर काल के कवि होने के बावजूद उनकी रचनाएँ सभी लोगों में प्रसिद्ध थीं। अपने साहित्यिक काल में उन्होंने हिंदी साहित्य को ऊँचा सम्मान दिलाने के लिए कार्य किया। नीचे हमने उनकी साहित्यिक रचनाएँ और उनके प्रकाशन के वर्ष के बारे में जानकारी दी है। कृपया इसे अवश्य पढ़ें।
कविताएँ
नाम | वर्ष |
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बादलों को घिरते देखा है | 1950 |
यह दंतुरित मुस्कान | 1952 |
अकाल और उसके बाद | 1953 |
बहुत दिनों के बाद | 1957 |
कालिदास | 1961 |
हरिजन-गाथा | 1965 |
गुलाबी चूड़ियाँ | 1972 |
अवधानी | 1981 |
आते-जाते | 1984 |
आखिरी आवाजें | 1993 |
उपन्यास
नाम | वर्ष |
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रतिनाथ की चाची | 1948 |
बलचनमा | 1952 |
बाबा बटेसरनाथ | 1954 |
वरुण के बेटे | 1957 |
दुखमोचन | 1957 |
कूंभीपाक | 1962 |
पारो | 1964 |
शीर्षबिंदु | 1971 |
सुबह-ओ-शाम | 1980 |
मिठाई | 1985 |
कहानी
नाम | वर्ष |
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बूढ़ा शेर | 1952 |
कुत्ते की पूंछ | 1957 |
लाल झंडा | 1960 |
टेढ़े-मेढ़े रास्ते | 1967 |
आखिरी मंजिल | 1976 |
सूरजमुखी | 1983 |
कहानियां | 1992 |
निबंध
नाम | वर्ष |
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विचार और विवेचना | 1950 |
छाया और सार | 1952 |
नया और पुराना | 1954 |
साहित्यिक आलोचना | 1960 |
समसामयिक | 1966 |
आलोचना और समीक्षा | 1974 |
चिंतन और मनन | 1982 |
संस्मरण और व्यक्तित्व | 1989 |
अनुवाद
नाम | वर्ष |
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मार्क्सवादी आलोचना | 1953 |
शेक्सपियर के नाटक | 1964 |
रूसी कविताएं | 1970 |
नागार्जुन जी की कविताओं के कुछ पद
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त. – अकाल और उसके बाद
संबद्ध हूँ, जी हाँ, संबद्ध हूँ
सचर-अचर सृष्टि से
शीत से, ताप से, धूप से, ओस से, हिमपात से
राग से, द्वेष से, क्रोध से, घृणा से, हर्ष से, शोक से, उमंग से, आक्रोश से – नागार्जुन
वो इधर से निकला
उधर चला गया”
वो आँखें फैलाकर
बतला रहा था-
“हाँ बाबा, बाघ आया उस रात,
आप रात को बाहर न निकलों! – बाघ आया उस रात
नागार्जुन जी को मिले पुरस्कार
नागार्जुन जी को उनके साहित्यिक क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए अनेकों पुरस्कारों से नवाजा गया। उनके कुछ प्रमुख पुरस्कारों के नाम और वर्ष नीचे दिए गए हैं।
- साल 1961 में उनके कविता संग्रह “बादलों को घिरते देखा है” के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- साल 1966 में उन्हें सोवियत लैंड पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- साल 1986 में उनकी साहित्यिक क्षेत्र में किए गए कार्य के सम्मान में फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार से उन्हें गौरवान्वित किया गया।
- भारत सरकार द्वारा भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण पुरस्कार, उन्हें साल 1989 में दिया गया।
- साल 1993 में बिहार सरकार द्वारा राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान।
- साल 1988 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा भारत भारती पुरस्कार।
- साल 1988 में मैथिली शरण गुप्त ट्रस्ट द्वारा मैथिली शरण गुप्त सम्मान।
नागार्जुन जी की मृत्यू
हिंदी साहित्य जगत में नागार्जुन और बाबा नाम से प्रसिद्ध वैद्यनाथ मिश्र जी ने 5 नवंबर 1998 को देह त्याग दिया। मृत्यु के समय उनकी आयु 87 वर्ष थी। उनका निधन बिहार के दरभंगा जिले में उनके निवास स्थान पर हुआ। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु हृदय की गति रुकने के कारण हुई थी। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ, क्योंकि उन्होंने लगभग 5-6 दशकों तक हिंदी साहित्य की सेवा की।
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FAQ’s
नागार्जुन की माता का नाम क्या था?
नागार्जुन की माता का नाम उमा देवी था।
नागार्जुन क्यों प्रसिद्ध थे?
नागार्जुन, जिनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था, हिंदी साहित्य में एक प्रमुख कवि, उपन्यासकार, और निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे छायावादोत्तर काल के प्रमुख कवि थे और उनकी रचनाएँ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं। वे स्वतंत्रता आंदोलन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे, जिनकी सक्रियता उनके लेखन में झलकती है। उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड पुरस्कार, और पद्म विभूषण जैसे प्रमुख पुरस्कार मिले। उनके बहु-आयामी लेखन ने उन्हें हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
नागार्जुन का प्रथम उपन्यास कौन सा है?
नागार्जुन का पहला उपन्यास रतिनाथ की चाची है, जो 1948 में प्रकाशित हुआ था।
नागार्जुन का दूसरा नाम क्या है?
नागार्जुन का दूसरा नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे बौद्ध धर्म की दीक्षा के बाद नागार्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुए।
नागार्जुन का जन्म कब हुआ?
नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 को बिहार राज्य के दरभंगा जिले के सतलखा गांव में हुआ था।
सारांश
इस लेख में हमने नागार्जुन का जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है। हमें विश्वास है कि यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को शेयर करें। हमारी वेबसाइट पर आपको शैक्षणिक मुद्दों पर आधारित लेख मिलेंगे। अगर आप हमसे जुड़ना चाहते हैं तो व्हाट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं। यदि इस लेख में कोई त्रुटि हो, तो कृपया हमें मेल करें। उचित जानकारी लेकर हम इस लेख में सुधार करने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद।