मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय । Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay
नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख में हम मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय देखने जा रहे हैं। जिन लोगों का उर्दू और हिंदी साहित्य से जुड़ाव है, उन्हें मुंशी प्रेमचंद का नाम जरूर मालूम होगा। क्योंकि उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में 300 से अधिक कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, लेख आदि साहित्य की रचना की थी।
इसके साथ-साथ उनका हिंदी पत्रकारिता क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है। ‘उपन्यास सम्राट’ के नाम से जाने जाने वाले हिंदी साहित्य के महानतम लेखक मुंशी प्रेमचंद के जीवन परिचय पर आधारित जानकारी इस लेख में हमने दी है। उनकी जीवनी जानने के लिए इस लेख को आप पूरा जरूर पढ़ें।
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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय । Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay
इस लेख में हम मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय विस्तार से देखेंगे। इसमें हम उनके जन्म, परिवार, शिक्षा, वैवाहिक जीवन, नौकरी, कृतियां, उपन्यास, कहानियाँ, नाटक और उनकी मृत्यु के बारे में जानेंगे। तो चलिए, हम उनके जीवन पर एक नजर डालते हैं।
विभाग | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | धनपतराय श्रीवास्तव |
उपनाम | मुंशी प्रेमचंद |
जन्म | 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
माता-पिता | पिता: अजायब राय श्रीवास्तव (डाकखाने में नौकरी), माता: आनंदी देवी |
शादी | पहली शादी 15 वर्ष की आयु में, दूसरी शादी 1906 में शिवरानी देवी (एक विधवा) |
बच्चे | श्रीपत राय, अमृत राय, कमला देवी |
शिक्षा | 1898 में मैट्रिक, 1910 में इंटरमीडिएट, 1919 में स्नातक |
कैरियर | शिक्षक, बाद में स्कूलों के इंस्पेक्टर, 1934 में फिल्म कंपनी में संक्षिप्त कार्य |
साहित्यिक योगदान | 15 उपन्यास, 300+ कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें, विभिन्न निबंध और भाषण |
प्रमुख कृतियाँ | उपन्यास: गोदान, निर्मला, कर्मभूमि, गबन, रंगभूमि, सेवासदन, इंदुलेखा, गधे की वापसी, वरदान |
कहानियाँ: ईदगाह, शतरंज के खिलाड़ी, प्रेमा, ठाकुर का कुआँ, भूत, बड़ी दिदी, बाला, नमक का दारोगा, पुष्प की अभिलाषा, दो बैलों की कथा | |
नाटक: सग्राम, कर्बला, प्रेम की वेदी | |
उपनाम की उत्पत्ति | प्रारंभ में “नवाब राय” नाम से लिखते थे; “सोज़-ए-वतन” पर ब्रिटिश सरकार की पाबंदी के बाद मित्र दयानारायण निगम की सलाह पर “प्रेमचंद” नाम रखा |
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी | 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए, सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया |
मृत्यु | 8 अक्टूबर 1936, जून 1936 से स्वास्थ्य बिगड़ने लगा |
विरासत | हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक, हिंदी पत्रकारिता और साहित्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव |
जन्म और परिवार
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के बनारस (वाराणसी) शहर से कुछ दूरी पर स्थित लमही नामक एक छोटे से गांव में हुआ। उनका बचपन का और मूल नाम धनपतराय श्रीवास्तव था, लेकिन हम सब उन्हें प्रेमचंद नाम से पहचानते हैं। उनके पिता का नाम अजायब राय श्रीवास्तव था और वे डाकखाने में नौकरी करते थे। प्रेमचंद की माता का नाम आनंदी देवी था।
उनका जीवन बचपन से ही बहुत दुःखभरा था। घर की वित्तीय स्थिति बहुत ही नाजुक थी। उन्हें माँ का प्यार ज्यादा नसीब नहीं हुआ क्योंकि जब प्रेमचंद 8 वर्ष के थे, तो उनकी माता चल बसीं। प्रेमचंद को माँ का प्यार मिले, इसलिये उनके पिता ने दूसरी शादी की, पर प्यार मिलने के बजाय उन्हें दुःख झेलना पड़ा।
वैवाहिक जीवन
जब मुंशी प्रेमचंद की आयु 15 साल की थी और वे स्कूल में पढ़ रहे थे, उस वक्त उनके पिता ने उनका विवाह कर दिया। उनकी पत्नी उनसे बड़ी और दिखने में बदसूरत थी। शादी के लगभग एक साल बाद प्रेमचंद के पिता का देहांत हो गया और घर की पूरी जिम्मेदारी मुंशी प्रेमचंद पर आ गई।
पाँच लोगों का बोझ उनके कंधे पर था – उनमें उनकी सौतेली माँ, उसके दो बच्चे, प्रेमचंद और उनकी पत्नी शामिल थे। परिस्थितियाँ बहुत ही नाजुक हो गई थीं। घर में खाने के लाले पड़ गए थे। इस आर्थिक तंगी के कारण उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर मायके चली गईं और फिर कभी वापस नहीं आईं।
शिक्षा
बचपन से उन्हें पढ़ाई का भारी शौक था, लेकिन घर की हालात की वजह से उनका बचपन का सपना अधूरा रह गया। हालांकि, अपने परिवार को संभालते हुए वे अपने लक्ष्य से नहीं हटे। वे आगे पढ़ते रहे और साल 1898 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।
इसके बाद, साल 1910 में उन्होंने इंटरमीडियट की परीक्षा पास की और साल 1919 में उन्होंने स्नातक पूरा किया और अपना सीखने का सपना साकार किया। लेकिन बचपन से उनका एक और सपना था वकील बनना, परंतु आर्थिक तंगी की वजह से उनका यह सपना अधूरा रह गया।
नौकरी
प्रेमचंद की आर्थिक परिस्थिति बेहद ही बुरी थी। घर चलाने के लिए पैसे नहीं थे, तो उन्होंने अपना कोट बेचा। उसके बाद अपनी सारी पुस्तकें बेचनी पड़ीं। एक दिन जब वे पुस्तकों की दुकान पर पुस्तकें बेचने आए थे, तब उन्हें एक स्कूल के प्राध्यापक मिले। उन्होंने प्रेमचंद को स्कूल में अध्यापक की नौकरी दिलवाई। जब उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा पूरी की, उसके बाद वे शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर पद के लिए नियुक्त हो गए।
1934 के दौरान उन्होंने एक फिल्म कंपनी में लेखक के तौर पर काम किया, लेकिन फिल्म की कथाओं के विषय उन्हें नापसंद आए और उन्होंने फिल्म कंपनी छोड़कर अपने घर लौटने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने कभी नौकरी नहीं की।
मुंशी प्रेमचंद का दूसरा विवाह
घर की हालात बहुत ही नाजुक होने के कारण उनकी पहली पत्नी घर छोड़कर चली गई और वह कभी वापस नहीं आईं। उसके बाद, साल 1906 में मुंशी प्रेमचंद ने दूसरा विवाह किया। शिवरानी देवी नामक एक बाल विधवा से उनका विवाह संपन्न हुआ। प्रेमचंद और शिवरानी देवी को तीन संतानें हुईं – दो बेटे और एक बेटी। बेटों के नाम श्रीपत राय और अमृत राय थे, और बेटी का नाम कमला देवी था।
बता दे कि, शिवरानी देवी और उनके पुत्र अमृत राय दोनों भी लेखक थे। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद पर जीवनी लिखी थी, जिसमें उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानकारी दी गई थी।
कैसे मिला प्रेमचंद नाम
प्रेमचंद नाम उनके दोस्त दयानारायण निगम ने उन्हें दिया था। इसके पीछे की कहानी यह है कि, उस समय अंग्रेज हुकूमत इस देश पर राज कर रही थी। बड़े लेखक अपने साप्ताहिक में अंग्रेजों के विरुद्ध लेख लिख रहे थे और लोगों को ब्रिटिश हुकूम के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। उसी दौरान प्रेमचंद ने भी अपनी लेखनी से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लेखन शुरू कर दिया।
शुरुआती दौर में वे उर्दू में लिखते थे, उन दिनों वे “नवाबराय” नाम से लिखते थे। तब उनकी ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लिखी गई “सोजे वतन” नामक उर्दू भाषा में लेखित प्रतियों को जब्त करके उसपर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन उन्होंने लिखना जारी रखा वे डरे नही , बाद में उनके मित्र दयानारायण निगम ने उन्हें “प्रेमचंद” नाम से लिखने की सलाह दी, और धनपत राय से “नवाब राय” और फिर “नवाब राय” से “प्रेमचंद” बन गए।
साल 1921 में, उन दिनों महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया था और उसमें सभी देशवासियों को शामिल होने का आह्वान किया था। इस आंदोलन में मुंशी प्रेमचंद भी शामिल हो गए थे। उन्होंने आंदोलन में भाग लेने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी।
प्रेमचंद की कृतीया
उनके 13 साल की आयु में साहित्य क्षेत्र में अपना प्रवेश करते ही, मुंशी प्रेमचंद ने 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें और अनेक लेख, भाषण आदि रचे। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ नीचे दी गई हैं:
मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास
मुंशी प्रेमचंद ने लिखे कुछ उपन्यासों के नाम हमने नीचे संक्षिप्त रूप में दिए हैं:
- गोदान (Godan)
- निर्मला (Nirmala)
- कर्मभूमि (Karmabhoomi)
- गबन (Gaban)
- रंगभूमि (Rangbhoomi)
- सेवासदान (Sevasadan)
- इंदुलेखा (Indulekha)
- गधे की वापसी (Godaan)
- वरदान (Vardaan)
मुंशी प्रेमचंद की कहानियां
मुंशी प्रेमचंद ने कई प्रसिद्ध कहानियाँ लिखी हैं, उनमें से कुछ नाम नीचे दिए गए हैं:
- ईदगाह (Eidgah)
- शतरंज के खिलाड़ी (Shatranj Ke Khiladi)
- प्रेमा (Prema)
- ठाकुर का कुआँ (Thakur Ka Kuan)
- भूत (Bhoot)
- बड़ी दिदी (Badi Didi)
- बाला (Bala)
- नमक का दारोगा (Namak Ka Daroga)
- पुष्प की अभिलाषा (Pushp Ki Abhilasha)
- दो बैलों की कथा (Do Bailon Ki Katha)
मुंशी प्रेमचंद के नाटक
नीचे हमने मुंशी प्रेमचंद के प्रसिद्ध नाटकों के बारे में दिया है।
- सग्राम
- कर्बला
- प्रेम की वेदी
इसके अलावा, उन्होंने निबंध और बालसाहित्य भी लिखे। उन दिनों पत्रकारिता क्षेत्र में भी उनका नाम था। पहले वे दूसरे समाचार पत्रों के लिए लिखते थे, बाद में उन्होंने अपना समाचार पत्र तैयार किया और वे खुद उसके संपादक थे।
मृत्यू
मुंशी प्रेमचंद ने अपने बचपन से जीवन के अंत तक पूरा जीवन साहित्य साधना के लिए अर्पित किया था। साल 1936 में जून माह से उनके शारीरिक स्वास्थ्य में बिगड़ आना शुरू हो गया। उपचार ठीक तरह से न होने के कारण दिन-प्रतिदिन उनके शरीर की हालत और बिगड़ने लगी और 8 अक्टूबर 1936 को इस महान हिंदी साहित्यकार ने अपना जीवन त्याग दिया। उनके जाने से हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ।
सारांश
इस लेख में हमने प्रसिद्ध लेखक और साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय बताने का प्रयास किया। यह लेख आपको कैसा लगा, यह आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं। यदि इस लेख में कोई त्रुटि हो, तो आप हमें मेल कर सकते हैं। हम इसमें सुधार लाने का प्रयास करेंगे। यदि आपको लेख अच्छा लगा हो, तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। इस तरह के अन्य लेख आप देखना चाहते हैं तो आप हमसे WhatsApp के माध्यम से जुड़ सकते हैं। धन्यवाद।
FAQ’s
मुंशी प्रेमचंद का दूसरा नाम क्या है?
मुंशी प्रेमचंद का असली नाम ‘धनपत राय श्रीवास्तव’ था।
प्रेमचंद ने कुल कितने नाटक लिखें?
मुंशी प्रेमचंद ने कुल मिलाकर 3 नाटक लिखे थे।
प्रेमचंद क्यों प्रसिद्ध थे?
प्रेमचंद प्रसिद्ध थे उनकी सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर गहरा विचार करने के लिए, उनकी साहित्यिक कला और शैली के लिए, और उनकी कहानियों में उत्कृष्ट व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करने के लिए।
पिता की मृत्यु के समय प्रेमचंद कितने साल का था?
प्रेमचंद के पिता की मृत्यु के समय वे 16 साल के थे।
प्रेमचंद की पत्नी का नाम क्या था?
प्रेमचंद की पत्नी का नाम शिवरानी देवी था।