रतन टाटा की जीवनी – Ratan Tata Biography in Hindi
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम आपके लिए रतन टाटा की जीवनी (Ratan Tata Biography in Hindi) लेकर आए हैं। 9 अक्टूबर, 2024 को रतन टाटा जी की मृत्यु की खबर सामने आई, और पूरे देश में मातम का माहौल छा गया। सभी देशवासियों में यह भावना उमड़ कर आई कि उनके रूप में भारत ने एक अनमोल रतन खोया है। इस दुनिया में बहुत सारे उद्योगपति हैं, जो अरबों की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन उनका नाम कुछ ही लोगों को मालूम होगा। वहीं, रतन टाटा इस नाम से देश में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब वाकिफ हैं। वे कोई अभिनेता नहीं थे, फिर भी उन्हें चाहने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है।
उनकी मृत्यु के पश्चात भारत सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न पुरस्कार दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके पहले रतन जी को साल 2000 में पद्मभूषण, 2008 में पद्म विभूषण और कई अन्य छोटे-बड़े पुरस्कार मिले हैं। उनके पुरस्कारों की एक लंबी सूची तैयार की जा सकती है। वे केवल एक उद्योगपति थे, फिर भी लोग उनका इतना सम्मान और प्यार क्यों करते थे, इसके बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख में प्रस्तुत रतन टाटा का जीवन परिचय जरूर पढ़ें।
विवरण | जानकारी |
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पूरा नाम | रतन नवल टाटा |
जन्म तिथि | 28 दिसंबर 1937 |
जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
पिता | नवल टाटा |
माता | सुनी टाटा |
शिक्षा | – कैंपियन स्कूल, मुंबई – बिशप कॉटन स्कूल, शिमला – कॉर्नेल विश्वविद्यालय – हार्वर्ड बिजनेस स्कूल |
कैरियर की शुरुआत | 1991 में टाटा समूह के अध्यक्ष बने |
महत्वपूर्ण कार्य | – नैनो कार लॉन्च – टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर लाना |
पुरस्कार | – पद्मभूषण (2000) – पद्मविभूषण (2008) – भारत रत्न (प्रस्तावित) |
सामाजिक योगदान | – कॉर्नेल विश्वविद्यालय को 28 मिलियन डॉलर – 2020 में 1500 करोड़ रुपये COVID-19 राहत के लिए – IIT बॉम्बे को 950 मिलियन डॉलर |
निजी जीवन | अविवाहित |
मृत्यु तिथि | 9 अक्टूबर 2024 |
मृत्यु स्थान | ब्रीच कैंडी अस्पताल, मुंबई |
Contents
रतन टाटा का जन्म और परिवार
भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा जी का जन्म 28 दिसंबर 1937 को महाराष्ट्र के मुंबई शहर में एक पारसी परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम नवल टाटा था और माता का नाम सुनी टाटा। रतन टाटा जी के पिता ने दो शादियाँ की थीं; उनकी पहली शादी सुनी कमिश्रिएट के साथ हुई थी, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए—बड़े रतन टाटा और छोटे जिमी टाटा। कुछ ही सालों तक रतन जी और उनके भाई जिमी टाटा को अपनी मां का प्यार मिल पाया।
शादी के कुछ साल बाद दोनों पति-पत्नी अलग हो गए, और नवल टाटा ने साल 1955 में स्विट्ज़रलैंड की निवासी सिमोन से शादी कर ली। नवल टाटा और सिमोन को एक बेटा हुआ, जिसका नाम नोएल टाटा है। वह अब टाटा समूह के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। रतन टाटा और जिमी टाटा का पालन-पोषण उनके सौतले भाई नोएल टाटा के साथ ही हुआ।
रतन टाटा जी ने अपनी प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई कैंपियन स्कूल, कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल (मुंबई), बिशप कॉटन स्कूल (शिमला), रिवरडेल कंट्री स्कूल (न्यूयॉर्क), कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल जैसी विभिन्न जगहों से की।
रतनजी का टाटा समूह के अध्यक्ष बनने का सफर
साल 1991 में टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा, उर्फ जेआरडी, ने कुछ कारणों से अपने अध्यक्ष पद का इस्तीफा दे दिया, और रतन टाटा जी को अपना उत्तराधिकारी बनाकर टाटा समूह का अध्यक्ष बनाया गया। शुरूआत में टाटा समूह की सहायक कंपनियों ने इसका जमकर विरोध किया, लेकिन बाद में सब शांत हो गए। रतन टाटा जी ने आते ही टाटा समूह की नीतियों में सुधार लाने का प्रयास किया। उन्होंने यह समझा कि कंपनी में काम करने वाला हर कामगार हमारे परिवार का एक हिस्सा है, इसलिए काम करते वक्त उसकी सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इसी विचार के तहत उन्होंने कामगारों की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया।
कंपनी का कारोबार बढ़ाने के साथ-साथ उन्होंने काम करने वाले सभी कामगारों के वेतन और आय में वृद्धि की। कामगारों की सेवानिवृत्ति की आयु निश्चित करते हुए, उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि उन्हें आगे की जिंदगी जीने के लिए कंपनी द्वारा दी जाने वाली सभी वित्तीय सेवाओं का लाभ मिले। उन्होंने बदलाव को स्वीकार किया और युवाओं की शक्ति को पहचानकर उसका सदुपयोग करने को प्राथमिकता दी।
टाटा समूह और सहायक कंपनियों को वैश्विक स्तर पर लाने का सफल प्रयास उन्होंने किया। सहायक कंपनियों को समूह कार्यालय में रिपोर्ट करना और टाटा समूह का ब्रांड बनाने के लिए सहायक कंपनियों को होने वाले मुनाफे का एक हिस्सा देना, जैसे कई नीतियाँ उन्होंने शामिल की, जिससे टाटा समूह को सफल बनाया जा सके।
आज टाटा समूह का नाम वैश्विक स्तर पर एक अलग ऊंचाई पर ले जाने का कार्य रतन टाटा जी के कार्यकाल में हुआ। 21 वर्ष तक उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया। इन 21 वर्षों में उन्होंने कंपनियों के राजस्व को बढ़ाने का कार्य किया। उनके कार्यकाल में भारत को स्टील और वाहन क्षेत्र में एक अलग पहचान मिली। आज नमक से लेकर सभी उत्पादों में टाटा समूह अव्वल है। इस सफलता के पीछे सिर्फ रतन टाटा जी का योगदान है।
सामान्य लोगों का फोर व्हीलर में घूमने का सपना पूरा करने के लिए रतन जी टाटा ने नैनो कार को लॉन्च किया था। लॉन्च होने के बाद बहुत से लोगों ने इस कार की खरीदारी की। 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा समूह की कार्यकारी भूमिका से इस्तीफा दे दिया। तब उनकी आयु 75 वर्ष थी। अपने जीवनकाल में एक सफल उद्यमी होने के बावजूद कमाई का बड़ा हिस्सा दान देने की उनकी वृत्ति ने उन्हें महान बना दिया।
रतन टाटा जी का समाज सेवा में योगदान
एक प्रसिद्ध उद्योजक के अलावा, रतन टाटा जी को दानशील व्यक्तित्व के धनी के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने देश और दुनिया में किए गए दान के बारे में हम लिखते-लिखते थक जाएंगे। लेकिन उनमें से कुछ कार्य हमने यहां प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
- कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में भारतीय छात्रों को अच्छी शिक्षा मिले और पैसे की वजह से उनकी शिक्षा में कोई कठिनाइयाँ न आएं, इसके लिए टाटा समूह ट्रस्ट से 28 मिलियन डॉलर का दान किया गया। जिसके कारण कई भारतीय छात्रों को मदद मिली।
- 2020 में आई कोरोना जैसी भयंकर महामारी के कारण सब कुछ बंद था, और लोग घरों में बैठे थे। तब टाटा समूह ने 1500 करोड़ रुपये दान दिए थे। रतन टाटा जी ने तब कहा था, “देश के लिए मेरी सारी संपत्ति भी दान देनी पड़े, तो भी मैं करूंगा।”
- 26/11 को मुंबई में एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था, जिसने सिर्फ मुंबई ही नहीं, पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उस समय रतन टाटा जी ने उस हमले में मृत्यु और जख्मी हुए लोगों की बहुत सहायता की थी।
- उन्होंने अपने देश के लिए समूह की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान किया। इसका एक उदाहरण यह है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे को साल 2014 में उन्होंने 950 मिलियन डॉलर का एक बड़ा दान दिया था।
- टाटा ट्रस्ट्स ने भारतीय विज्ञान संस्थान, न्यूरोसाइंस सेंटर को अल्जाइमर रोग के कारणों का अध्ययन करने और इसके शीघ्र निदान एवं उपचार के लिए नए तरीके विकसित करने के लिए 750 मिलियन रुपये का अनुदान दिया।
रतन टाटा जी के अविवाहित रहने का कारण
एक मुलाकात के दौरान, रतन टाटा जी ने अपनी शादी के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “मेरे जीवन में चार बार शादी के बिल्कुल नजदीक पहुंचा था, लेकिन कुछ कारणों से शादी नहीं हो पाई।” इसके अलावा, उन्होंने बताया कि लॉस एंजिल्स में काम करते समय उन्हें एक लड़की से प्यार हुआ था।
लेकिन घर के किसी सदस्य के बीमार होने के कारण अचानक रतन जी को भारत लौटना पड़ा। उस लड़की के माता-पिता ने उसे रतन जी के साथ भारत भेजने के लिए इंकार कर दिया। अंततः, उन्होंने शादी न करने का निर्णय लिया और वे मृत्यु तक अविवाहित रहे।
रतन टाटा के पुरस्कार और सम्मान
रतन टाटा जी को उनके कार्यों के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। नीचे हमने उन्हें प्राप्त कुछ प्रमुख पुरस्कारों के बारे में जानकारी दी है।
वर्ष | पुरस्कार | पुरस्कार देने वाला संगठन |
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2000 | पद्म भूषण | भारत सरकार |
2008 | पद्म विभूषण | भारत सरकार |
2005 | अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार | बी’नाई बी’रिथ इंटरनेशनल |
2006 | जिम्मेदार पूंजीवाद पुरस्कार | विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रेरणा और मान्यता के लिए (FIRST) |
2008 | मानद नागरिक पुरस्कार | सिंगापुर सरकार |
2008 | प्रेरित नेतृत्व पुरस्कार | प्रदर्शन थियेटर |
2010 | मानद डॉक्टर ऑफ लॉ | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
2010 | हैड्रियन पुरस्कार | विश्व स्मारक कोष |
2010 | ओस्लो बिजनेस फॉर पीस पुरस्कार | बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन |
2010 | लीजेंड इन लीडरशिप अवार्ड | येल विश्वविद्यालय |
2010 | शांति के लिए व्यापार पुरस्कार | बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन |
2012 | ग्रैंड कॉर्डन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन | जापान सरकार |
2014 | सयाजी रत्न पुरस्कार | बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन |
2015 | सयाजी रत्न पुरस्कार | बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन, ऑनरिस कॉसा, एचईसी पेरिस |
2016 | लीजन ऑफ ऑनर के कमांडर | फ़्रांस सरकार |
2021 | असम बैभव | असम सरकार |
रतन टाटा का निधन
दुनिया के प्रसिद्ध उद्यमी और दानशील व्यक्तित्व के धनी रतन टाटा ने 9 अक्टूबर 2024 को दुनिया को अलविदा कहा। कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था, और उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
आज रतन जी इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके महान कार्यों के कारण लोग हमेशा उन्हें अपने हृदय में जिंदा रखेंगे। जब भी देश पर कोई कठिनाई आई, तब रतन टाटा ने मदद का हाथ बढ़ाया। उनका ऋण इस मातृभूमि को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
FAQs
रतन टाटा के कितने बच्चे हैं?
रतन टाटा के कोई बच्चे नहीं हैं। वे अविवाहित रहे और उनका कोई परिवार नहीं है।
रतन टाटा का वारिस कौन था?
रतन टाटा का वारिस नोएल टाटा हैं। वे रतन टाटा के सौतेले भाई हैं और टाटा समूह के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। नोएल टाटा, नवल टाटा और सिमोन टाटा के पुत्र हैं।
रतन टाटा का जन्म और मृत्यु कब हुई थी?
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उनकी मृत्यु 9 अक्टूबर 2024 को हुई।
रतन टाटा के सबसे करीब कौन है?
रतन टाटा के सबसे करीब के दोस्तों में से एक शांतनु नायडू थे। उनकी दोस्ती और आपसी सम्मान ने रतन टाटा के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रतन टाटा के परिवार में कितने लोग हैं?
रतन टाटा के परिवार में मुख्यतः उनके छोटे भाई जिमी टाटा और सौतेले भाई नोएल टाटा शामिल हैं। उनके खुद के कोई बच्चे नहीं हैं। परिवार में अन्य रिश्तेदार भी हैं, लेकिन वे काफी सीमित हैं।
सारांश
हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत रतन टाटा की जीवनी (Ratan Tata Biography in Hindi) आपको जरूर पसंद आई होगी। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे भी रतन टाटा के जीवन परिचय और देश के प्रति उनके योगदान के बारे में जान सकें।
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