शेखर जोशी का जीवन परिचय – Shekhar Joshi Ka Jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम शेखर जोशी का जीवन परिचय (Shekhar Joshi Ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य जगत को आधुनिक युग में एक नया आयाम देने वाले साहित्यकारों की सूची में शेखर जोशी का नाम अग्रणी है। शेखर जी मुख्य रूप से एक लेखक और कथाकार थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में अनेक कहानी-संग्रहों का सृजन किया। ‘एक पेड़ की याद’ और ‘मेरा पहाड़’ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
शेखर जोशी के साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें साहित्य भूषण सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान और महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी प्रसिद्ध कहानी ‘दाज्यू’ पर एक फिल्म भी बनाई गई थी। आज भी उनके द्वारा रचित रचनाओं का पाठ देश के कई महाविद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
उनके साहित्य के आधार पर अनेक छात्रों ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। देश में होने वाली कई स्पर्धा परीक्षाओं में उनके साहित्य से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। तो आइए, हम शेखर जोशी का जीवन परिचय और हिंदी साहित्य में उनके योगदान पर एक नजर डालते हैं।
Contents
शेखर जोशी का प्रारंभिक जीवन
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गाँव में हुआ। उन्होंने 31 वर्षों तक सुरक्षा विभाग में कार्य किया और 1986 में सेवानिवृत्त हुए। प्रारंभिक शिक्षा के समय ही उन्होंने साहित्य में रुचि ली और सेवानिवृत्ति के बाद साहित्य सृजन में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
शेखर जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून से प्राप्त की। जब वे इंटरमीडिएट कर रहे थे, उसी दौरान उनके पास एक सुनहरा अवसर आया। सुरक्षा विभाग में शेखर जी को ई.एम.ई. अप्रेंटिसशिप के लिए चुना गया। यहाँ उन्होंने 31 वर्षों तक पूरी लगन से सेवा निभाई। जोशी जी ने 1955 से 1986 तक इस क्षेत्र में कार्य किया।
नाम | शेखर जोशी |
जन्म तिथि | 10 सितंबर 1932 |
जन्म स्थान | ओलिया गाँव, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड |
कार्यक्षेत्र | लेखक, कथाकार, सुरक्षा विभाग में 31 वर्षों तक कार्य |
शिक्षा | प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून से, इंटरमीडिएट के बाद सुरक्षा विभाग में काम शुरू |
साहित्यिक योगदान | ‘एक पेड़ की याद’, ‘मेरा पहाड़’, ‘दाज्यू’, ‘कोसी का घटवार’, ‘साथ के लोग’, ‘हलवाहा’ आदि |
पुरस्कार | साहित्य भूषण सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, श्रीलाल शुक्ल सम्मान |
मृत्यु | 10 सितंबर 2022, गाज़ियाबाद, वैशाली अस्पताल, आयु 90 वर्ष |
महत्वपूर्ण फिल्म | ‘दाज्यू’ पर बनी फिल्म, जो ‘चिल्ड्रंस फिल्म सोसाइटी’ द्वारा बनाई गई |
शेखर जोशी का साहित्यिक परिचय
शेखर जोशी ने साहित्यिक रचनाओं का सृजन अपने पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दिया था। वे नई कहानी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक माने जाते हैं। साल 1955 में, उन्होंने ‘धर्मयुग’ द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। प्रतियोगिता में सभी कहानियों में जोशी जी की कहानी परीक्षकों को सबसे बेहतर लगी, जिसके बाद उन्हें प्रथम स्थान का पारितोषिक दिया गया।
‘कोसी का घटवार’, ‘साथ के लोग’, ‘हलवाहा’, ‘नौरंगी बीमार है’—ये उनके कुछ प्रसिद्ध कहानी संग्रह हैं। उनकी ‘एक पेड़ की याद’ शब्दचित्र संकलन भी प्रकाशित हुआ था, जिसके लिए उन्हें 1987 में ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। ‘चिल्ड्रंस फिल्म सोसाइटी’ ने उनकी बहुचर्चित कहानी ‘दाज्यू’ पर एक फिल्म बनाई थी, और इस फिल्म ने सफलता हासिल की, जो जोशी जी की कहानी के प्रभाव को दर्शाता है।
उनके सभी कहानी संग्रह सामाजिक मुद्दों से जुड़े हुए थे, जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति, नौकरी करने वाले मध्यमवर्गीय मजदूरों की हालात, धर्म और जाति के नाम पर फैलने वाली गलत रूढ़ियाँ और परंपराएँ, और शहरों में रहने वाले मध्यमवर्गीय लोगों का जीवन। इन विषयों को लेकर शेखर जोशी ने अपनी साहित्यिक रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
शेखर जोशी की साहित्यिक रचनाएँ
शेखर जोशी नई कहानी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षरों में माने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कहानी संग्रहों का सृजन किया। उनके द्वारा रचित कुछ प्रमुख कहानियों के बारे में हमने नीचे जानकारी दी है।
कहानी-संग्रह
- कोशी का घटवार (1958)
- साथ के लोग (1978)
- हलवाहा (1981)
- नौरंगी बीमार है (1990)
- मेरा पहाड़ (1989)
- डागरी वाला (1994)
- बच्चे का सपना (2004)
- आदमी का डर (2011)
- एक पेड़ की याद (2015)
शब्द-चित्र संग्रह
- एक पेड़ की याद
शेखर जोशी को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
आधुनिक हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख कहानीकार शेखर जोशी को उनकी साहित्यिक रचनाओं के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। नीचे हमने उन्हें प्राप्त कुछ पुरस्कारों के बारे में जानकारी दी है।
- ‘एक पेड़ की याद’ इस प्रसिद्ध शब्दचित्र संकलन के लिए शेखर जोशी को ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार’ देकर उनका सम्मान किया गया।
- हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य क्षेत्र में दिया जाने वाला ‘साहित्य भूषण सम्मान’ और एक लाख रुपये की राशि देकर उनका सम्मान किया गया।
- मध्यप्रदेश सरकार की ओर से हिंदी साहित्य में योगदान देने वाले साहित्यकारों की सराहना करने के लिए ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ देकर उनका गौरव बढ़ाया गया।
- ग्रामीण और कृषि जीवन पर आधारित साहित्यिक रचनाएँ लिखने वाले हिंदी साहित्यकारों को दिया जाने वाला ‘श्रीलाल शुक्ल सम्मान’ भी शेखर जोशी को प्रदान किया गया।
शेखर जोशी की मृत्यु
10 सितंबर 1932 को शेखर जोशी जी का निधन हुआ। मृत्यु के समय उनकी आयु 90 वर्ष की थी। कुछ वर्षों से वे बीमारी से पीड़ित थे और गाज़ियाबाद के वैशाली अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। लेकिन वृद्धावस्था में उनका शरीर उपचारों का साथ नहीं दे रहा था। इसी अस्पताल में उन्होंने अपनी आखिरी साँस ली।
जोशी जी इस दुनिया से शारीरिक रूप से चले गए, ऐसा हम नहीं कह सकते, क्योंकि उन्होंने अपना देहदान किया था। आज किसी न किसी के शरीर के लिए उनके अवयव उपयोग में आए होंगे। हिंदी साहित्य जगत उनके साहित्यिक योगदान के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा।
FAQs
शेखर जोशी की प्रसिद्ध कहानी कौन सी है?
शेखर जोशी की सबसे प्रसिद्ध कहानी “दाज्यू” है। इसके अलावा, “कोसी का घटवार,” “साथ के लोग,” “हलवाहा,” और “नौरंगी बीमार है” भी उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
एक पेड़ की याद किसकी रचना है?
“एक पेड़ की याद” शेखर जोशी की रचना है। यह उनका प्रसिद्ध शब्दचित्र संकलन है, जिसके लिए उन्हें ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
गलता लोहा किसकी रचना है?
“गलता लोहा” शेखर जोशी की रचना है। यह उनकी प्रमुख कहानियों में से एक है, जो उनके साहित्यिक योगदान को दर्शाती है।
नौरंगी बीमार है इस कहानी संग्रह के लेखक कौन है?
“नौरंगी बीमार है” कहानी संग्रह के लेखक शेखर जोशी हैं। यह संग्रह उनके प्रसिद्ध कहानी संग्रहों में शामिल है।
कोसी का घटवार किसकी रचना है?
“कोसी का घटवार” शेखर जोशी की रचना है। यह उनकी प्रसिद्ध कहानियों में से एक है, जो ग्रामीण जीवन और उसकी समस्याओं को गहरे तरीके से प्रस्तुत करती है।
निष्कर्ष
हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत शेखर जोशी का जीवन परिचय (Shekhar Joshi Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी शेखर जोशी जी की जीवनी और हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के बारे में जान सकें।
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