कमलेश्वर का जीवन परिचय – Kamleshwar Ka Jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों! इस लेख में हम आपके लिए कमलेश्वर का जीवन परिचय (Kamleshwar Ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। कमलेश्वर जी आधुनिक हिंदी जगत के प्रमुख साहित्यकार और पत्रकार थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, समीक्षाएँ आदि साहित्य रचनाओं का सृजन किया। इसके अलावा, कमलेश्वर अपने समय के प्रसिद्ध संपादक भी थे। उन्होंने विहान-पत्रिका, नई कहानियाँ-पत्रिका, सारिका-पत्रिका जैसी कई पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया।
“एक सड़क, सत्तावन गलियाँ”, “तीसरा आदमी”, “डाक बंगला” जैसे दर्जनभर उपन्यासों का उन्होंने सृजन किया। उनके “राजा निरबंसिया”, “कस्बे का आदमी”, “जॉर्ज पंचम की नाक” जैसे कई प्रसिद्ध कहानी संग्रह प्रकाशित हुए। कमलेश्वर जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने नाटक, यात्रा वृतांत, समीक्षा ग्रंथ, संस्मरण, संपादन आदि क्षेत्रों में अपना योगदान दिया।
हिंदी साहित्य जगत में उनके योगदान को देखते हुए, साल 2003 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया और साल 2005 में भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले तीसरे सर्वोच्च नागरी पुरस्कार, पद्म भूषण पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया।
आज भी देश के कई महाविद्यालयों में उनके द्वारा रचित साहित्यिक रचनाओं का पाठ पढ़ाया जाता है। देश में होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं में उनके साहित्य के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं। अनेक छात्रों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री हासिल की है। तो आइए, कमलेश्वर का जीवन परिचय और हिंदी साहित्य में उनके योगदान पर एक नज़र डालते हैं।
विवरण | जानकारी |
---|---|
नाम | कमलेश्वर |
जन्म तिथि | 6 जनवरी 1932 |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश, मैनपुरी जिला |
पिता का नाम | श्री जगदंबा प्रसाद |
माता का नाम | शांतिदेवी |
भाई-बहनों की संख्या | 7 (कमलेश्वर सबसे छोटे) |
प्रारंभिक शिक्षा | गवर्नमेंट हाई स्कूल, मैनपुरी |
शिक्षा | बी.ए., एम.ए. (हिंदी साहित्य) |
विश्वविद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
विवाह | 1958 में, पत्नी का नाम गायत्री |
पेशे | साहित्यकार, पत्रकार, संपादक, पटकथा लेखक, दूरदर्शन पर महानिदेशक |
प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ | उपन्यास: “एक सड़क, सत्तावन गलियाँ”, “तीसरा आदमी”, “डाक बंगला” |
कहानी संग्रह: “राजा निरबंसिया”, “कस्बे का आदमी”, “जॉर्ज पंचम की नाक” | |
नाटक: “अधूरी आवाज”, “रेत पर लिखे नाम” | |
फिल्मों की पटकथा: ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘सारा आकाश’, ‘रजनीगंधा’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘सौतन’, ‘लैला’, ‘राम बलराम’ | |
पुरस्कार | साहित्य अकादमी पुरस्कार (2003), पद्म भूषण (2005) |
मृत्यु तिथि | 27 जनवरी 2007 |
मृत्यु का कारण | वृद्धावस्था और बीमारी |
आयु | 74 वर्ष |
योगदान | हिंदी साहित्य के क्षेत्र में 12 उपन्यास, 17 कहानी संग्रह, 100 फ़िल्मों की पटकथा, संपादन कार्य, नाटक लेखन, आदि। |
Contents
कमलेश्वर का जन्म और परिवार
आधुनिक हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख साहित्यकार कमलेश्वर जी का जन्म 6 जनवरी 1932 में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उनके पिता का नाम श्री जगदंबा प्रसाद और माता का नाम शांतिदेवी था। उन्हें कुल सात पुत्र थे, जिनमें कमलेश्वर सबसे छोटे थे। मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी।
कमलेश्वर की आयु केवल 3 वर्ष थी, जब उनके पिता दिल का दौरा पड़ने के कारण स्वर्गवासी हो गए। परिवार में माँ और सात भाई मिलाकर कुल आठ लोग थे। अपने परिवार का जिम्मा कमलेश्वर के बड़े भाई सिद्धार्थ ने उठाया।
सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन नियति ने फिर से उनके परिवार की परीक्षा ली और पिता की मृत्यु के कुछ ही समय बाद सिद्धार्थ का भी निधन हो गया। इस विपरीत परिस्थिति में परिवार पर बड़ा संकट आ पड़ा, और इस संकट का सामना करते हुए कमलेश्वर जी का बचपन और उनके परिवार का आर्थिक जीवन बड़ी कठिनाइयों से गुजरा।
कमलेश्वर जी की शिक्षा
कमलेश्वर जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव मैनपुरी के एक गवर्नमेंट हाई स्कूल में पूरी की। लेकिन शिक्षा पूरी करने के लिए उनकी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। सात भाइयों में सभी का खाना-पीना और पढ़ाई का खर्च देखना था, और कमाने वाले पिता और बड़े भाई की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में कमलेश्वर जी को शिक्षा प्राप्त करने में बड़ी रुकावटें आईं।
फिर भी, उनके मन में सीखने की चाह बहुत मजबूत थी। आर्थिक समस्याएँ जीवन में आती रहीं, लेकिन इसी दौरान उन्होंने अपनी बी.ए. की शिक्षा पूरी की। इसके बाद, उन्होंने एम.ए. की पढ़ाई करने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1954 में हिंदी साहित्य में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की।
अपने महाविद्यालयीन शिक्षा के दौरान, उन्होंने हिंदी साहित्यिक रचनाओं का सृजन करना प्रारंभ किया, और यहीं से उनका साहित्यिक सफर शुरू हुआ।
कमलेश्वर जी का वैवाहिक जीवन
साल 1954 में अपनी एम.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद, कमलेश्वर जी ने विभिन्न जगहों पर काम करना शुरू किया। साल 1958 में उन्होंने शादी कर ली, और उनकी पत्नी का नाम गायत्री था।
शादी के समय, कमलेश्वर जी की उम्र लगभग 27 वर्ष थी। अपने परिवार में, वे अपनी माँ और पत्नी के अलावा प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार मोहन राकेश और दुष्यंत कुमार का बहुत सम्मान करते थे।
कमलेश्वर जी का कार्य क्षेत्र
कमलेश्वर जी ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपना स्वतंत्र लेखन कार्य शुरू किया। साहित्यिक रचनाओं का सृजन करते हुए, उन्होंने अनेक मासिक और साप्ताहिक पत्रिकाओं के लिए संपादन का कार्य भी जारी रखा, जिनमें दैनिक जागरण, इंगित, नई कहानी, सारिका, और श्रीवर्षा जैसी कई पत्रिकाएँ शामिल हैं।
इसके अलावा, उन्होंने दूरदर्शन पर महानिदेशक के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई। स्वतंत्र लेखन के दौरान, उन्होंने कई हिंदी फिल्मों की पटकथा भी लिखी, जिनमें ‘आंधी’, ‘मौसम’, ‘सारा आकाश’, ‘रजनीगंधा’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘सौतन’, ‘लैला’, और ‘राम बलराम’ जैसी चर्चित फिल्में शामिल हैं। कुछ समय के लिए, उन्होंने सरकारी नौकरी भी की। इस प्रकार, कमलेश्वर जी का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत रहा।
कमलेश्वर जी का साहित्यिक परिचय
कमलेश्वर जी का साहित्यिक कार्यकाल बहुत ही लंबा रहा। उन्होंने अपने करियर में 12 उपन्यास, 17 कहानी संग्रह और 100 फ़िल्मों की पटकथा लिखी। अपने जीवन के सात से आठ दशकों तक उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कार्य किया।
उन्होंने एम.ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद हिंदी लेखन शुरू किया और जीवन के अंत तक इसे जारी रखा। बाद में, उन्होंने अपने लेखन की शुरुआत उपन्यास और कहानी संग्रह से की। “एक सड़क, सत्तावन गलियाँ” उनका पहला उपन्यास था, जो 1957 में प्रकाशित हुआ। उसी वर्ष उनका कहानी संग्रह “राजा निरबंसिया” भी प्रकाशित हुआ। शुरुआत के बाद उनकी अनेक साहित्यिक रचनाएँ लगातार प्रकाशित होती रहीं।
उन्होंने नाटकों का भी लेखन किया, जिसमें “अधूरी आवाज”, “रेत पर लिखे नाम” जैसे प्रसिद्ध नाटक शामिल हैं। उनकी लेखन की भाषा बिल्कुल शुद्ध और सरल थी, और उन्होंने ऐसे शब्दों का उपयोग किया, जो पढ़ने वालों के मन में रुचि उत्पन्न करते थे। नई कहानी आंदोलन के प्रमुख साहित्यकारों में मोहन राकेश, राजेंद्र यादव, कृष्णा सोबती, मन्नू भंडारी के साथ ही कमलेश्वर जी का नाम भी शामिल है।
कमलेश्वर जी की साहित्यिक रचनाएँ
कमलेश्वर जी ने हिंदी साहित्य जगत में अनेक विधाओं में उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया। उनके द्वारा रचित कुछ महत्वपूर्ण रचनाओं के बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
उपन्यास
- एक सड़क, सत्तावन गलियाँ
- तीसरा आदमी
- डाक बंगला
- समुद्र में खोया हुआ आदमी
- काली आँधी
- आगामी अतीत
- सुबह…दोपहर…शाम
- रेगिस्तान
- लौटे हुए मुसाफ़िर
- वही बात
- एक और चंद्रकांता
- कितने पाकिस्तान
- अंतिम सफर
कहानी संग्रह
- राजा निरबंसिया
- कस्बे का आदमी
- खोई हुई दिशाएँ
- मांस का दरिया
- बयान
- आजादी मुबारक
- जॉर्ज पंचम की नाक
- अपना एकांत साँप
- नीली झील
- जोखिम
- नागमणि
- आसक्ति
- जिन्दा मुर्दे
- मुर्दों की दुनिया
- स्मारक
- इतने अच्छे दिन
- कथा प्रस्थान
- कोहरा
पटकथा एवं संवाद
- सौतन की बेटी
- लैला
- यह देश
- रंग बिरंगी
- सौतन
- साजन की सहेली
- राम बलराम
- मौसम
- आंधी
संपादन कार्य
- विहान-पत्रिका
- नई कहानियाँ-पत्रिका
- सारिका-पत्रिका
- कथायात्रा-पत्रिका
- गंगा-पत्रिका
- इंगित-पत्रिका
- श्रीवर्षा-पत्रिका
नाटक
- अधूरी आवाज़
- रेत पर लिखे नाम
- हिंदोस्ता हमारा
कमलेश्वर जी को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान
कमलेश्वर जी को हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कारों की जानकारी दी गई है:
- साहित्य अकादमी पुरस्कार: 2003 में हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला।
- पद्म भूषण: 2005 में भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
कमलेश्वर जी का निधन
कमलेश्वर जी ने 27 जनवरी 2007 को अपने जीवन की अंतिम साँस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु 74 वर्ष थी। कुछ दिनों से वे बीमार थे, और वृद्धावस्था के कारण उनकी मौत हुई, ऐसा कहा जाता है। अपने जीवन के अंतिम समय तक उन्होंने हिंदी साहित्य की सेवा की। हिंदी साहित्य जगत उनके इस योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा।
आज कमलेश्वर जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी साहित्यिक रचनाओं के कारण वे आज भी साहित्य प्रेमियों में जीवित हैं। अपने कार्य से उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई और साहित्यकारों की सूची में अपना अलग नाम बनाया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कमलेश्वर की पत्नी का नाम क्या था?
कमलेश्वर जी की पत्नी का नाम गायत्री था। और वे उनका बहुत सम्मान करते थे।
दिल्ली में एक मौत किसकी रचना है?
“दिल्ली में एक मौत” कमलेश्वर जी की रचना है। यह एक महत्वपूर्ण कहानी है, जिसमें समाज और व्यक्तिगत जीवन के पहलुओं को दिखाया गया है।
कस्बे का आदमी किसकी रचना है?
“कस्बे का आदमी” कमलेश्वर जी की रचना है। यह एक प्रसिद्ध कहानी संग्रह है, जिसमें छोटे कस्बों की जीवनशैली और मानवीय अनुभवों को बड़े प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
समुद्र में खोया हुआ आदमी किसका उपन्यास है?
“समुद्र में खोया हुआ आदमी” कमलेश्वर जी का उपन्यास है। यह उपन्यास मानव अस्तित्व, पहचान, और जीवन की गहराई को दर्शाता है।
‘कितने पाकिस्तान’ किसकी रचना है?
“कितने पाकिस्तान” कमलेश्वर जी की रचना है। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को छूता है और मानवीय भावनाओं को व्यक्त करता है।
सारांश
हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत कमलेश्वर का जीवन परिचय (Kamleshwar Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे भी कमलेश्वर जी की जीवनी और हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के बारे में जान सकें।
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