रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी: अद्भुत कवि, संगीतकार, चित्रकार और विश्व भ्रमणकारी यात्री!
Rabindranath Tagore Biography (रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी): जब आप रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का नाम सुनते हैं, तो सबसे पहले आपको भारत का राष्ट्रीय गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान, आमार सोनार बांग्ला याद आएगा. इतना ही नहीं, रवीन्द्रनाथ टैगोर जी एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
वह एक महान कवि, संगीतकार, चित्रकार और विश्व भ्रमणकारी यात्री भी थे जिन्होंने अपने जीवनकाल में लगभग 34 देशों की यात्रा की थी.
रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी (Rabindranath Tagore Biography)
रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) एक स्वतंत्र सेनानी थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान बहुत मूल्यवान था. आज के इस लेख हम रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी (Rabindranath Tagore Biography), रवींद्रनाथ टैगोर जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti), रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म (Rabindranath Tagore Born), रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु (Rabindranath Tagore Death), रवींद्रनाथ टैगोर का परिवार (Rabindranath Tagore Family), रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा (Rabindranath Tagore Education) तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें ताकि उनकी पूरी कहानी (Rabindranath Tagore Story) आप जान सके.
रबीन्द्रनाथ टैगोर का बचपन और परिवार (Rabindranath Tagore Childhood & Family)
रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था. उनके परिवार में वास्तव में बहुत से सदस्य हैं, नीचे हमने उनके कुछ निकटस्थ परिवार के लोगों के नाम दिए हैं.
रबीन्द्रनाथ टैगोर का परिवार (Rabindranath Tagore Family)
- बच्चे – रथीन्द्रनाथ टैगोर, शमिन्द्रनाथ टैगोर, रेणुका देवी, मीरा देवी, मधुरिलता देवी
- पत्नी – मृणालिनी देवी
- माता पिता – देवेन्द्रनाथ टैगोर, सारदा देवी
- भाई बहन – हेमेन्द्रनाथ टैगोर (और अन्य भाई बहन)
- दादा दादी – द्वारकानाथ टैगोर, दिगंबरी देवी
रवीन्द्रनाथ टैगोर के दादा द्वारकानाथ टैगोर उस समय के प्रसिद्ध उद्योगपति थे, इसलिए उनका परिवार शुरू से ही समृद्ध रहा था. लेकिन रवीन्द्रनाथ जी के पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर का झुकाव अध्यात्म की ओर अधिक था इसलिए वे अपने पिता का व्यवसाय आगे नहीं बढ़ा सके.
लोग पहले टैगोर परिवार को “ठाकुर” उपनाम से संबोधित करते थे, लेकिन अंग्रेजों को उनके उपनाम का उच्चारण करना मुश्किल होता था, इसलिए वे उन्हे ठाकुर की बजाय टैगोर नाम से उच्चारते थे, और समय के साथ लोग उन्हे फिर “टैगोर” उपनाम से ही पहचानने लगे.
देवेन्द्रनाथ टैगोर के कुल 14 बच्चे थे जिनमें से आखिरी संतान नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) थे. रवीन्द्रनाथ जी को घर में सभी प्यार से “रोबी” उपनाम से बुलाते हैं.
22 वर्ष की उम्र में, 1883 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मृणालिनी देवी से अपना विवाह किया था. उनके कुल 5 बच्चे थे जिनमें से दो की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी.
रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा (Rabindranath Tagore Education)
बचपन में पढ़ाई का और रवींद्रनाथ टैगोर (Ravindranath Tagore) का 36 का आंकड़ा था, उस वजह से स्कूल में उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता था.
और इस कारण रवीन्द्रनाथ टैगोर को स्कूल मे अक्सर शिक्षकों से मार खानी पड़ती थी. स्कूली जीवन में उनकी प्रगति को बेहतर बनाने के लिए उन्हें अलग-अलग स्कूलों में भी भर्ती किया गया था, लेकिन बाद में उनके परिवार ने हताश होकर उन्हें स्कूल से निकाल दिया था.
उनके बड़े भाई हेमेंद्रनाथ टैगोर ने उन्हें घर पर ही शिक्षा देना शुरू कर दिया. उन्होंने उन्हें शरीर विज्ञान, गणित, इतिहास आदि विषयों के अलावा शारीरिक प्रशिक्षण देना शुरू किया, जिसमें उन्हें जूडो, गंगा में गोताखोरी, ट्रैकिंग, जिमनास्टिक में पारंगत करना शुरू किया. इसके अलावा टीचर उन्हें पेंटिंग और संगीत सिखाने के लिए भी उनके घर आते थे.
12 साल की उम्र में, उनके पिता उन्हें आत्म-खोज की यात्रा पर ले गए थे. पहेले वे शांतिनिकेतन के एक छोटेसे जगह पे, बाद मे अमृतसर में रहते हुए, उन्होंने स्वर्ण मंदिर में बैठकर बार-बार गुरु वाणी का पाठ किया था. उसके बाद उनके पिता उन्हें हिमालय में डेलहौसी की पर्वत श्रृंखला पर ले गए थे. वहां उन्होंने आर्थिक इतिहास और आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ कई अन्य विषयों का अध्ययन किया था.
उसके बाद उनके पिता ने उन्हें वाल्मीक द्वारा रचित उपनिषदों और रामायण की शिक्षा देना शुरू किया. बाद मे रवीन्द्रनाथ जी और उनका परिवार आगे की शिक्षा के लिए 1878 मे इंग्लैंड चले गए और वहां उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से उन्होंने कानून की पढ़ाई की पर इनको पढ़ाई मे रुची ना होने के कारण वह कॉलेज से ड्रॉप आउट हो गए.
रवींद्रनाथ टैगोर का साहित्यिक जीवन (Literary Life Of Rabindranath Tagore)
बहुत कम उम्र में कविता लेखन की शुरुआत करना उनकी विशेषता थी, और उन्होंने अपनी पहली कविता 13 साल की आयु में रची थी.
उनकी वह कविता 1874 मे तत्तोबोधिनी पत्रिका में भी प्रकाशित हुई थी. शुरुआती दिनों में उन्होंने कई गाने लिखना और उनमें संगीत देना शुरू किया.
स्वामी विवेकानन्द उनके गीतों के बहुत बड़े प्रशंसक थे. उसके बाद उन्होंने कहानियाँ, लघुकथाएँ और निबंध भी लिखना शुरू किया.
उनके जादुई हाथ से लगभग 2230 कविताएँ लिखी गईं, इन कविताओं का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया और उसके बाद उनकी कविताएँ विश्व प्रसिद्ध हो गईं. उनकी अधिकांश कविताएँ स्वतंत्रता पर आधारित और प्रेरणादायक थीं.
1913 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और वह सम्मान उन्हें विश्व में प्रसिद्ध महाकाव्य ‘गीतांजलि’ की रचना के लिए मिला था.
रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा के प्रति योगदान (Rabindranath Tagore’s Contribution Towards Education)
रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) एक असामान्य व्यक्तित्व थे. उनकी शब्दावली में आराम नाम का कोई शब्द नहीं था. उनका ध्यान लगातार काम करने और कुछ नया सीखने पर ज्यादा होता था.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1901 में शांति निकेतन की स्थापना की थी और इसके पीछे उनकी मंशा बहुत ही नेक थी कि हर छात्र को पढ़ाई का अनुकूल माहौल मिले ताकि वे प्रकृति के सानिध्य में पढ़ाई का आनंद उठा सकें.
इसके लिए उन्होंने शांतिनिकेतन में कई पेड़ और विभिन्न पौधे लगाए. सभी उन्हें गुरुदेव कहते हैं. आख़िरकार यह सपना सच हुआ और शांतिनिकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया. इसके माध्यम से उन्होंने कई विद्यार्थियों का जीवन संवारा.
रवींद्र नाथ टैगोर की मृत्यु (Rabindranath Tagore Death)
रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) भारत के एक अद्भुत व्यक्तित्व थे. उन्हें बहुमुखी व्यक्तित्व वाला औलिया कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि भारत के इस हीरे ने पूरी दुनिया को अपनी रोशनी दिखाई है. उनकी कलम से कई बेहतरीन गीत, संगीत, कविता, कहानियां, और उपन्यास लिखे गए.
इस महान व्यक्ति की मृत्यु 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में हुई थी. आज वह हमारे बीच नहीं है, पर उनके अभूतपूर्व योगदान के कारण यह नाम हमेशा हमारे बीच रहेगा.
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti)
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती पर, भारत में उनके जन्म दिवस को एक महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण दिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन कई स्कूल, कॉलेज, और सांस्कृतिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें उनके जीवन और कार्य को समर्पित किया जाता है.
इस अवसर पर उनकी शिक्षाविद्या, साहित्य, संगीत, और विचारों के महत्व को साझा किया जाता है, ताकि नवयुवकों को उनके आदर्शों और विचारों से प्रेरित किया जा सके.
इस दिन कई लोग उनके काव्य, गीत, और विचारों का पाठ और संगीत सुनने के लिए समर्पित होते हैं, जिससे उनकी विरासत को याद रखा जाता है और उनके उपदेशों को आज के समय में भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
इस दिन कई स्थानों पर चित्रकला, संगीत, नाट्य, और साहित्यिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिनमें युवाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है.
यह जयंती एक ऐसा अवसर है जिसमें लोग टैगोर जी के समृद्ध एवं उत्कृष्ट जीवन को याद करते हैं और उनके आदर्शों का पालन करने का संकल्प लेते हैं.
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सारांश
आज इस लेख में हमने रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी को संक्षेप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. इसमें हमने रवींद्रनाथ टैगोर जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti), रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म (Rabindranath Tagore Born), रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु (Rabindranath Tagore Death), रवींद्रनाथ टैगोर का परिवार (Rabindranath Tagore Family), रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा (Rabindranath Tagore Education) के बारे मे जाना.
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FAQ’s
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कब हुआ?
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था. वह भारतीय साहित्य और संस्कृति के महान कवि, संगीतकार, चित्रकार और समाज सुधारक थे. उनके काव्य, कथाएँ, नाटक, और संगीत ने विश्वभर में गहरा प्रभाव डाला. उनके जन्मदिन को भारत में रवींद्रनाथ टैगोर जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिसमें उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है और उनके आदर्शों का पालन किया जाता है.
रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु कब हुई?
रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु 7 अगस्त 1941 को हुई थी. उनकी मृत्यु ने भारतीय साहित्य और संस्कृति को एक विशेष हानि पहुंचाई, लेकिन उनकी कला, विचारधारा, और आदर्शों का प्रभाव आज भी दर्शकों और पाठकों पर बना है.
रविन्द्र नाथ टैगोर का पूरा नाम क्या है?
रवींद्रनाथ टैगोर, जिनका पूरा नाम रबीन्द्रनाथ देवेन्द्रनाथ ठाकुर था, उन्हें अधिकतर “गुरुदेव” के नाम से जाना जाता है.