राजेंद्र यादव का जीवन परिचय – Rajendra Yadav Ka Jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों! इस लेख में हम आपके लिए राजेंद्र यादव का जीवन परिचय (Rajendra Yadav Ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य जगत में आधुनिक युग के प्रमुख साहित्यकारों में राजेंद्र यादव का नाम आता है। नई कहानी आंदोलन के प्रमुख साहित्यकारों में यह नाम अग्रणी है। राजेंद्र जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अनेक विधाओं में लेखन कार्य किया।
उनके द्वारा ‘हाथों से देवताओं की मूर्तियाँ’, ‘खेल-खिलौने’, और ‘जहाँ लक्ष्मी कैद है’ जैसे दर्जनभर कहानी संग्रहों का सृजन हुआ। इसके अलावा, ‘सारा आकाश’, ‘उखड़े हुए लोग’, और ‘कुलटा’ जैसे उपन्यास भी लिखे गए। उनका ‘आवाज तेरी है’ नामक एक काव्य संग्रह भी प्रकाशित हुआ था।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने नाटक, अनुवाद, निबंध, और अन्य साहित्यिक रचनाओं का भी सृजन किया। राजेंद्र जी अपने कार्यकाल में एक प्रसिद्ध संपादक के रूप में भी जाने जाते थे। ‘हंस’ और अन्य कई साहित्यिक पत्रिकाओं में उन्होंने संपादकीय कार्य किया। उनके साहित्यिक योगदान के लिए, साहित्य क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले साहित्यकारों को दिए जाने वाले ‘शलाका सम्मान’ पुरस्कार देकर उनका गौरव किया गया।
Contents
राजेंद्र यादव का प्रारंभिक जीवन
राजेंद्र यादव का जन्म 28 अगस्त 1929 को आगरा में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और नई कहानी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे। उनका पालन-पोषण आगरा में हुआ, जहाँ से उनका साहित्यिक जीवन प्रारंभ हुआ। राजेंद्र यादव का जीवन साहित्य के प्रति उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
आगरा शहर भारत के इतिहास का एक प्रमुख केंद्रबिंदु रहा है। जैसे यह शहर ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध है, वैसे ही हिंदी साहित्य जगत में राजेंद्र यादव जी के जन्मस्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। उनके पिता का नाम मिस्त्रीलाल यादव और माता का नाम ताराबाई था। उन्हें तीन बेटे और छह बेटियाँ थीं, जिनमें से राजेंद्र जी सबसे बड़े बेटे थे। उनका पूरा बचपन आगरा में ही गुजरा।
विवरण | जानकारी |
---|---|
नाम | राजेंद्र यादव |
जन्म तिथि | 28 अगस्त 1929 |
जन्म स्थान | आगरा, उत्तर प्रदेश |
माता-पिता | पिता – मिस्त्रीलाल यादव, माता – ताराबाई |
परिवार | तीन बेटे और छह बेटियाँ, राजेंद्र जी सबसे बड़े बेटे थे |
शिक्षा | प्रारंभिक शिक्षा उर्दू में, बाद में आगरा विश्वविद्यालय से बी.ए. और एम.ए. |
कार्यक्षेत्र | लेखक, संपादक, हिंदी विषय के प्राध्यापक |
प्रमुख रचनाएँ | ‘हाथों से देवताओं की मूर्तियाँ’, ‘खेल-खिलौने’, ‘सारा आकाश’, ‘उखड़े हुए लोग’, ‘कुलटा’, ‘जहाँ लक्ष्मी कैद है’, ‘आवाज तेरी है’, ‘एक इंच मुस्कान’, ‘छोटे-छोटे ताजमहल’ |
प्रमुख सम्मान | शलाका सम्मान |
विवाह | मन्नू भंडारी से 22 नवंबर 1959 को |
संताने | एक बेटी, नाम – रचना |
मृत्यु तिथि | 28 अक्टूबर 2013 |
आयु | 86 वर्ष |
साहित्यिक योगदान | ‘नई कहानी’ आंदोलन के प्रमुख स्तंभ, संपादक के रूप में कार्य किया, अनेक विधाओं में रचनाएँ कीं |
राजेंद्र यादव की शिक्षा
राजेंद्र यादव बचपन से ही शिक्षा के मामले में गंभीर थे, और उनके घर का माहौल शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुकूल था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उर्दू में ली, उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने झाँसी के एक महाविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने अपनी मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी की।
आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और हिंदी विषय में बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की। साहित्य क्षेत्र में आने की इच्छा उनके मन में छात्र जीवन से ही थी, इसलिए हिंदी विषय लेकर उन्होंने अपना एम.ए. भी पूरा किया। महाविद्यालयीन जीवन में ही उन्होंने साहित्यिक रचनाओं का सृजन शुरू कर दिया था।
राजेंद्र यादव का कार्यक्षेत्र
राजेंद्र जी का कार्यक्षेत्र बहुत ही विस्तृत था। उन्होंने अपने कार्यकाल में ज्यादातर संपादक के रूप में काम किया। शुरुआती दौर में उन्होंने ज्ञानोदय नामक साप्ताहिक पत्रिका के लिए संपादक के रूप में कार्य किया। कुछ समय तक वे महाविद्यालय में हिंदी विषय के प्राध्यापक भी रहे।
‘हंस’, जो मुंशी प्रेमचंद द्वारा निकाली गई एक कहानी मासिक पत्रिका थी, इसमें ज्यादातर साहित्यकारों की लिखी हुई कहानियाँ प्रकाशित होती थीं। राजेंद्र जी ने इस मासिक के लिए लगातार 25 वर्षों तक कार्य किया। संपादकीय कार्य करते हुए उन्होंने स्वतंत्र लेखन भी शुरू किया और बीच-बीच में उनकी साहित्यिक रचनाएँ प्रकाशित होती रही।
राजेंद्र यादव का वैवाहिक जीवन
राजेंद्र यादव जी ने हिंदी साहित्य जगत की प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी से 22 नवंबर 1959 को शादी की। दोनों की मुलाकात बालीगंज शिक्षा सदन में हुई थी। राजेंद्र जी को उस स्कूल के पुस्तकालय का काम सौंपा गया था, और मन्नू जी उस स्कूल में प्राध्यापक थीं। बातचीत के दौरान दोनों की मुलाकात प्यार में बदल गई।
मन्नू जी के घर से इस विवाह के लिए सहमति नहीं थी, लेकिन फिर भी दोनों कलकत्ता आ गए, और यहाँ पर उन्होंने शादी की। उनकी शादी की सभी रस्में मन्नू जी की बड़ी बहन सुशीला और उनके पति ने पूरी की। कुछ समय तक वे कलकत्ता में रहे, लेकिन बाद में वे दिल्ली आ गए और यहीं पर स्थायी रूप से बस गए। उनकी एक बेटी है, जिसका नाम उन्होंने रचना रखा।
राजेंद्र यादव का साहित्यिक परिचय
राजेंद्र जी ने छात्र अवस्था में हिंदी साहित्य क्षेत्र में पदार्पण किया था। आधुनिक हिंदी साहित्य जगत में ‘नई कहानी’ आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक स्तंभ थे राजेंद्र यादव। सारा आकाश, शह और मात, एक इंच मुस्कान, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे ताजमहल — ये उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ थीं।
राजेंद्र जी केवल एक कहानीकार नहीं थे, उन्होंने सभी विधाओं में अपनी कलम चलाई। उनका साहित्यकाल और जीवन के बारे में सभी घटनाओं का उल्लेख उन्होंने अपनी आत्मकथा मुड़-मुड़के देखता हूँ में किया है। उनके साहित्यिक प्रवास में उन्हें अपनी सहयोगी पत्नी मन्नू भंडारी जी का साथ मिला, और दोनों ने मिलकर अनेक साहित्यिक रचनाओं का सृजन किया।
राजेंद्र जी अपने लिखे हुए साहित्य का प्रकाशन खुद करते थे। उस समय, एक प्रसिद्ध लेखक के अलावा, वे प्रसिद्ध संपादक के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने अनेकों विषयों पर अपनी साहित्यिक रचनाएँ कीं, जिनमें सामाजिक, राजकीय, प्रकृति आदि विषयों का समावेश था।
हिंदी साहित्य जगत में राजेंद्र जी उनके सरल और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते थे। लेकिन जब वे कोई सामाजिक या राजकीय राय रखते थे, तो वे कभी नहीं डरते थे। उन्हें जो गलत लगता था, उसके बारे में वे बेझिझक लिखते थे। आगे उसका परिणाम क्या होगा, इसके बारे में उनके मन में कोई डर नहीं था। सही को सही और गलत को गलत कहने में वे कभी नहीं डरते थे।
राजेंद्र यादव की साहित्यिक रचनाएँ
अपने कार्यकाल में राजेंद्र जी ने अनेक विधाओं में साहित्यिक रचनाएँ कीं। उन्होंने कहानी संग्रह, उपन्यास, निबंध, काव्य संग्रह, आत्मकथा, समीक्षा, अनुवाद आदि साहित्यिक रचनाओं का सृजन किया। उनकी लिखी हुई साहित्यिक रचनाओं के बारे में, हमने नीचे जानकारी दी है।
कहानी-संग्रह
- देवताओं की मूर्तियाँ
- खेल-खिलौने
- जहाँ लक्ष्मी कैद है
- अभिमन्यु की आत्महत्या
- छोटे-छोटे ताजमहल
- किनारे से किनारे तक
- टूटना
- चौखटे तोड़ते त्रिकोण
- ये जो आतिश गालिब (प्रेम कहानियाँ)
- यहाँ तक: पड़ाव-1, पड़ाव-2
- वहाँ तक पहुँचने की दौड़
उपन्यास
- सारा आकाश
- उखड़े हुए लोग
- कुलटा
- शह और मात
- अनदेखे अनजान पुल
- एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ)
- मन्त्रविद्ध
- एक था शैलेन्द्र
समीक्षा-निबंध
- कहानी: स्वरूप और संवेदनाः
- प्रेमचन्द की विरासत
- अठारह उपन्यास
- औरों के बहाने
- काँटे की बात (बारह खण्ड)
- कहानी अनुभव और अभिव्यक्तिः
- उपन्यास: स्वरूप और संवेदनाः
- आदमी की निगाह में और
- वे देवता नहीं हैं
- मुड़-मुड़के देखता हूँ
- अब वे वहाँ नहीं रहते
- मेरे साक्षात्कार
- काश, मैं राष्ट्रद्रोही होता
- जवाब दो विक्रमादित्य (साक्षात्कार)
कविता
- आवाज तेरी है
नाटक
- चैखव के तीन नाटक (सीगल, तीन बहनें, चेरी का बगीचा)
अनुवाद
- उपन्यास : टक्कर (चैखव)
- हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव)
- प्रथम-प्रेम (तुर्गनेव)
- वसन्त-प्लावन (तुर्गनेव)
- एक मछुआ : एक मोती (स्टाइनबैक)
- अजनबी (कामू) – ये सारे उपन्यास ‘कथा शिखर’ के नाम से दो खण्डों में
- नरक ले जाने वाली लिफ्ट
- स्वस्थ आदमी के बीमार विचार
संपादन कार्य
- एक दुनिया समानान्तर
- प्रेमचन्द द्वारा स्थापित कथा-मासिक ‘हंस’ का अगस्त, 1986 से
- कथा-दशक: हिन्दी कहानियाँ (1981 – 90)
- आत्मतर्पण
- अभी दिल्ली दूर है
- काली सुर्खियाँ (अश्वेत कहानी-संग्रह)
- कथा यात्रा
- अतीत होती सदी और त्रासदी का भविष्य
- औरत: उत्तरकथा
राजेंद्र यादव की मृत्यु
राजेंद्र यादव जी 28 अक्टूबर 2013 को अपने जीवन की अंतिम साँस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु 86 वर्ष थी। अनेक दशकों तक उन्होंने हिंदी साहित्य जगत के लिए कार्य किया। उनके कार्य की सराहना करने हेतु प्रमुख साहित्यकारों को दिया जाने वाला ‘शलाका सम्मान’ उन्हें प्राप्त हुआ।
अपने जीवन के अंतिम समय में वे दिल्ली में रह रहे थे। आज राजेंद्र जी हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन साहित्य प्रेमियों के लिए वे अपने साहित्य के रूप में आज भी जीवित हैं। हिंदी साहित्य जगत उनके इस योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा।
FAQs
टूटना कहानी किसकी रचना है?
टूटना कहानी राजेंद्र यादव की रचना है। यह उनकी प्रसिद्ध कहानियों में से एक है, जो ‘नई कहानी’ आंदोलन का हिस्सा मानी जाती है।
देहरी भई विदेश किसकी रचना है?
देहरी भई विदेश कहानी राजेंद्र यादव की रचना है। यह कहानी उनकी उन रचनाओं में से एक है जो समाज, रिश्तों और मानसिकता पर गहरी टिप्पणी करती है।
मुड़-मुडक़े देखता हूँ किसकी आत्मकथा है?
मुड़-मुड़के देखता हूँ राजेंद्र यादव की आत्मकथा है। यह आत्मकथा उनके जीवन, संघर्षों, साहित्यिक यात्रा और व्यक्तिगत अनुभवों का विस्तृत चित्रण करती है।
राजेंद्र यादव कौन थे?
राजेंद्र यादव हिंदी साहित्य के प्रमुख कहानीकार, उपन्यासकार और संपादक थे, जो ‘नई कहानी’ आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे।
एक था शैलेन्द्र किसका उपन्यास है?
एक था शैलेन्द्र राजेंद्र यादव का उपन्यास है। यह उपन्यास शैलेन्द्र नामक एक व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयों और उसके संघर्षों को दर्शाता है।
निष्कर्ष
हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत राजेंद्र यादव का जीवन परिचय (Rajendra Yadav Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि वे भी राजेंद्र यादव जी की जीवनी और हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के बारे में जान सकें।
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