उदय शंकर भट्ट का जीवन परिचय – Uday Shankar Bhatt Ka Jivan Parichay

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नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम Uday Shankar Bhatt Ka Jivan Parichay देखने जा रहे हैं। उदय शंकर भट्ट जी को हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक और कवि के रूप में जाना जाता है, लेकिन वे मुख्य रूप से एकांकीकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। हिंदी साहित्य के प्रमुख एकांकीकारों की सूची में राजकुमार वर्मा, जगदीशचंद्र माथुर, भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र, और उदय शंकर भट्ट का नाम आता है। इनमें से उदय शंकर जी आधुनिक युग के प्रमुख एकांकीकार थे।

अपनी कल्पनाशील बुद्धि और सुंदर लेखनी से उन्होंने तक्षशिला, राका, विसर्जन, अमृत और विष जैसी कई कृतियों का सृजन किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने सक्रिय भाग लिया था। इसके अलावा, उदय शंकरजी ने भारत के आकाशवाणी केंद्र में निर्देशक तथा सलाहकार के रूप में भी कार्य किया था। उनके जीवन के बारे में जानने के लिए इस लेख में दिया गया उदय शंकर भट्ट का जीवन परिचय आप जरूर पढ़ें ताकि आप उनके साहित्य और समाज के प्रति योगदान को समझ सकें।

विवरणजानकारी
नामउदय शंकर भट्ट
जन्मतिथि3 अगस्त 1898
जन्मस्थानइटावा, उत्तर प्रदेश
पिता का नामगंगाशंकर भट्ट
माता का नामचंपाबेन भट्ट
शिक्षासंस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी (इटावा)
बी.ए. (काशी हिंदू विश्वविद्यालय)
शास्त्री (पंजाब)
काव्यतीर्थ (कोलकाता)
नौकरीनैशनल कॉलेज, लाहौर
खालसा कॉलेज, लाहौर
सनातन धर्म कॉलेज, लाहौर
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिकाभारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस के आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी
स्वतंत्रता के बाद का कार्यआकाशवाणी में सलाहकार और निदेशक (दिल्ली, नागपुर, जयपुर)
प्रमुख साहित्यिक रचनाएँनाटक: विक्रमादित्य, संत तुलसीदास, कालिदास
काव्य: युगदीप, विसर्जन, राका, मानसी
उपन्यास: सागर, लहरे और मनुष्य, लोक परलोक
मृत्यु28 फरवरी 1966
मृत्यु के समय आयु69 वर्ष

उदय शंकर भट्ट का जीवन परिचय

हिंदी साहित्य के प्रमुख एकांकीकार उदय शंकर भट्ट जी का जन्म 3 अगस्त 1898 को उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में उनके ननिहाल में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाशंकर भट्ट और माता का नाम चंपाबेन भट्ट था। उनके पूर्वजों का बसेरा सिद्धपुर, गुजरात में था, लेकिन बाद में उनका परिवार उत्तर प्रदेश में बस गया। पहले वे उत्तर प्रदेश के अनूप शहर में रहते थे, और कुछ समय बाद उनका परिवार बुलंदशहर में आकर रहने लगा। उनके पूर्वज इंदौर नरेश के दरबार में न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। जब गंगाशंकरजी 13 साल के थे, तब उनके माता-पिता का निधन हो गया, जिससे बचपन में ही उदय शंकरजी को माता-पिता का सहारा नहीं मिला।

इटावा में रहते हुए उन्होंने संस्कृत, हिंदी, और अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने पंजाब से शास्त्री और कोलकाता से काव्यतीर्थ की उपाधि प्राप्त की। नौकरी के लिए उदय शंकरजी लाहौर चले गए, जहां उन्होंने नैशनल कॉलेज में अध्यापक के रूप में नौकरी की। यह कॉलेज भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय जी का था। स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले भगतसिंह, सुखदेव, और भगवती चरण वोहरा उनके ही शिष्य थे। इसके अलावा, उन्होंने लाहौर के खालसा और सनातन धर्म कॉलेज में भी अध्यापन का कार्य किया।

उस समय भारत पर ब्रिटिश सरकार की हुकूमत थी लोग सशस्त्र और अहिंसा मार्ग से ब्रिटिश विरोधी आंदोलन मे सहभागी हो रहे थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस के द्वारा हुये आंदोलन मे सक्रिय हिस्सा लिया। और साहित्य रचनाओ के कार्य करने के साथ साथ देश के प्रति जिम्मेदारिओ को भी सही तरह से निभाया। साल 1947 मे भारत स्वतंत्र हुआ। उसके बाद लाहोर पाकिस्तान का हिस्सा बन गया। स्वतंत्रता के बाद वे भारत मे आ गये और दिल्ली मे आकाशवाणी के सलाहाकर के रूप मे कार्य किया। कुछ समय बाद उनकी नियुक्ति नागपूर के आकाशवाणी केंद्र पर की गई। और कुछ समय उन्होंने जयपुर केंद्र मे भी कार्य किया।

उदय शंकर भट्ट का साहित्यिक योगदान

उदय शंकर भट्ट हिंदी साहित्य के प्रमुख एकांकीकार, नाटककार, और कवि थे। साहित्य सृजन में उनकी रुचि बचपन से ही थी। अध्यापन के दौर में उन्होंने साहित्यिक रचनाओं का सृजन करना शुरू किया। प्रारंभ में उन्होंने अपनी रचनाओं का लेखन ब्रजभाषा में किया। वर्ष 1931 में उन्होंने अपना पहला काव्य संग्रह तक्षशिला प्रकाशित किया। मुख्य रूप से वे नाटक और एकांकीकार थे। उनके साहित्यिक सृजन की शुरुआत नाट्य लेखन से हुई। 1921-22 के दौरान उन्होंने ‘असहयोग और स्वराज’ और ‘चितरंजनदास’ जैसे प्रतिभाशाली नाटकों का सृजन किया और इन नाट्य रचनाओं को मंच पर प्रस्तुत भी किया। इसके बाद उनका साहित्य सृजन निरंतर चलता रहा। उन्होंने एक के बाद एक साहित्य रचनाएँ कीं, जिनमें विक्रमादित्य, संत तुलसीदास, कालिदास जैसे कई नाट्य साहित्य शामिल हैं। उनकी काव्य रचना की शैली भी अद्भुत थी। युगदीप, विसर्जन, राका, और मानसी जैसे कई काव्यों का सृजन उन्होंने किया। इसके अतिरिक्त वे उपन्यासकार भी थे। सागर, लहरे और मनुष्य, लोक परलोक आदि उपन्यासों का सृजन भी उनके द्वारा किया गया।

हिंदी साहित्य के प्रमुख नाटककारों में उनका विशिष्ट स्थान था। उनकी साहित्यिक रचनाओं का आरंभ पौराणिक विषयों पर आधारित एकांकी लेखन से हुआ। इसके बाद उन्होंने हास्य प्रधान और समस्या प्रधान एकांकी भी लिखीं। उनकी समस्या प्रधान एकांकियाँ महानगरों में रहने वाले मध्यमवर्गीय लोगों के जीवन में आने वाली समस्याओं का चित्रण करती थीं। अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनकी काव्य रचनाओं में गहन भावनाएँ और संवेदनाएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।

उदय शंकर भट्ट की लेखन शैली बहुत ही सरल थी। उनकी लेखनी की सरलता के कारण उनके द्वारा लिखे गए काव्य और नाटक-एकांकी के संवाद सहजता से समझ में आते हैं। उनकी रचनाओं में ऐतिहासिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय भावनाएँ प्रमुखता से दिखाई देती हैं। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को आधुनिक काल में नवसंजीवनी दी। आज के साहित्यप्रेमी और लेखकों के लिए उनका साहित्य प्रेरणास्रोत बन चुका है।

उदय शंकर भट्ट की साहित्यिक रचनाएँ

उदय शंकर भट्ट जी ने अपने जीवनकाल में नाटक-एकांकी, काव्य, उपन्यास और निबंध का सृजन किया। उनके द्वारा रचित कुछ रचनाओं के बारे में नीचे जानकारी प्रदान की गई है:

नाट्य-साहित्यिक रचनाएँ

  • विक्रमादित्य
  • दाहर या सिंधपतन
  • सगर विजय
  • कमला
  • अंतहीन अंत
  • मुक्तिपथ
  • शक विजय
  • नया समाज
  • पार्वती
  • विद्रोहिणी अम्बा
  • विश्वामित्र
  • मत्स्यगंधा
  • राधा
  • अशोक-वन-बन्दिनी
  • विक्रमोर्वशीय
  • अश्वत्थामा
  • गुरु द्रोण का अन्तर्निरीक्षण
  • नहुष निपात
  • कालिदास
  • संत तुलसीदास
  • एकला चलो रे
  • क्रांतिकारी
  • अभिनव एकांकी नाटक
  • स्त्री का हृदय
  • आदिम युग
  • तीन नाटक
  • धूमशिखा
  • पर्दे के पीछे
  • अंधकार और प्रकाश
  • समस्या का अंत
  • आज का आदमी
  • दस हजार एकांकी

उपन्यास

  • वह जो मैंने देखा
  • नए मोड़
  • सागर, लहरें और मनुष्य
  • लोक-परलोक
  • शेष-अशेष
  • दो अध्याय

काव्य-संग्रह

  • तक्षशिला
  • राका
  • मानसी
  • विसर्जन
  • अमृत और विष
  • इत्यादि
  • युगदीप
  • यथार्थ और कल्पना
  • विजयपथ
  • अन्तर्दर्शन : तीन चित्र
  • मुझमें जो शेष है

उदय शंकर भट्ट की रचनाओं के कुछ अंश

1. युगदीप

“यह दीप नहीं मरु मरीचिका में
जलती हुई एक ज्योति है,
यह ज्योति नहीं जीवन संघर्षों में
उमड़ता हुआ एक क्रोध है।”

2. विसर्जन

“इस सागर की गहराई में
मेरा अंतर्नाद खो गया,
प्रलय की लहरों के संग
मेरे अंतस का संगीत बिखर गया।”

3. काव्य संग्रह ‘राका’ से

“चाँदनी रात की यह शीतलता
मुझे अपनी आगोश में भर रही,
मैं विस्मृत कर रहा हूँ अपने सारे दुख
और बस इस पल में जी रहा हूँ।”

4. कालिदास (नाटक)

“वह कौन है, जो शब्दों से अमर हो जाता है?
वह कवि है, जो काल के बंधनों से मुक्त
अपने शब्दों में कालिदास की आत्मा को बाँधता है।”

उदय शंकर भट्ट का निधन

सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना समय साहित्यिक रचनाओं में लगाया। जीवन के अंत तक वे साहित्यिक रचनाओं का सृजन करते रहे। 28 फरवरी 1966 को उन्होंने अपना देहत्याग किया। मृत्यु के समय उनकी आयु 69 वर्ष थी। अपने जीवनकाल में उन्होंने हिंदी साहित्य की सेवा की। आधुनिक युग के इस प्रमुख साहित्यकार के जाने के बाद हिंदी साहित्य को बड़ा नुकसान हुआ। हिंदी साहित्य जगत उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। उनके जाने के बाद भी उनकी रचनाओं के कारण वे आज भी साहित्यप्रेमियों के हृदय में जीवित हैं, और उनकी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से वे साहित्य जगत में सदा जीवित रहेंगे।

FAQ’s

  • युगदीप किसकी रचना है?

    “युगदीप” उदय शंकर भट्ट की प्रसिद्ध रचना है। उनकी रचना “युगदीप” उनके साहित्यिक योगदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  • उदय शंकर भट्ट का जन्म कब और कहां हुआ था?

    उदय शंकर भट्ट का जन्म 3 अगस्त 1898 को उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में हुआ था।

  • आदिम युग एकांकी के लेखक कौन है?

    “आदिम युग” एकांकी के लेखक उदय शंकर भट्ट हैं। यह एकांकी उनकी प्रमुख रचनाओं में से एक है।

  • प्रसिद्ध एकांकीकार कौन है?

    प्रसिद्ध एकांकीकारों में उदय शंकर भट्ट के अलावा राजकुमार वर्मा, जगदीशचंद्र माथुर, और भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र शामिल हैं। ये सभी हिंदी साहित्य में एकांकी लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं।

  • उदय शंकर भट्ट की कौन सी एकांकी आपके पाठ्यक्रम में है?

    उदय शंकर भट्ट की “अमृत और विष” एकांकी अक्सर हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रम में शामिल होती है। यह एकांकी उनके साहित्यिक योगदान का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सारांश

हमें विश्वास है कि इस लेख में दिया गया उदय शंकर भट्ट का जीवन परिचय आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ शेयर करना न भूलें। हमारी वेबसाइट पर आपको इस तरह के विभिन्न लेख मिलते रहेंगे। अगर आप हमसे जुड़ना चाहते हैं, तो सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ सकते हैं। धन्यवाद।

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