गोपाल दास नीरज का जीवन परिचय – Gopal Das Neeraj Ka Jivan Parichay

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नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम आपके लिए गोपाल दास नीरज का जीवन परिचय (Gopal Das Neeraj Ka Jivan Parichay) लेकर आए हैं। हिंदी साहित्य जगत में आधुनिक युग के प्रमुख कवियों की सूची में गोपालदास जी का नाम अग्रणी स्थान पर है। गोपालदास जी ने अपने कार्यकाल में हिंदी साहित्य को एक अलग पहचान देने का प्रयास किया। अपनी कविताओं की झलक उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी दिखाई। उस दौरान आई हुई बहुत सी फिल्मों के गीत लिखने का कार्य उन्होंने किया। संघर्ष, अंतर्ध्वनि, विभावरी जैसे दर्जनभर काव्य संग्रह का सृजन उन्होंने किया।

उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। हिंदी फिल्मों के लिए लिखे गए उनके कई गीत प्रसिद्ध भी हुए, इसके लिए उन्हें फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार भी मिला।

गोपालदास जी द्वारा सृजन की गई साहित्यिक रचनाओं का पाठ आज भी देश के कई महाविद्यालयों के सिलेबस में पढ़ाया जाता है। देश में होने वाले अनेक स्पर्धा परीक्षाओं में उनके द्वारा रचित साहित्य के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं। तो आइए, गोपाल दास नीरज का जीवन परिचय और हिंदी साहित्य में उनके योगदान पर एक नज़र डालते हैं।

विवरणजानकारी
नामगोपाल दास ‘नीरज’
जन्म तिथि4 जनवरी 1925
जन्म स्थानपुरावली गाँव, इटावा, उत्तर प्रदेश
असली नामगोपाल दास सक्सेना
माता-पितापिता: ब्रजकिशोर, माता: सुखदेवी
शिक्षा– हाईस्कूल: 1942 में प्रथम श्रेणी में पास
– इंटरमीडिएट: 1949 में सफल
– बी.ए.: 1951 में डिग्री प्राप्त
– एम.ए. (हिंदी): 1953 में डिग्री हासिल
प्रारंभिक पेशे– टाइपिस्ट, इटावा कचहरी
– सिनेमाघर में कार्य
– सफाई विभाग में टाइपिस्ट
– डी.ए.वी. कॉलेज में क्लर्क
– बाल्कट ब्रदर्स में स्टेनो टाइपिस्ट
– मेरठ कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता
– धर्म समाज कॉलेज में प्राध्यापक
प्रमुख काव्य संग्रह– संघर्ष
– अंतर्ध्वनि
– विभावरी
प्रमुख फिल्मी गीत– मेरा नाम जोकर
– तेरे मेरे सपने
– प्रेम पूजारी
– नई उम्र की नई फसल
– शर्मिली
पुरस्कार– पद्म श्री (1991)
– पद्म भूषण (2007)
– फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार
– यश भारती सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ
मृत्यु तिथि19 जुलाई 2018

गोपाल दास नीरज का जन्म और परिवार

आधुनिक युग के प्रसिद्ध कवि गोपाल दास ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गाँव में एक कायस्थ जाति के हिंदू परिवार में हुआ था। उनका असली नाम गोपाल दास सक्सेना था। उन्होंने कविताएँ लिखने के लिए ‘नीरज’ नाम अपनाया, और इसी नाम से वे प्रसिद्ध हुए।

उनके पिता का नाम ब्रजकिशोर और माता का नाम सुखदेवी था। उनके पिता पेशे से जमींदार थे, लेकिन कुछ कारणों से उन्होंने यह कार्य छोड़कर नौकरी करने का निर्णय लिया। बचपन में ही गोपाल दास जी के सिर से पिता का साया उठ गया। वे केवल छह साल के थे जब उनके पिता ब्रजकिशोर का निधन हो गया। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी; उनके पिता की नौकरी से जो आय मिलती थी, उसी से घर चलता था। लेकिन पिता की मृत्यु के बाद घर की स्थिति खराब हो गई। इसी संघर्षमय जीवन में गोपाल दास जी का पालन-पोषण हुआ।

गोपाल दास नीरज की शिक्षा

गोपालदास जी का परिवार धनवान नहीं था, इसलिए उनके बचपन से ही रास्ते संघर्षों से भरे हुए थे, और उन्होंने इन संघर्षों का सामना करना शुरू किया। प्रारंभिक शिक्षा के लिए उन्हें अपने फूफा के घर जाना पड़ा। बचपन से ही नौकरी करते हुए उन्होंने शिक्षा लेना शुरू किया, क्योंकि घर की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर थी।

माँ के साथ-साथ अपने तीनों भाइयों का पालन-पोषण की जिम्मेदारी उन्होंने उठाई। शिक्षा और नौकरी को समय देने के कारण उन्हें 11 साल तक अपने घर से दूर रहना पड़ा। अपने जीवन को संघर्ष में बिताते हुए, साल 1942 में गोपालदास जी ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर ली।

उसके बाद, उन्होंने 1949 में इंटरमीडिएट की परीक्षा सफलतापूर्वक पास की और 1951 में बी.ए. की परीक्षा में सफलता हासिल करके स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बड़े संघर्षमय वातावरण में उन्होंने नौकरी करते हुए अपनी शिक्षा पूरी की।

स्नातक की परीक्षा देने से पहले गोपालदास जी ने सावित्री देवी जी से शादी कर ली, और उसी वर्ष उन्हें एक पुत्र भी हुआ। इस दौरान भी उन्होंने शिक्षा लेने का सिलसिला जारी रखा। नौकरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हुए, गोपालदास जी ने साल 1953 में हिंदी विषय में एम.ए. की डिग्री हासिल की।

गोपाल दास नीरज का कार्यक्षेत्र

बचपन से ही गोपालदास जी नौकरी करते आ रहे थे, इसलिए उनका कार्यक्षेत्र भी विस्तृत रहा। शुरुआत में उन्होंने इटावा की कचहरी में टाइपिस्ट के रूप में कार्य किया। इसके बाद, कुछ समय तक उन्होंने सिनेमाघर में भी काम किया। लेकिन उन पैसों से घर चलाना और पढ़ाई करना मुश्किल हो रहा था, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर दिल्ली आ गए और टाइपिस्ट की नौकरी सफाई विभाग में की।

कुछ कारणों से यह नौकरी भी छूट गई। इसके बाद वे डी.ए.वी. कॉलेज में क्लर्क के रूप में लगे। कुछ समय तक उन्होंने डी.ए.वी. कॉलेज में काम किया, फिर यह नौकरी छोड़कर बाल्कट ब्रदर्स नामक एक प्राइवेट कंपनी में स्टेनो टाइपिस्ट की नौकरी की।

बाल्कट ब्रदर्स में गोपालदास जी ने लगातार पाँच साल तक काम किया। उसके बाद, उन्होंने मेरठ कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता और अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। बाद में, उन्होंने अलीगढ़ में एक घर बनाया और वहाँ अपने परिवार के साथ रहने लगे।

गोपाल दास नीरज का साहित्यिक परिचय

गोपालदास जी आधुनिक युग के प्रमुख कवियों में से एक थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने अनेक काव्य ग्रंथों का सृजन किया। महाविद्यालय में शिक्षा लेते समय गोपालदास जी ने काव्य रचनाएँ करना प्रारंभ किया। साल 1944 में प्रकाशित “संघर्ष” उनका पहला काव्य ग्रंथ था। इसके बाद उनके एक के बाद एक लगातार काव्य संग्रह प्रकाशित होते रहे।

वे समय-समय पर नौकरी बदलते रहे, जिससे उन्हें बीच-बीच में काव्य रचना करने का काफी समय मिला। कुछ ही समय में वे हिंदी के मशहूर कवियों में से एक बन गए। नौकरी के कारण उन्हें बार-बार अपना स्थान बदलना पड़ा, जिसका एक फायदा यह हुआ कि उन्हें भारत के कई क्षेत्रों में लोग पहचानने लगे।

उन्होंने हिंदी भाषा में अपनी काव्य रचनाएँ कीं। अपनी काव्य रचनाओं की भाषा में उन्होंने सरलता और माधुर्य रखा, जिससे साहित्य प्रेमियों को उनकी रचना पढ़ने के बाद उसका अर्थ तुरंत समझ में आता है। उन्होंने सृजन की गई कई काव्य रचनाओं का अनुवाद पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगाली और अन्य भाषाओं में किया गया।

हिंदी फिल्मों में बने मशहूर गीतकार

गोपालदास जी ने अपने कार्यकाल में ‘मेरा नाम जोकर’, ‘तेरे मेरे सपने’, ‘प्रेम पूजारी’, ‘नई उम्र की नई फसल’, ‘शर्मिली’ जैसे कई हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखने का कार्य किया। इतने साल बाद भी इन फिल्मों के गाने आज हमारे लबों पर हैं।

उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में प्रसिद्ध गीतकार के रूप में एक अलग पहचान मिली, लेकिन मुंबई के इस भागदौड़ भरे जीवन में उनका मन नहीं लगा, और उन्होंने मुंबई छोड़ने का निर्णय लिया। इस प्रकार, मायानगरी को अलविदा कहकर वे अपने घर अलीगढ़ वापस लौट आए।

गोपाल दास नीरज की साहित्यिक रचनाएं

गोपालदास जी मुख्य रूप से कवि थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में अनेक साहित्यिक रचनाओं का सृजन किया। नीचे हमने उनके द्वारा रचित काव्य संग्रहों के बारे में जानकारी दी है।

काव्य संग्रहवर्ष
संघर्ष1944
अन्तर्ध्वनि1946
विभावरी1948
प्राणगीत1951
दर्द दिया है1956
बादर बरस गयो1957
मुक्तकी1958
दो गीत1958
नीरज की पाती1958
गीत भी अगीत भी1959
आसावरी1963
नदी किनारे1963
लहर पुकारे1963
कारवाँ गुजर गया1964
फिर दीप जलेगा1970
तुम्हारे लिये1972
नीरज की गीतिकाएँ1987

गोपाल दास नीरज के पुरस्कार और सम्मान

हिंदी साहित्य में योगदान देने के लिए गोपालदास जी को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। नीचे हमने उन्हें प्राप्त हुए पुरस्कारों के बारे में जानकारी दी है।

  • गोपालदास जी के साहित्यिक योगदान के लिए साल 1991 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
  • साल 2007 में उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरी पुरस्कार, पद्म भूषण, से सम्मानित किया गया।
  • हिंदी फिल्मों में दिए जाने वाले प्रमुख पुरस्कार फ़िल्म फेयर पुरस्कार से भी उन्हें गौरवान्वित किया गया।
  • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ की ओर से उन्हें यश भारती सम्मान पुरस्कार दिया गया।

गोपाल दास नीरज का निधन

हिंदी साहित्य के इस महान कवि ने 19 जुलाई 2018 को अपने जीवन की अंतिम साँस ली। कुछ दिनों से वे किसी बीमारी से जूझ रहे थे। निदान के लिए उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया, और वहीं उनकी मृत्यु हो गई।

आज गोपालदास जी हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी साहित्यिक रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों के हृदय में जिंदा हैं। उन्होंने जो कार्य किया, उसे हिंदी साहित्य जगत हमेशा याद रखेगा।

FAQs

  • गोपालदास का पूरा नाम क्या है?

    गोपालदास का पूरा नाम गोपालदास सक्सेना है। नीरज यह उनका उपनाम है।

  • गोपालदास सक्सेना नीरज का पहला काव्यसंग्रह कौन-सा है?

    गोपालदास सक्सेना नीरज का पहला काव्य संग्रह “संघर्ष” है, जो 1944 में प्रकाशित हुआ था।

  • गोपालदास सक्सेना नीरज कौन थे?

    गोपालदास सक्सेना नीरज एक प्रमुख हिंदी कवि और गीतकार थे, जिनका जन्म 4 जनवरी 1925 को इटावा में हुआ। उनके प्रसिद्ध काव्य संग्रह “संघर्ष” और “अन्तर्ध्वनि” हैं।

  • कारवाँ गुजर गया यह किसका काव्य संग्रह है?

    “कारवाँ गुजर गया” गोपालदास सक्सेना नीरज का काव्य संग्रह है।

  • फिर दीप जलेगा किसकी रचना है?

    “फिर दीप जलेगा” गोपालदास सक्सेना नीरज की रचना है।

सारांश

हमें विश्वास है कि इस लेख में प्रस्तुत गोपाल दास नीरज का जीवन परिचय (Gopal Das Neeraj Ka Jivan Parichay) आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को आप अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे भी कवि गोपालदास नीरज जी के जीवनी और हिन्दी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान के बारे में जान सकें।

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Team Hindi Words

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