Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा 2024 की तिथि, महत्व और इतिहास!
दोस्तों, इस लेख में हम गुरु पूर्णिमा 2024 (Guru Purnima 2024) की तिथि, महत्व, और इतिहास के साथ ही इस दिन को कैसे मनाया जाए, इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं। आप सभी जानते हैं कि हमारे भारत की इस पवित्र भूमि पर प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक अनेक ऋषि, मुनि और संत हुए हैं।
यदि आप इतिहास के पन्नों में झांककर देखेंगे, तो पाएंगे कि जितने भी साधु-संत इस धरती पर हुए हैं, उन्होंने अपने धर्म ग्रंथों, वेदों, पुराणों, काव्यों और दोहों में गुरु की महिमा का वर्णन किया है। किसी ने सही कहा है, “यदि आप चमड़े के जूते सिलवाकर भी गुरु के चरणों में रख दें, तब भी उनके उपकारों का कर्ज नहीं चुका सकते।”
आज के युग में हमें इतना भी करने की जरूरत नहीं है; केवल अपने गुरुओं के प्रति आदरभाव और निष्ठा रखना ही पर्याप्त है। गुरुओं के प्रति समर्पित भाव को व्यक्त करने के लिए हर साल गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 2024 में कब है, इसका महत्व और इतिहास क्या है, यह जानने के लिए यह लेख अवश्य पढ़ें।
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Contents
गुरु पूर्णिमा 2024
गुरु पूर्णिमा 2024 का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई, शनिवार को शाम 05:59 बजे से शुरू होगी और 21 जुलाई, रविवार को दोपहर 03:46 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का उत्सव 21 जुलाई को ही मनाया जाएगा।
घटना | तिथि | समय |
---|---|---|
तिथि प्रारंभ | 20 जुलाई 2024 | शाम 5:59 बजे |
तिथि समाप्ति | 21 जुलाई 2024 | दोपहर 3:46 बजे |
गुरु पूर्णिमा उत्सव | 21 जुलाई 2024 | दोपहर 3:46 तक |
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गुरु पूर्णिमा का इतिहास
गुरु पूर्णिमा जिसे आषाढ़ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पूर्णिमा आषाढ़ मास में आती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, और उनके जन्मदिन की याद में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
महर्षि वेदव्यास इस नाम से आप सभी परिचित होंगे। हिंदू धर्म के महान ग्रंथ महाभारत, वेद, और 18 पुराणों सहित उन्होंने सनातन धर्म के अन्य ग्रंथ भी रचे। उनके ये ग्रंथ आज भी हमें हिंदू संस्कृति के सुंदरता का प्रमाण देते हैं और साथ ही आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन को किस तरह जीना है, इसकी प्रेरणा देते हैं।
यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताता है। कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने अपने पहले शिष्य शुकदेव को ज्ञानामृत दिया था। गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करना और अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
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गुरु पूर्णिमा का महत्व
आध्यात्मिक उन्नति के लिए गुरु पूर्णिमा का यह अवसर महत्वपूर्ण माना जाता है। आप अपने जीवन में बचपन से लेकर वर्तमान तक जितने भी गुरु हुए हैं, उनके प्रति गुरु पूर्णिमा के दिन आदर और सम्मान जता सकते हैं। माँ-बाप हमें जन्म देते हैं, लेकिन जीवन के इस भवसागर से पार होने के लिए हमारे जीवन में गुरु का होना आवश्यक है। क्योंकि इस जीवनरूपी नौका को सही राह पर कैसे चलाना है, यह हमें सिर्फ गुरु ही बताते हैं।
गुरु कोई भी हो सकता है – हमारे माँ, बाप, भाई-बहन या दोस्त। लेकिन उनकी वजह से हम सही राह पर चल रहे होते हैं, और उनकी इस योगदान के लिए हमें गुरु पूर्णिमा के दिन उनके प्रति समर्पित होना चाहिए। इसलिए यह पर्व मनाया जाना आवश्यक है।
गुरु-शिष्य की अनेक कथाओं में आपने अक्सर सुना होगा कि जब कोई शिष्य अपने गुरु के प्रति निष्ठा रखकर उनके दिए मार्ग पर चला है, तो उन सभी का नाम आज भी लिया जाता है, और उन्हें हमारे आदर्श स्वरूप माना जाता है। ज्ञान और शिक्षा का महत्व बताने के लिए भी यह दिवस महत्वपूर्ण माना जाता है।
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गुरु पूर्णिमा कैसे मनायी जाती है
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह दिन बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नीचे हमने भारत में गुरु पूर्णिमा इस पवित्र पर्व को कैसे मनाया जाता है, उसके बारे में जानकारी दी है।
- इस दिन लोग अपने गुरु के दर्शन के लिए आते हैं, अथवा अपने गुरु की मूर्ति या फोटो के सामने दीप प्रज्वलित करते हैं।
- गुरु को उपहार में फल, मिठाई, और अन्य भेंट दी जाती हैं।
- देश की बहुत सी मंदिरों में इस शुभ अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
- गुरु-शिष्य महिमा को उजागर करने के लिए भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
- स्कूल और कॉलेज में इसी दिन हमें पढ़ाने वाले शिक्षक और गुरुओं के प्रति आदरभाव दिखाने के लिए उन्हें कोई भेंट या गुलाब का फूल देते हैं।
- इस तरह हम अपने गुरुओं के प्रति अलग-अलग तरीकों से आदरभाव प्रकट करते हैं।
गुरु पूर्णिमा संदेश
गुरु पूर्णिमा का यह पर्व हमें गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व बताता है। इसके साथ ही ज्ञान और शिक्षा के महत्व को उजागर करता है। हमारे जीवन में बचपन से लेकर वर्तमान तक जो भी गुरु हैं, उनका सम्मान करने और उन्होंने दी हुई राह पर चलने के लिए यह दिन हमें प्रेरित करता है।
इस दिन से हमें यह सिख मिलती है कि ज्ञान और ज्ञान देने वाला दोनों ही हमारे लिए सर्वोच्च हैं, और उनके प्रति हमारे हृदय में सदैव निष्ठा और प्रेम होना चाहिए।
सारांश
इस लेख में हमने गुरु पूर्णिमा 2024 (Guru Purnima 2024) की तिथि, इसके महत्व और इतिहास के साथ-साथ भारत में गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है, इसके बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। हमे विश्वास है कि यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ शेयर करना ना भूलें। यदि इस लेख में कोई त्रुटि हो, तो आप हमें मेल कर सकते हैं। अगर हमारे आर्टिकल आपको पसंद आते हैं, तो आप हमसे WhatsApp के माध्यम से जुड़ सकते हैं। हम आपके पसंदीदा विषयों पर आपके लिए आर्टिकल देने का प्रयास करेंगे।
FAQ’s
जुलाई में गुरु पूर्णिमा कब है?
गुरु पूर्णिमा 2024 का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई, शनिवार को शाम 05:59 बजे से शुरू होगी और 21 जुलाई, रविवार को दोपहर 03:46 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का उत्सव 21 जुलाई को ही मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा किसका त्योहार है?
गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे गुरु शिष्य परंपरा को समर्पित किया जाता है। इस दिन पर शिष्य अपने गुरु को सम्मान और आदर दिखाते हैं और उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन का धन्यवाद अर्पित करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का दूसरा नाम क्या है?
गुरु पूर्णिमा को आषाढ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा पूजा घर पर कैसे करें?
गणेश पूजा के बाद, गुरु वंदना और मंत्रों का जाप करें। गुरु की मूर्ति या फोटो के सामने दीप जलाएं और फल-मिठाई अर्पित करें। भजन गान और आरती के माध्यम से गुरु को समर्पित करें.
गुरु की पत्नी को क्या कहा जाता है?
गुरु की पत्नी को “गुरुमाता” कहा जाता है।