Laddu Gopal Ji : जानिए भगवान कृष्ण के इस अनोखे नाम “लड्डू गोपाल” की अद्भुत कहानी!

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भगवान श्री कृष्ण को हम अनेक नामों से जानते हैं, जैसे कान्हा, कन्हयां, मुरलीधर, गोपाळ, नंदलाला, देवकीसूत, द्वारकाधीश, और इनमें से एक नाम है “लड्डू गोपाल” (Laddu Gopal Ji)। यह नाम भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप से जुड़ा है। यह मान्यता है कि श्री कृष्ण के इस रूप की भक्ति करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

लेकिन भगवान श्री कृष्ण को “लड्डू गोपाल” (Laddu Gopal Ji) नाम कैसे मिला? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इस लेख मे हमने भगवान श्रीकृष्ण को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता है इसके पीछे की कथा बताने की कोशीश की है। यह कथा जानने के लिये इस लेख को आप पूरा पढे।

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लड्डू गोपाल (Laddu Gopal Ji) नाम के पीछे की अद्भुत कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभनदास नामक एक गृहस्थ थे, जो भगवान श्री कृष्ण के निष्ठावान भक्त थे। वे रात-दिन श्री कृष्ण की भक्ति में डूबे रहते थे। भगवान की पूजा करना और उन्हें भोग चढ़ाना उनका दैनिक कर्म बन गया था। एक दिन, कुंभनदास को वृंदावन में भागवत करने के लिए आमंत्रित किया गया। लेकिन वे अपने प्रिय भगवान श्री कृष्ण को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते थे। इसलिए, उनका वृंदावन जाने का मन नहीं कर रहा था। हालांकि, सभी लोगों ने उन्हें मनाने की कोशिश की और अंत में वे तैयार हो गए।

जब कुंभनदास सोच रहे थे कि भगवान श्री कृष्ण को भोग कैसे चढ़ाया जाए, तो उनके दिमाग में एक कल्पना आई। उन्होंने अपने बेटे रघुनंदन को भोग चढ़ाने का काम सौंपा। उन्होंने भोग की सारी तैयारी कर ली और कथा करने के लिए वृंदावन चले गए। रघुनंदन ने, जैसे उसके पिता ने कहा था, भोग की थाली भगवान श्री कृष्ण के सामने रख दी और उन्हें भोजन ग्रहण करने का आग्रह करने लगे। उन्हें लगा कि आज भोग चढ़ाने में वे ही आए हैं, इसलिए ठाकुर जी भोजन नहीं खा रहे हैं। बहुत देर तक वह भगवान श्री कृष्ण को पुकारते रहे।

आखिरकार, प्रभु को बालक की दया आ गई। भगवान श्री कृष्ण बालक रूप धारण करके रघुनंदन के सामने प्रकट हो गए और थाली में रखा हुआ सभी भोजन ग्रहण कर लिया।

जब कुंभनदास भागवत कथा समाप्त करके लौटे, तो उन्होंने रघुनंदन से पूछा, “ठाकुर जी को भोग चढ़ाया क्या?”

रघुनंदन ने उत्तर दिया, “हाँ, चढ़ाया।”

कुंभनदास ने फिर पूछा, “तो भोग चढ़ाया हुआ प्रसाद कहाँ है? “रघुनंदन ने कहा, “ओह, तो ठाकुर जी खा गए।”

कुंभनदास के मन में संदेह पैदा हुआ। उन्होंने मन ही मन में कहा, “शायद बच्चे को भूख लगी होगी, इसलिए उसने भोग खा लिया होगा। ऐसा अक्सर होने लगा। एक दिन ठाकुर जी ने लड्डू का भोग तैयार किया और अपने बेटे रघुनंदन से कहा, “जा, भोग चढ़ाओ। “रघुनंदन जब भोग चढ़ाने के लिए गए, तब कुंभनदास चुपके से यह सब देखने लगे।

भगवान श्रीकृष्ण बालक रूप में वहाँ प्रकट हो गए और लड्डू से बना भोग खाने लगे। कुंभनदास भागते हुए वहाँ पर आ पहुँचे। बालक रूप में भगवान श्री कृष्ण के एक हाथ में लड्डू था और दूसरा हाथ मुंह में लड्डू खा रहा था। तभी अचानक वे निर्जीव हो गए। तबसे उन्हें लड्डू गोपाल के नाम से जाना जाने लगा। और सभी जगह भगवान श्री कृष्ण की इसी रूप में पूजा की जाती है।

लड्डू गोपाल जी (Laddu Gopal Ji) यह भगवान श्री कृष्ण के बाल अवतार है। इसलिये उनका जन्मदिन कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है

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सारांश 

आज इस लेख में हमने लड्डू गोपाल जी (Laddu Gopal Ji) के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यह लेख हमने पौराणिक कथाओं और कुछ संदर्भों के आधार पर तैयार किया है। यह लेख आपको कैसा लगा, यह आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यदि आपको यह हमारा लेख पसंद आया होगा, तो इस लेख को शेयर करना न भूलें।

इस लेख में कोई त्रुटि होगी तो आप हमें मेल करके बता सकते हैं। सही जानकारी लेकर हम यह लेख सुधारित करने का प्रयास करेंगे।

FAQ’s

लड्डू गोपाल कौन से भगवान होते हैं?

लड्डू गोपाल भगवान श्री कृष्ण का बाल रूप है।

लड्डू गोपाल का जन्मदिन कब होता है?

लड्डू गोपाल का जन्मदिन कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है

लड्डू गोपाल और कृष्ण भगवान में क्या अंतर है?

लड्डू गोपाल और कृष्ण भगवान एक ही सत्ता के दो अलग-अलग रूप हैं।

लड्डू गोपाल की सेवा करने से क्या होता है?

लड्डू गोपाल की सेवा एक सरल तरीका है जिससे आप भगवान श्री कृष्ण से जुड़ सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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