Summer Solstice 2024 : देखें क्यों है यह साल का सबसे रहस्यमय दिन!
Summer Solstice 2024 : 21 जून यह दिन पुरी दुनिया के लिये बेहद खास है क्योंकि उसी दिन विश्व योग दिवस और विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है।
लेकिन यह दिन और एक खास बात के लिये भी जाना जाता है। इस दिन सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इस लेख में हम ग्रीष्म संक्रांति के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे। तो इस लेख को आप पूरा जरूर पढ़ें।
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ग्रीष्म संक्रांति 2024 । Summer Solstice 2024
भारत में ग्रीष्म संक्रांति 2024 में 21 जून को होगी। इस दिन सूर्य अपने उत्तरी या उत्तरी षटकोणीय शिखर के शिखर पर पहुँचता है। भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार 21 जून 2024 को इस समय का समय दोपहर 2:21 बजे है।
ग्रीष्म संक्रांति का मतलब क्या है । Summer Solstice Meaning
ग्रीष्म संक्रांति को हम ग्रीष्म संक्रांति के रूप में जानते हैं। “Summer” का मतलब है गर्मियों के दिन और “solstice” यह एक लैटिन शब्द है जो “solstitium” शब्द से लिया गया है। “Sistere” का मतलब है स्थिर रहना, एक जगह पर स्थिर रहना।
ग्रीष्म संक्रांति एक खगोलीय घटना मानी जाती है। 21 जून को, सूर्य की किरणें ज्यादा समय तक धरती पर रहने के कारण इस दिन रात छोटी और दिन बड़ा होता है।
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21 जून को क्यों सबसे बडा दिन होता है?
21 जून को, सूर्य मध्याह्न के दौरान कर्क रेखा के ऊपर होने के कारण, सूर्य का प्रकाश धरती पर अधिक समय तक टिका रहता है। इस दिन, पृथ्वी पर सूर्य की किरणें ज्यादा देर तक रहने के कारण दिन लंबा और रात छोटी होती है। इसलिए 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूरज जल्दी उगता है और सूर्यास्त देर से होता है। इस दिन 12 नहीं बल्कि 13-14 घंटे का दिन होता है।
यह दिन ऋतु परिवर्तन की शुरुआत मानी जाती है
उत्तरी गोलार्ध में यह ऋतु परिवर्तन की शुरुआत मानी जाती है। बसंत ऋतु समाप्त होकर ग्रीष्म ऋतु, मतलब गर्मी का मौसम, शुरू होता है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ और आषाढ़ माह में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
इन सभी ऋतुओं की अपनी एक खास विशेषता होती है। यह हमें बताते हैं कि हमारा जीवन भी ऋतुओं की तरह ही होता है। गर्मी का मतलब है कि आप दुःख, दर्द, और पीड़ा सहन कर रहे हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में शीत संक्रांति आती है। इसका मतलब है कि यह दुःख हमारे जीवन में कुछ क्षणों के लिए हैं, हमेशा के लिए नहीं। यह हमें सभी ऋतुएँ सिखाती हैं।
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इंसान की छाया भी छोड देती है उसका साथ
21 जून के दिन सूर्य कर्क रेखा के ऊपर होने के कारण एक ऐसा समय आता है जब इतना प्रकाश होने के बावजूद भी इंसान और अन्य जीवित प्राणियों की छाया धरती पर नहीं पड़ती। साल के 365 दिनों में से 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर, और 22 दिसंबर को छोड़कर बाकी दिन सामान्य होते हैं।
21 जून के बाद क्या होता है ?
सिर्फ 21 जून ही नहीं, बल्कि 20, 21, और 22 जून इन तीन दिनों में सूर्य का प्रकाश धरती पर ज्यादा लंबे समय तक रहता है। 21 जून के बाद दिन का समय कम और रात का समय ज्यादा होने लगता है। यह प्रक्रिया 21 सितंबर तक चलती है। 21 सितंबर को दिन और रात बराबर होते हैं, मतलब 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है ।
फिर, 21 सितंबर के बाद रात लंबी और दिन छोटा होने लगता है और यह सिलसिला 22 दिसंबर तक रहता है। 22 दिसंबर उत्तरी गोलार्ध की सबसे लंबी रात मानी जाती है। इस दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध से सबसे दूर होने के कारण सूर्य का प्रकाश धरती पर बहुत कम मात्रा में पड़ता है। इसके कारण रात लंबी और दिन छोटा होता है। इसे हम शीतकालीन संक्रांति के रूप में जानते हैं।
सारांश
इस लेख में हमने ग्रीष्म संक्रांति 2024 (Summer Solstice 2024) के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यह लेख अगर आपको पसंद आया हो, तो कृपया हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। यदि इस लेख में कोई त्रुटि है, तो आप हमें मेल कर सकते हैं। हम उसमें सुधार करने की कोशिश करेंगे।
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FAQ’s
हर साल ग्रीष्म संक्रांति कब होती है?
ग्रीष्म संक्रांति हर साल 21 जून को होती है।
21 जून साल का सबसे लंबा दिन क्यों है?
21 जून साल का सबसे लंबा दिन इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य कर्क रेखा के ऊपर स्थित होता है, जिससे सूर्य की किरणें धरती पर अधिक समय तक पड़ती हैं। इसके कारण दिन का समय लंबा होता है और रात का समय छोटा होता है। इसे ग्रीष्म सोल्स्टिस (Summer Solstice) कहा जाता है।
21 जून और 22 दिसंबर को क्या होता है?
21 जून को ग्रीष्म सोल्स्टिस होता है, जिसमें सूर्य का प्रकाश धरती पर सबसे अधिक होता है। इसके बाद से दिन का समय छोटा होता जाता है और रात का समय बढ़ता है। 22 दिसंबर को विंटर सोल्स्टिस होता है, जिसमें सूर्य का प्रकाश धरती पर सबसे कम होता है। इसके बाद से रात का समय छोटा होता जाता है और दिन का समय बढ़ता है।
सबसे बड़ी रात कौन सी है?
सबसे बड़ी रात 22 दिसंबर को होती है, जिसे शीतकालीन संक्रांति (विंटर सोल्स्टिस) कहा जाता है। इस दिन सूर्य का प्रकाश धरती पर सबसे कम होता है और रात का समय सबसे लंबा होता है।