Holi Information In Hindi: जानिए क्यों मनाया जाता है यह महत्वपूर्ण त्योहार!
Holi Information In Hindi: वसंत ऋतु शुरू होते ही होली के आगमन का बेसब्री से इंतजार किया जाता है. भारत में इस त्यौहार का अनोखा सार्वभौमिक महत्व है. होलिका दहन फाल्गुन माह की हुताशनी पूर्णिमा को किया जाता है.
यह सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का त्योहार है और भारत सहित कई देशों में होली और धुलेंडी का त्योहार दो दिनों तक बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है. यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
कुछ वर्ष पहले यह त्यौहार केवल भारत तक ही सीमित था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है. होली और धुलेंडी के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के अन्य त्योहार भी देश-विदेश में बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं.
आज के लेख में हम होली के त्यौहार की जानकारी (Holi Information In Hindi), होली का त्यौहार कैसे और क्यों मनाते हैं? (Why We Celebrate Holi In Hindi) इसके पीछे के पौराणिक इतिहास और इस त्योहार के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को समझने का प्रयास किया गया है. तो आप इस आर्टिकल को जरूर से पढ़ें, आपको यह जरूर पसंद आएगा.
होली क्यों मनाई जाती है? (Why We Celebrate Holi In Hindi)
हिंदू धर्म में हर त्योहार के पीछे एक इतिहास जुड़ा हुआ है. इस लेख में हम जानेंगे कि होली का त्यौहार हम क्यों मनाते हैं और इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है.
जैसा कि प्राचीन इतिहास में वर्णित है, बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था. यह राजा बहुत घमंडी और अहंकारी था. उनका हृदय देवी-देवताओं के प्रति घृणा से भरा हुआ था. उसने नगर में यह आदेश जारी कर दिया कि उसके राज्य में कोई भी व्यक्ति भगवान का नाम नहीं लेगा और यदि उसने ऐसा किया तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा. लोग डर गए और उन्होंने भगवान की पूजा करना और भगवान का नाम लेना बंद कर दिया.
राजा हिरण्यकश्यपु का एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था. वह अपने मुख से निरंतर भगवान विष्णु का नाम जपता रहता था. हिरण्यकश्यपु इस बात से बहुत क्रोधित हुआ कि सारी प्रजा मेरी बात सुनती है और मेरा पुत्र मेरी बात नहीं सुनता, इससे उसके अहंकार को ठेस पहुँची.
उसने प्रह्लाद को तरह-तरह से डराने की कोशिश की. लेकिन प्रह्लाद नहीं सुन रहा था, अंततः राजा ने प्रह्लाद को मारने की एक युक्ति निकाली. उसने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को बुलाया. होलिका को आग से कोई नुकसान नहीं हो सकता था, ऐसा उसको वरदान प्राप्त हुआ था.
योजना के अनुसार होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठ गई. चिता तेज जलने लगी, लेकिन भक्त प्रह्लाद को उस आग की आंच भी नहीं आई. वह पूरी तरह से भगवान विष्णु के नाम में डूबे हुए थे. अचानक होलिका आग से जलने लगी और उसी समय आकाशवाणी हुई कि तुमने अपने मिले हुए वरदान का गलत इस्तेमाल किया है, और तभी होलिका उस आग में जलकर राख हो गई.
होलिका तो जलकर राख हो गई लेकिन भक्त प्रहलाद तक उसकी आंच तक नहीं पहुंची. यह त्यौहार लोगों को यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, भगवान की कृपा से अच्छाई उन पर जीत हासिल करेगी.
होलिका दहन कैसे मनाया जाता है? (How To Celebrate Holi In Hindi)
यह त्योहार फाल्गुन माह में होताश्विनी पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो वसंत ऋतु में आती है. यह त्योहार अंग्रेजी महीने के अनुसार मार्च में आता है. इस रंग भरे त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह त्योहार बुराई पर अच्छे गुणों की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
होलिका दहन से लोगों के सभी विकार, दुःख और दरिद्रता को जलती हुई होली में डाल दिया जाता है ताकि उन्हें अपने जीवन में सुख, संतुष्टि और भाईचारे की भावना प्राप्त हो.
इस दिन अधिकांश लोग होलिका देवी की पूजा भी करते हैं, क्योंकि ऐसी भी मान्यता है कि होलिका देवी की पूजा करने से हमारे जीवन में भय पर आसानी से काबू पाया जा सकता है. होली के दूसरे दिन धुलेंडी मनाया जाता है.
रंगों का यह त्योहार भारत के हर एक गांव मे और छोटे-बड़े शहरों में बच्चों से लेकर बड़ों तक बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
यह त्योहार भारत के हर राज्य में बड़े जोरों शोरों के साथ मनाया जाता है. हर जगह इस त्योहार को मनाने का तरीका अलग-अलग होता है. अधिकांश क्षेत्रों में यह त्योहार पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है.
यह त्योहार देश के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन विशेषकर मथुरा-वृंदावन में इस त्योहार का विशेष महत्व है. भगवान कृष्ण की नगरी में इस पल का आनंद लेने के लिए हजारों भक्त यहां आते हैं.
होली का सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व (Holi Festival Importance)
हिरण्यकश्यपु और भक्त प्रह्लाद की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ कितना भी मजबूत होने की कोशिश कर ले, सत्य हमेशा उसे हरा देता है. साथ ही ईश्वर सदैव सत्य के पक्ष में खड़ा रहता है. यह एक ऐसा त्यौहार है जो प्रेम, एकता और भाईचारा सिखाता है.
यह न केवल हिंदू धर्मों का त्योहार है बल्कि विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोग एक साथ आते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं.
2024 में होली कब होगी? (Holi Kitne Tarikh Ko Hai 2024 Mein)
- 24 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन का अवसर मनाया जाएगा.
- फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09:54 बजे से शुरू होकर 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे पर समाप्त होगी.
- होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:13 बजकर से लेकर 12:27 बजकर तक होगा जिसका कुल अवधि 1 घंटा 14 मिनट होगा.
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सारांश
आज इस लेख में हमने होली के त्यौहार के बारे में जाना (Holi Information In Hindi), जो पूरी दुनिया में रंगों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. होली त्यौहार के पीछे का इतिहास, कैसे मनाया जाता है होली त्यौहार (How To Celebrate Holi In Hindi), इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व (Holi Festival Importance) को जानने का प्रयास किया.
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