Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi । प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय
Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi, Age, Family, Date of Birth, Real Name, Family, Net Worth, Ashram, Guru Name.
भारतभूमि को देवताओं और संतों की भूमि माना जाता है. इस भूमि पर अक्सर विदेशी शक्तियों द्वारा आक्रमण किया गया है, जिन्होंने यहां के धर्म को समाप्त करने का प्रयास किया. लेकिन हर बार ईश्वर ने ब्रह्मज्ञान का प्रकाश समाज तक पहुंचाने के लिए संत महापुरुष नामक दिव्य माध्यम को इस धरती पर भेजा.
प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय । Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi
आज इस आर्टिकल में हम एक ऐसे ही महान व्यक्ति के बारे में जानने जा रहे हैं. आपने उनका नाम लगातार टीवी या सोशल मीडिया के जरिए सुना होगा, और यूट्यूब के जरिए उनके अनमोल वचन भी सुने होंगे. इसलिए आज हमने इस लेख के माध्यम से प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय देने का प्रयास किया है.
प्रेमानंद जी महाराज जन्म । Premanand Ji Maharaj Birth
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य में, कानपुर के पास सरसोल तालुका के अखरी गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है.
चूंकि पूरे परिवार का माहौल सात्विक और धार्मिक था, इसलिए बचपन से ही उनका रुझान आध्यात्मिकता की ओर भी अधिक था. इसलिए, कम उम्र में ही उन्होंने अपने परिवार को छोड़कर ब्रह्मचारी जीवन जीने का फैसला किया.
प्रेमानंद जी महाराज परिवार । Premanand Ji Maharaj Family
उनके पिता का नाम शंभूनाथ पांडे और माता का नाम रमा देवी है. उनके परिवार का आजीविका का साधन खेती था, जिससे वे पूरे परिवार का भरण-पोषण करते थे. उनका एक बड़ा भाई भी है, उनके बड़े भाई ने संस्कृत की पढ़ाई की थी और वे घर के सदस्यों को संस्कृत में कई धर्मग्रंथ पढ़ कर सुनाते थे.
प्रेमानंद जी महाराज के दादा भी एक संन्यासी थे. अर्थात पूरा परिवार सात्विक था और भक्ति मार्ग पर चलता था.
प्रेमानंद जी महाराज का बचपन । Premanand Ji Maharaj Childhood
प्रेमानंद जी महाराज का रूझान बचपन से ही आध्यात्म की ओर अधिक था. जिस उम्र में बच्चे खेलने में लगे रहते हैं, उस उम्र में प्रेमानंद जी महाराज भगवान की भक्ति में लीन हुए थे.
चूँकि घर का वातावरण भी आध्यात्मिक रूप से पौष्टिक था, इसलिए उनमें कम उम्र में ही ईश्वर के प्रति भक्ति की भावना विकसित हो गई थी. प्रेमानंद जी महाराज बचपन में हनुमान चालीसा का पाठ किया करते थे. उनके बड़े भाई ने संस्कृत की पढ़ाई की थी और वे प्रतिदिन घर में श्रीमद्भागवत का पाठ किया करते थे. इन सब बातों का प्रभाव उसके बाल मन पर पड़ने लगा. कहते हैं कि बचपन का मन उपजाऊ मिट्टी की तरह होता है, जिस पर जो बोया जाता है वही उगता है.
ऐसा ही कुछ हुआ महाराज के साथ. स्कूल में रहते हुए उनमें एक लगाव विकसित हो गया और उसका मन इस मोह-माया की दुनिया से उठ गया. वह बालक अध्यात्म से इतना प्रभावित हुआ कि मात्र 13 वर्ष की उम्र में उसने घर-गृहस्थी छोड़कर ब्रह्मचारी बनकर सन्यासी धर्म अपनाने का निश्चय कर लिया.
प्रेमानंद जी महाराज का आध्यात्मिक जीवन । Premanand Ji Maharaj Spiritual Life
घर छोड़ने के बाद प्रेमानंद महाराज कुछ दिनों तक नंदेश्वर धाम में रहे थे. कुछ दिन वहां रहने के बाद उन्होंने किसी तरह वाराणसी में प्रवेश कर लिया.
वाराणसी में अपने तपस्वी जीवन के दौरान, वह दिन में तीन बार गंगा में स्नान करते थे और तुलसी घाट पर स्थित पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शंकर की आराधना करते थे. वह अपनी आजीविका चलाने के लिए वहां एक भिक्षु के रूप में रहते थे. अगर कोई खाना दे देता तो खा लेते, नहीं तो कभी-कभी भूखा भी रहना पड़ता था तब वो गंगाजल पीकर सो जाते थे.
चाहे भीषण ठंड हो या भारी बारिश, उन दिनों भी गंगा में स्नान करते थे. उनका यह स्नान करने का नियम था. उस समय जब पहनने के लिए भगवा कपड़ा नहीं होता था, तो शरीर पर एक बोरी रखकर उसे वस्त्र के रूप में धारण किया करते थे.
घरबार छोडकर, महाराज ब्राह्मण धर्म की दीक्षा लेने के लिए इधर-उधर घूमते रहे. दीक्षा के बाद अनिरुद्ध कुमार पांडे का नाम आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया। महाराज श्री गौरांगी शरण जी उनके गुरु थे. कहा जाता है कि वह लगभग दस वर्षों तक गुरु की सेवा में रहे.
प्रेमानंद जी महाराज का वृंदावन मे आगमन । Arrival Of Premanand Ji Maharaj In Vrindavan
प्रेमानंद महाराज प्रतिदिन की तरह तुलसी घाट पर पिपल वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शंकर का ध्यान कर रहे थे. उनके मन में विचार आया कि भगवान श्रीकृष्ण का वृन्दावन कैसा होगा. इसके बाद उन्होंने उस विचार को नजरअंदाज कर दिया और अपने ध्यान पर ध्यान केंद्रित किया.
अगले दिन एक अज्ञात महात्मा महाराज से मिलने आये और कहा कि स्वामी जी, आचार्य राम शर्मा जी हनुमान विश्वविद्यालय काशी में एक धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में उन्होंने दिन में चैतन्य लीला और रात में रासलीला कार्यक्रम का आयोजन किया है.
उन्होंने आग्रह किया कि हमें इस कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए उस स्थान पर जाना चाहिए. लेकिन प्रेमानंद महाराज ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. लेकिन बार-बार अनुरोध करने के बाद प्रेमानंदजी वहां आने के लिए तैयार हो गए.
लगभग एक माह तक चैतन्य लीला और रासलीला का आनंद लेने के बाद समय कैसे बीत गया उन्हें पता ही नहीं चला. जैसे-जैसे कार्यक्रम समाप्त हो रहा था, वह बहुत चिंतित होने लगे. वह उस व्यक्ति से मिले जिसने कार्यक्रम का आयोजन किया था और उनसे पूछा कि वह इस रासलीला को हमेशा के लिए कैसे देख सकते है.
तब उन्होंने कहा, बाबा आप अगर वृन्दावन आएंगे तो हर दिन रासलीला कार्यक्रम देख सकेंगे. उनकी इच्छा अन्दर से जाग उठी. एक दिन जब महाराज हमेशा की तरह ध्यान कर रहे थे, तो युगल किशोर नाम का एक सात्विक जोड़ा वहां आया और प्रेमानंद महाराज को प्रसाद दिया, लेकिन प्रेमानंद महाराज ने प्रसाद लेने से साफ़ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि आप यह प्रसाद मुझे क्यों दे रहे हैं, जबकि यहां आसपास बहुत सारे लोग हैं और उन्हें क्यों नहीं. तब उन्होंने कहा कि यह प्रसाद आपको देने की इच्छा उनके अंदर से पैदा हुई है.
वह प्रसाद देकर उसने महाराज से निवेदन किया कि आप मेरी कुटिया में आकर भोजन करें. तदनुसार, महाराज तैयार हो गए और युगल प्रसाद के साथ उनकी कुटिया में चले गए. वहां महाराज ने युगल प्रसाद से कहा कि मेरी बहुत इच्छा है कि मैं वृन्दावन जाऊं, लेकिन जाने का कोई योग नहीं बन रहा. यह उनकी मन की यह इच्छा उन्होंने उनके सामने प्रकट की. उस समय युगल प्रसाद ने महाराज से कहा कि आप वृन्दावन जाने के लिए तैयार रहें, यह कहकर उन्होंने ट्रेन का टिकट खरीद लिया और महाराज को ट्रेन से वृन्दावन भेज दिया गया.
वृन्दावन आने के बाद, महाराज भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति में लीन हो गए. उन्होंने तपस्वी जीवन त्याग दिया और खुद को राधा और भगवान कृष्ण के लिए समर्पित करना शुरू कर दिया. इसके बाद, प्रेमानंद महाराज राधावल्लभ नामक संप्रदाय से जुड़ गए और वहीं संत बनकर रहकर दुनिया को ज्ञान देने लगे.
प्रेमानंद जी महाराज किडनी का रोग । Premanand Ji Maharaj Kidney
35 साल की उम्र में प्रेमानंद महाराज को पेट में दर्द की समस्या होने लगी. एक बार वह उस बीमारी का इलाज कराने के लिए रामकृष्ण मिशन अस्पताल में गए. डॉक्टरों द्वारा किए गए कुछ परीक्षणों के बाद पता चला कि प्रेमानंद महाराज की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं और पूरी तरह से फेल हो चुकी हैं और उनकी जिंदगी के महज 4-5 साल ही बचे हैं.
लेकिन उस भविष्यवाणी के बाद भी 17 साल बीत गए, पर आज भी महाराज जीवित हैं. उन्हें सप्ताह में तीन बार डायलिसिस उपचार कराना पड़ता है. आश्रम में उनके लिए स्वास्थ्य की सारी व्यवस्थाएँ की गई हैं.
प्रेमानंद जी महाराज आयु । Premanand Ji Maharaj Age
कई लोगों का यह सवाल होता है कि प्रेमानंद जी महाराज की उम्र कितनी है? उनके जन्मतिथि के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन महाराज के कहने के अनुसार, उनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक हो चुकी है.
प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता वृंदावन | Premanand Ji Maharaj Ashram Address
प्रेमानंद महाराज का आश्रम वृन्दावन में स्थित है. जहाँ कोई भी जाकर उनके उपदेश सुन सकता है, उनसे मिल सकता है और इस महापुरुष के दर्शन कर सकता है.
श्री हित राधा केली कुंज
वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट,
भक्तिवेदांत धर्मशाला के सामने,
वृन्दावन-281121
उत्तर प्रदेश
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सारांश
हमने प्रेमानंद महाराज के जन्म से लेकर अब तक की जीवन यात्रा को जानने का प्रयास किया है. आप इस लेख के बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट करके जरूर बताएं. इसके अलावा, यदि आपके पास इस लेख के बारे में कोई और जानकारी है, तो आप हमें ईमेल से भेज सकते हैं.
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FAQ’s
प्रेमानंद जी की उम्र कितनी है?
प्रेमानंद जी महाराज की उम्र 60 वर्ष से अधिक हो चुकी है, जैसा कि उन्होंने खुद कहा है.
प्रेमानंद जी महाराज क्यों प्रसिद्ध हैं?
प्रेमानंद जी महाराज प्रसिद्ध अध्यात्मिक गुरु और संत हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन को भगवान की भक्ति और सेवा में समर्पित किया. उनकी अनूठी ध्यान और साधना की प्रक्रिया ने लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया और उन्हें अन्तरंग शांति और संदृश्य जीवन का अनुभव करने में मदद की. उनकी जीवनी में उनके अनूठे अनुभवों और अद्भुत कथाओं का सारांश लोगों को प्रेरित करता है.
प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम क्या है?
प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है.
प्रेमानंद बाबा के गुरु कौन है?
प्रेमानंद बाबा के गुरु का नाम श्री गौरांगी शरण जी है.