HALDHAR NAG : दिल्ली तक आने के लिए पैसे नहीं हैं… “पद्मश्री” डाक से भेज दीजिए, सर!

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Haldhar Nag : ना ऊपर तक पहचान, ना लाखों की संपत्ति। मीडिया द्वारा उनकी संपत्ति की जांच की गई तब सच सामने आया। पता चला कि उनकी संपत्ति केवल 732 रुपये थी, पहनने के लिए 3 जोड़ी कपड़े, एक टूटा हुआ चश्मा और पांव में पहनने के लिए टूटी हुई चप्पल। “पद्मश्री” पुरस्कार के लिए उनका नाम घोषित हुआ तब यह नाम सुर्खियों में आ गया।

उन्हें “पद्मश्री” पुरस्कार लेने के लिए जब दिल्ली बुलाया गया, तब उन्होंने सरकार को कहा, “दिल्ली तक आने के लिए पैसे नहीं हैं… ‘पद्मश्री’ डाक से भेज दीजिए, सर!”

आप यह जानकर हैरान हो गए होंगे कि आखिर यह शख्स कौन हैं और क्या है इनके जीवन का सच। आपके मन में यह जानने की इच्छा जाग उठी होगी। तो आइए, इस लेख में हम हलधर नाग (Haldhar Nag) का जीवन परिचय बताने वाले हैं। तो इस लेख को आप जरूर पढ़ें।

HALDHAR NAG

ओडिशा की संबलपुरी-कोशली भाषा में हलधर नाग (Haldhar Nag) द्वारा लिखी गई कविताएं प्रसिद्ध हैं। और आश्चर्य की बात यह है कि अभी तक जो भी काव्य रचनाएं उन्होंने की हैं, लगभग सभी कविताएं उन्हें जबानी याद हैं। उनके कविताओं की ख्याति सरकार तक पहुंच गई और 2016 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री पुरस्कार देकर उनके जीवनभर किए कार्य का सम्मान किया गया।आइए, नीचे हम हलधर नाग (Haldhar Nag) के जन्म से लेकर अभी तक के सफर के बारे में जानेंगे।

जन्म

हलधर नागजी का जन्म ओडिशा राज्य के बरगढ़ गांव में हुआ। शायद गरीबी ने उनके जन्म के साथ ही जन्म लिया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी।

जब हलधर की उम्र 10 साल थी, तब अचानक से एक आफत उन पर आ पड़ी। उनके पिता का देहांत हो गया। संघर्षमय जीवन में और अंधेरा छा गया।

पिता के देहांत के समय हलधर तीसरी कक्षा में थे। मजबूरन उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा और घर चलाने की जिम्मेदारी उनके सिर पर आ गई।

संघर्षमय जीवन 

काफी कम उम्र में उन्हें एक मिठाई की दुकान में बर्तन धोने का काम करना पड़ा। वहां उन्होंने लगभग दो साल तक काम किया। उनके गांव के सरपंच को उन पर दया आ गई और उन्होंने हलधर को गांव के नजदीकी स्कूल में खाना परोसने का काम दिया। यह काम उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ लगभग 15 साल तक किया।

फिर, काम छोड़कर कुछ छोटा धंधा करने का विचार उनके मन में आया। उन्हें खबर मिली थी कि गांव के नजदीक ही कुछ नए स्कूल और कॉलेज खुलने वाले हैं। उन्होंने बैंक से 1000 रुपये का कर्ज लेकर स्टेशनरी का व्यवसाय शुरू किया।

हलधर कीं पेहचान 

हलधर अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते हैं। सफेद या लाल रंग की धोती, गले में गमछा और पैरों में कभी-कभार चप्पल, नहीं तो ज्यादातर नंगे पांव घूमने वाला यह आवलिया।

हलधर केवल तीसरी कक्षा तक पढ़े हैं, लेकिन आज उनकी कविताओं और महाकाव्यों पर महाविद्यालयों के छात्र पीएचडी कर रहे हैं। और तो और, ओडिशा और संबलपुर के महाविद्यालयों में उनके साहित्य का पाठ पढ़ाया जाता है।

जब भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया, तो तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों अवार्ड लेते समय वे साधारण वस्त्र पहनकर आए थे और नंगे पांव थे। उनकी इसी सादगी की चर्चा पूरे विश्व में हुई।

हलधर नाग कविताएं

हलधर नाग ने अब तक जो कविताएं और महाकाव्य लिखे हैं, वे उनकी जुबानी याद हैं। उनके सारे काव्य सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर लिखे गए हैं। उनका मानना है कि कविता एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए हम पूरे समाज को अच्छा संदेश भेजकर परिवर्तन ला सकते हैं।

1990 में हलधर नाग की “धोधो बारगाजी” नाम की एक कविता स्थानीय पत्रिका में छपी। लोगों को यह कविता बेहद पसंद आई। इसके बाद उनकी हर एक कविता मासिक या स्थानीय पत्रिकाओं में छपने लगी। उनकी पहचान लोक कविरत्न के नाम से होने लगी। आसपास के लोग भी उन्हें उनकी कविताएं सुनने के लिए आमंत्रित करने लगे।

हलधर नागजी ने अब तक जो कविताएं और महाकाव्य लिखे हैं, वे उनकी जुबानी याद हैं। उनके सारे काव्य सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर लिखे गए हैं। उनका मानना है कि कविता एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए हम पूरे समाज को अच्छा संदेश भेजकर परिवर्तन ला सकते हैं।

1990 में हलधर नाग की “धोधो बारगाजी” नाम की एक कविता स्थानीय पत्रिका में छपी। लोगों को यह कविता बेहद पसंद आई। इसके बाद उनकी हर एक कविता मासिक या स्थानीय पत्रिकाओं में छपने लगी। उनकी पहचान लोक कविरत्न के नाम से होने लगी। आसपास के लोग भी उन्हें उनकी कविताएं सुनने के लिए आमंत्रित करने लगे।

उनके द्वारा रचित कुछ कविताओं और महाकाव्यों की सूची नीचे दी गई है:

  • धरती महल
  • अमृत संध्या
  • ग्राम्य जीवन
  • सपनों का संसार
  • धरती मां
  • जीवन का संघर्ष
  • लोक जीवन
  • प्रकृति की पुकार
  • गांव की गाथा
  • नदी का गीत
  • मां का आंचल
  • प्रेम की पीर
  • समाज की तस्वीर
  • स्वाभिमान
  • सफर की कहानी
  • किसान की व्यथा
  • सत्य का स्वर
  • विरासत
  • मिट्टी की महक
  • संघर्ष का सफर
  • धूप और छांव
  • जीवन का संगीत
  • काव्य कुंज
  • गांव का सूरज
  • धरती की धड़कन
  • आशा की किरण
  • परिश्रम का फल
  • विरह की वेदना
  • असली हीरो
  • अंधेरों का उजाला
  • श्रमिक की शान

पुरस्कार 

हलधर नाग जी को कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। यहां कुछ प्रमुख पुरस्कारों का उल्लेख है:

  • 2016 में उन्हें भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाला सम्मानजनक पुरस्कार, पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 12 नवंबर 2022 को नाग को डॉक्टर राम मनोहर त्रिपाठी लोक सेवा पुरस्कार देकर उनका सम्मान किया गया।
  • उन्हें अनेक अन्य स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

परिवार 

वर्तमान में हलधर की आयु 74 साल है। वे शादीशुदा हैं। उनकी धर्मपत्नी का नाम मालती नाग है। उनकी एक पुत्री है, जिनका नाम नंदिनी है।

जरूर पढे

सारांश 

आज हमने इस लेख में हलधर नाग (Haldhar Nag) के जीवन के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यदि यह लेख आपको पसंद आया होगा तो हमें कमेंट के माध्यम से ज़रूर बताएं। और यदि आप इस लेख के बारे में हमें कुछ राय देना चाहते हैं तो आप हमें मेल कर सकते हैं। हमारे लेख आपको पसंद आते हैं तो आप हमें व्हाट्सऐप ग्रुप में जॉइन कर सकते हैं। अगर लेख पसंद आया है तो शेयर करना न भूलें। धन्यवाद।

FAQ’s

  • हलधर नाग को पद्मश्री कब मिला?

    हलधर नाग को पद्मश्री पुरस्कार 2016 में मिला था। इस सम्मान का घोषणा भारत सरकार द्वारा 2016 में की गई थी, और उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

  • हलधर नाग कौन है?

    हलधर नाग भारतीय ओडिशन कवि हैं जो ओडिशा की जीवनशैली और संस्कृति को अपनी कविताओं में प्रकट करते हैं। उन्हें 2016 में पद्मश्री सम्मान दिया गया था।

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