Mahesh Navami 2024 : कब है महेश नवमी का पर्व,जानें माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति से जुड़ा ये रहस्य!

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हर साल ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को महेश नवमी (Mahesh Navami 2024) का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन माहेश्वरी समाज के निर्माण का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। इसी मान्यता के चलते माहेश्वरी समाज हर साल इस दिन महेश नवमी को बड़े धूमधाम से मनाता है।

आइए दोस्तों, इस लेख में हम महेश नवमी के बारे में जानकारी देने वाले हैं। इस लेख को आप पूरा पढ़ें ताकि आपको महेश नवमी का इतिहास और यह दिन क्यों मनाया जाता है, यह समझ में आ सके।

Mahesh Navami 2024 Date & Time

आपके मन में सवाल यह आएगा कि महेश नवमी कब है? इसलिए हमने एक सूची तैयार की है जिसमें हमने इस वर्ष महेश नवमी कौनसी तारीख को मनाई जाएगी और उसके प्रारंभ और समाप्ति का समय भी दिया हुआ है।

तिथिसमय
महेश नवमी प्रारंभ15 जून 2024, रात 12:03 बजे
महेश नवमी समाप्ति16 जून 2024, रात 2:32 बजे
महेश नवमी15 जून 2024

Mahesh Navami History in Hindi

खडगलसेन नामक एक राजा था। राजा बड़ा धार्मिक था और अपनी प्रजा का बड़ा ख्याल करता था। इसी वजह से उस राज्य की प्रजा राजा से बेहद खुश थी। सब कुछ होने के बावजूद भी राजा दुःखी था क्योंकि उसे कोई संतान नहीं थी। इतने बड़े राज्य का कोई तो वारिस चाहिए। और संतान न होने का दुःख आपको तो पता है।

संतान प्राप्ति के लिए राजा ने कामेष्टि यज्ञ करवाया। कामेष्टि यज्ञ सफलतापूर्वक संपूर्ण होने के बाद यज्ञ में उपस्थित ऋषि-मुनियों ने राजा को आशीर्वाद दिया कि उन्हें एक वीर और पराक्रमी पुत्र होगा। इसके साथ-साथ यह भी कहा कि इस बालक को 20 वर्ष का होने तक उत्तर की ओर जाने से रोकना होगा।

यज्ञ सफल हुआ और ऋषि-मुनियों के आशीर्वाद से नौवें माह में रानी प्रसूत हो गई। राजा को संतान प्राप्ति हुई। राजा ने नामकरण संस्कार का न्योता पूरे राज्य को दिया। बड़े धूमधाम से यह समारोह संपन्न हुआ। पुत्र का नाम रखा गया सुजान कंवर। समय के साथ सुजान बड़ा तेजस्वी बन गया और शस्त्र विद्या में उसने महारथ हासिल कर ली।

एक दिन, जैन साधु घूमते-घूमते उस राज्य में आ पहुंचे। जैन साधुओं द्वारा दिए गए धर्मोपदेश से सुजान बड़े प्रभावित हो गए। उन्होंने जैन धर्म की दीक्षा ली और गांवों-कस्बों में जाकर जैन धर्म का प्रसार और प्रचार करने लगे। धीरे-धीरे लोग जैन धर्म से जुड़ने लगे। जगह-जगह जैन मंदिरों का निर्माण होने लगा।

एक दिन, सुजान कंवर अपने सैनिकों के साथ शिकार का आनंद लेने जंगल में गए थे। शिकार करते समय उन्होंने सैनिकों को उत्तर दिशा में चलने का आदेश दिया। सैनिकों को राजा का आदेश था कि राजकुमार को उत्तर दिशा में नहीं जाने दिया जाए। लाख कोशिश करने के बाद भी सुजान ने सैनिकों की बात नहीं मानी।

उत्तर दिशा से वेद ध्वनि की आवाज आ रही थी। सुजान ने जाकर देखा तो कुछ ऋषि-मुनि वहाँ यज्ञ कर रहे थे। सुजान कंवर बड़े क्रोधित हो गए। उन्हें एहसास हुआ कि इसी कारण मुझे बचपन से उत्तर दिशा में जाने से रोका जा रहा था। क्रोध में आकर उन्होंने सैनिकों को यज्ञ में बाधा डालने का आदेश दिया। यज्ञ में विघ्न उत्पन्न होने के कारण ऋषि-मुनि बड़े क्रोधित हो गए और उन्होंने राजकुमार सहित उनके साथ आए सैनिकों को श्राप दिया कि आप सब पत्थर बन जाओगे। यह श्राप सच हुआ और वे सब पत्थर बन गए।

राजा तक यह खबर पहुंची कि पुत्र वियोग में हैं और राजा ने अपना प्राण त्याग दिया है। राजा की रानियां सती हो गईं। सुजान कुंवर की पत्नी अपने साले सिपाहियों के साथ ऋषि-मुनियों के यज्ञ कर रहे थे, जहाँ वह पहुंची। ऋषि-मुनियों से राजकुमार कुंवर की ओर से क्षमा मांगने लगी।

उन्होंने कहा, “हमारा श्राप वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन हाँ, भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से इन सबको जीवनदान मिल सकता है।”

चंद्रावती ने भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की, और दोनों ने साक्षी रूप में आकर चंद्रावती को दर्शन दिए। चंद्रावती ने उसके साथ हुई घटना को शिव पार्वती को बताया, और अपने पति सहित अन्य सैनिकों को जीवनदान देने की याचना की।

भगवान शंकर जी ने चंद्रावती को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया, साथ ही उसके पति सहित सभी को जीवनदान दिया।

शिवजी ने उन्हें क्षत्रिय धर्म छोड़कर वैश्य धर्म अपनाने का आदेश दिया। भगवान की आज्ञा के अनुसार उन्होंने वैश्य धर्म को अपनाया और यही वैश्य धर्म माहेश्वरी समाज के नाम से जाना जाने लगा। महेश नवमी के दिन माहेश्वरी समाज भगवान शिवजी और माँ पार्वती की आराधना करते हैं।

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सारांश 

आज इस लेख में हमने महेश नवमी 2024 के बारे में जानकारी ली। महेश नवमी का इतिहास और 2024 Mahesh Navami कब है, इसके बारे में जाना। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो, तो इसे शेयर करना न भूलें। आपको हमारे लेख पसंद आते हैं तो आप हमसे व्हाट्सअप के माध्यम से जुड़ सकते हैं। हम आपके लिए अच्छे-अच्छे आर्टिकल लेकर आने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद।

FAQ’s

  • महेश नवमी कौन सी तारीख को है?

    महेश नवमी 2024 को 15 जून को मनायी जाएगी। यह हिन्दू त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है।

  • हम महेश नवमी क्यों मनाते हैं?

    महेश नवमी को हिन्दू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव के प्रेम और उनके महत्वपूर्ण संदेशों को याद करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें शिवतत्त्व की महिमा का गुणगान किया जाता है और लोग भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रकटीकरण करते हैं।

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Team Hindi Words

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